Sunday Special: प्रेम का प्रतीक लक्ष्मण मंदिर, जानें किस रानी ने अपने पति की याद में कराया था इसका निर्माण

Sunday Special: छत्तीसगढ़ महासमुंद के पास सिरपुर में लाल ईंटों से निर्मित लक्ष्मण मंदिर सदियों पुराना है। यह मंदिर बाहर से देखने पर एक सामान्य हिंदू मंदिर जैसा ही दिखाई देता है, परन्तु इस मंदिर की वास्तुकला और निर्माण शैली बेजोड़ है। वहीं इस लक्ष्मण मंदिर को लाल ताज महल भी कहा जाता है। क्योंकि इस मंदिर का निर्माण एक रानी ने अपने पति की याद में कराया था। लक्ष्मण मंदिर में जटिल नक्काशी और प्राचीन कलाकृतियां देखने को मिलती है जोकि इस मंदिर को और भी अधिक आकर्षक बनाती हैं। वहीं इस मंदिर में पांच फन वाले शेषनाग के रुप में लक्ष्मण जी की प्रतिमा स्थापित है। तथा ये मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
मंदिर मं तीन बड़े संग्रहालय मौजूद हैं, जहां प्राचीन प्रतिमाओं का अनोखा संगम यहां देखने को मिलता है। लक्ष्मण मंदिर छत्तीसगढ़ में ईटों से निर्मित भारत का पहला मंदिर है। लक्ष्मण मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यह प्रसिद्ध मंदिर ईटों से एक ऊंचे प्लेटफॉर्म पर और तीन प्रमुख भागों में बना हुआ है जिन्हे गर्भ गृह (मुख्य घर), अंतराल (पैसज) और मंडप ( एक शेल्टर ) कहा जाता है। पूरी तरह से ईंट से निर्मित यह मंदिर बहुत विशाल है और भगवान विष्णु को समर्पित है।
वहीं उत्तर और दक्षिण दिशा से मंदिर के आंगन के शीर्ष तक पहुंचने के चरण हैं। मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत ही सुंदर और यह द्वार मंदिर में आने वाले लोगों के आकर्षण का केन्द्र है। मंदिर के प्रवेश द्वार में शेष भगवान विष्णु उत्कीर्ण हैं। विष्णु लीला के दृश्य और भगवान विष्णु के मुख्य अवतार भी वर्णित हैं।
लक्ष्मण मंदिर न केवल प्राचीन स्मारक है, बल्कि यह मंदिर 'गहरे प्रेम' का एक अनूठा और बेजोड़ उदहारण है। यह पति के प्यार का प्रतीक माना जाता है और इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में 735-40 ई. में कराया गया था।
मान्यता है कि लक्ष्मण मंदिर का निर्माण महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल में राजा हर्षगुप्त की याद में रानी वसाटा देवी ने कराया था।
वहीं यहां खुदाई में मिले शिलालेखों के अनुसार, लक्ष्मण मंदिर अद्वितीय प्रेम स्मारक ताजमहल से भी पुराना और भगवान विष्णु के लिए समर्पित है, परन्तु मंदिर में पांच फन वाले शेषनाग जी विराजमान हैं और शेषनाग जी को लक्ष्मण जी का ही स्वरुप माना जाता है। इसलिए यह मंदिर लक्ष्मण मंदिर के नाम से विश्व में प्रसिद्ध है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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