Sunday Special: लाखामंडल मंदिर में मौजूद शिवलिंग की ये विशेषताएं जानते ही आप यहां आने से खुद को नहीं रोक पाएंगे

Sunday Special: लाखामंडल मंदिर में मौजूद शिवलिंग की ये विशेषताएं जानते ही आप यहां आने से खुद को नहीं रोक पाएंगे
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Sunday Special: वैसे तो दुनिया भर में अनेक शिव मंदिर स्थित हैं, लेकिन देहरादून के पास लाखामंडल मंदिर में एक ऐंसा शिवलिंग स्थित है जिसपर जल चढ़ाने के बाद लोगों को अपना प्रतिबिम्ब शिवलिंग में दिखाई देने लग जाता है।

Sunday Special: वैसे तो दुनिया भर में अनेक शिव मंदिर स्थित हैं, लेकिन देहरादून के पास लाखामंडल मंदिर में एक ऐंसा शिवलिंग स्थित है जिसपर जल चढ़ाने के बाद लोगों को अपना प्रतिबिम्ब शिवलिंग में दिखाई देने लग जाता है। यहां मौजूद भगवान आशुतोष का यह मंदिर हजारों साल पुराना है। ऐसी मान्यता है कि, आप इस शिवलिंग में पूरी दुनिया देख सकते हैं। वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो ऐसी मान्यता है कि, लाखामंडल मंदिर में मौजूद शिवलिंग में अपनी तस्वीर देखने से आपके सभी पाप कट जाते हैं। आइए जानते हैं लाखामंडल मंदिर और वहां मौजूद शिवलिंग के बारे में...

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उत्तराखंड के देहरादून स्थित लाखामंडल मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर जब श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं तो उन्हें सृष्टि का स्वरूप शिवलिंग में दिखाई देने लगता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस शिवलिंग पर अपनी तस्वीर देखने से आपके सभी पाप कट जाते हैं।


हिमालय पर्वत की वादियों में स्थित यह गांव लाखामंडल देहरादून से करीब 128 किलोमीटर दूर यमुना नदी के किनारे स्थित है। मन को लुभाने वाला यह स्थान प्रकृति की अनुपम कारीगरी यानी गुफाओं और भगवान शिव के मंदिर के प्राचीन अवशेषों से घिरा हुआ है।


माना जाता है कि इस मंदिर में प्रार्थना करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है। यहां पर खुदाई करते वक्त विभिन्न आकार के और विभिन्न ऐतिहासिक काल के शिवलिंग मिले हैं।


लाखामंडल मंदिर और आस-पास के इलाकों को ऐसा स्थान माना जाता है , जहां दुर्योधन ने लक्षाग्रह यानी लाख के घर में पांडवों को जीवित जलाकर मारने का षड़यंत्र किया था।


पौराणिक कथा के अनुसार, यह मंदिर पहली बार तब खोजा गया था जब एक गाय शिवलिंग पर हर दिन अपने दूध से नहलाती थी। एक दिन स्वामी ने अपनी गाय का पीछा किया और तब उन्हें इस मंदिर का पता चला। लाखामंडल मंदिर केदारनाथ मंदिर की एक प्रतिकृति है।


पौराणिक मान्यता है कि, मंदिर में अगर किसी शव को इन द्वारपालों के सामने रखकर मंदिर के पुजारी उस पर पवित्र जल छिड़कें तो वह मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जीवित हो उठता है।


जीवित होने के बाद वह भगवान का नाम लेता है और उसे गंगाजल प्रदान किया जाता है। गंगाजल ग्रहण करते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर त्यागकर चली जाती है, लेकिन इस बात का रहस्य क्या है यह आज तक कोई नहीं जान पाया।


इस स्थान की खुदाई करते वक्त अनेक प्रकार के आकार के और अनेक ऐतिहासिक काल के हजारों शिवलिंग यहां मिले हैं। देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लाखामंडल का ये पवित्र मंदिर यमुना नदी की तट पर बर्नीगाड़ नामक जगह से थोड़ी सी ही दूरी पर स्थित है।


इस मंदिर के पीछे दो द्वारपाल स्थित हैं, जिनमें से एक का हाथ कटा हुआ है । अब ऐसा क्यों हैं यह बात एक रहस्य ही बना हुआ है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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