Sunday Special: गऊ माता को पार्वती मां ने क्यों दिया झूठन खाने का श्राप, जानें इसका रहस्य

Sunday Special: भारत में गाय को माता का स्थान प्राप्त है। पुराणों में गऊ माता को साक्षात देव की संज्ञा दी जाती है। माना जाता है कि, कामधेनु का हर अंश मानव मात्र के लिए वरदान है। हर गृहस्थी की रसोई में पहली रोटी गऊ माता के नाम से निकाली जाती है। सुख और दु:ख से जुड़ा कोई भी धार्मिक काम या फिर अनुष्ठान गऊ माता का ग्रास निकाले बिना पूरा नहीं होता है। इसके बावजूद गऊ माता के झूंड के झूंड कचरे के ढेर पर झूठन से पेट भरते दिखाई देते हैं। इसे देखकर मन में प्रश्न आना स्वाभाविक है कि, आखिर गऊ माता की आज ऐसी दुगर्ति क्यों है। इस प्रश्न का उत्तर मां पार्वती के श्राप से जुड़ा है।
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एक बार की बात है, जब भगवान शिव और मां पार्वती समुद्र के किनारे विहार के लिए गए। इस दौरान भगवान शिव के मन में एक शरारत सूझी और उन्होंने कहा कि, देवी पार्वती मुझे अचानक एक आवश्यक कार्य के लिए जाना पड़ रहा है। मैं कार्य पूर्ण होती ही शीघ्र आपके पास आता हूं। आप यहीं मेरी प्रतीक्षा कीजिए।
असल में भगवान शंकर माता पार्वती को परेशान करना चाहते थे। भगवान शिव की बात मानकर माता पार्वती अकेली ही समुद्र तट पर बैठकर उनकी प्रतीक्षा करने लगीं और इसी तरह शाम हो गई। उस दिन तीज की तिथि थी, जब रात तक शिवजी नहीं लौटे तो मां पार्वती ने समुद्र तट पर ही रेत की शिवलिंग का निर्माण किया और आसपास उपलब्ध पूजन सामग्री से शिवजी की रात भर निर्जल और निराहार उपासना की और व्रत संपन्न किया।
भगवान शिव वहां सूक्ष्म रुप में पहले से ही विराजमान थे और वो सभी गतिविधियों को निहार रहे थे। सुबह होते ही मां पार्वती से समुद्र में रेत की शिवलिंग और पूजन सामग्री को विसर्जित कर दिया। इसके थोड़ी ही देर बाद शिवजी प्रकट हो गए और बोले कि, हे! देवी पार्वती आपने कल तीज की तिथि पर मेरी पूजा नहीं की।
पार्वती जी ने कहा कि, भगवन मैने आपकी पूजा की है और अभी सामग्री विसर्जित की है। भगवान शिव अभी भी मां पार्वती के साथ ठिठोली करना चाहते थे और बोले कि हे! पार्वती मुझे तो पूजा का कोई चिह्न दिखाई नहीं दे रहा है। अगर आपने पूजा की है तो उसका प्रमाण दीजिए।
शिवजी की बात सुनकर माता पार्वती ने आसपास देखा और उन्हें वहां एक गाय खड़ी दिखाई दी। उन्होंने भगवान शिव से कहा कि, ये गाय मेरी साक्षी है। जब मैं पूजा कर रही थी तब ये उपस्थित थी।
भगवान सदा शिव ने गाय से पूछा कि, क्या पार्वती ने पूजा की है, तो गाय ने ना में सिर हिला दिया। भगवान शिव ने कहा कि, पार्वती आप असत्य कह रही हैं। गाय ने तो गवाही नहीं दी। भगवान शिव के समाने स्वयं को अकारण झूठा साबित होना मां पार्वती जी को सहन नहीं हुआ और उन्होंने उसी वक्त गाय को श्राप दिया कि तू दिव्य जन्मा है, जगत कल्याण के लिए प्रकट हुई है, इसलिए जनहित के लिए तेरे गुण यथावत रहेंगे। किन्तु जिस मुख से तुमने ये झूठी गवाही दी है, उसे दण्ड भुगतना पड़ेगा। झूठ बोलने के कारण ही अब झूठन ही तेरा आहार होगा। इस तरह झूठ बोलने से गऊ माता पार्वती देवी के क्रोध की भागीदार बनी और आज तक उनकी संतान अच्छा भोजन प्राप्त होने के बावजूद भी झूठन ही खाती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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