Sunday Special: द्रौपदी के इस पाप की वजह से हुआ चीरहरण!, जानें इसकी पूरी सच्चाई

Sunday Special:  द्रौपदी के इस पाप की वजह से हुआ चीरहरण!, जानें इसकी पूरी सच्चाई
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Sunday Special: आखिर द्रोपदी के किस पाप के कारण उसका भरी सभा में चीर हरण हुआ। तो आइए जानते हैं कि द्रोपदी ने कौनसा पाप किया था, जिसके कारण अनेक योद्धाओं से खचाखच भरे हुए हस्तिनापुर के सभा भवन में उसके वस्त्र उतार कर उसे नग्न करने का प्रयत्न किया गया।

Sunday Special: आखिर द्रोपदी के किस पाप के कारण उसका भरी सभा में चीर हरण हुआ। तो आइए जानते हैं कि द्रोपदी ने कौनसा पाप किया था, जिसके कारण अनेक योद्धाओं से खचाखच भरे हुए हस्तिनापुर के सभा भवन में उसके वस्त्र उतार कर उसे नग्न करने का प्रयत्न किया गया।

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चीर हरण की कथा

जब धर्मराज युधिष्ठिर कौरवों से जुआ में अपना सबकुछ हार गए और द्रोपदी को भी दांव पर लगाकर हार गए तब दुर्योधन ने अपने भाई दुशासन को द्रोपदी को बीच सभा भवन में लाकर उसके वस्त्र उतारने का आदेश दिया।


दुशासन जब पांचाली का चीर खींचने लगा तो उसने सभा भवन में उपस्थित सभी लोगों से मदद मांगी, लेकिन किसी भी व्यक्ति ने द्रोपदी की कोई मदद नहीं की। अंत में द्रोपदी ने अपने आप को असहाय जानकर उसने भगवान श्रीकृष्ण को याद किया और उनसे अपनी लाज बचाने की प्रार्थना की और उनसे पूछा कि, हे! भक्तवत्सल आप तो कहते हो कि मानव को अपने पाप और पुण्य कर्मों का ही फल उसका मान और अपमान कराता है। तो हे करूणानिधान मैंने कौन सा ऐसा पाप कर्म किया है, जिसके कारण आज अनेक महारथियों से भरी राज्यसभा में सबके सामने मेरा चीरहरण हो रहा है। तब भगवान ने द्रोपदी को उसके पूर्व जन्म का स्मरण कराया।


कथा के अनुसार, अपने पूर्व जन्म में द्रोपदी एक राजकुमारी थी। एक दिन जब द्रोपदी अपनी सखियों के संग गंगास्नान के लिए जा रही थी तो उसने देखा कि गंगा में एक संत स्नान कर रहे थे और उनके अंग वस्त्र गंगा के किनारे रखे हुए थे। यह देखकर द्रोपदी को शरारत करने का विचार उसके मन में आया और उसने अपनी सखियों के साथ मिलकर उस संत के अंग वस्त्र एक स्थान पर छिपा दिए और चुपचाप किसी दूसरे घाट पर स्नान करने के लिए चली गई।


स्नान करने के पश्चात अपनी सखियों के साथ हंसते हुए और आमोद-प्रमोद करते हुए द्रोपदी अपने महल को चली गई। इधर जब संत गंगास्नान करने के उपरांत जल से बाहर आए तो अपने वस्त्र गंगातट पर ना पाकर परेशान हो गए और इधर-उधर खोजने लगे। बहुत खोजबीन के पश्चात संत को अपने अंगवस्त्र एक जगह छिपे हुए मिल गए। तब उस संत ने क्रोधित होकर श्राप दिया कि आज जिसने भी मेरे साथ ऐसा घृणित परिहास किया है और मेरे वस्त्र हरण किए हैं, एक दिन उसे भी अपने वस्त्र हरण होने पर समाज के सामने लज्जित होना पड़ेगा।


इसी श्राप के कारण द्रोपदी को यह अपमान झेलना पड़ा। परन्तु भगवान श्रीकृष्ण की भक्त होने के कारण भगवान ने उसकी पुकार सुनी और उसके चीर को बढ़ाकर उसके सम्मान की रक्षा की।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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