Sunday Special : सरकार की अनदेखी से विलुप्त हुआ पर्यटन स्थल आहार, एक क्लिक में देखें यहां की पूरी जानकारी

- आहार पर्यटन स्थल बुलंदशहर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
- आहार के आसपास कई पौराणिक मंदिर और आश्रम मौजूद हैं।
Sunday Special : सिद्ध बाबा मंदिर बुलंदशहर जनपद के आहार कस्बे में पवित्र भागीरथी नदी (गंगा) के तट पर स्थित है। यह पर्यटन स्थल जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर है। यहां आसपास कई पौराणिक मंदिर मौजूद हैं, जिनमें आहार महादेव, सिद्ध बाबा मंदिर और मांडव ऋषि का मंदिर प्रमुख हैं। वहीं यहा ये कुछ ही दूरी पर गंगा के तट पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल अवंतिका देवी का मंदिर स्थित है, ऐसी मान्यता है कि यहीं से भगवान श्रीकृष्ण ने रूकमणी का हरण किया था। यहां पर पवित्र गंगा की धारा अविरल रूप से बहती है।
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ऐसी मान्यता है कि सिद्ध बाबा मंदिर की स्थापना सिद्ध गुरु गोरखनाथ ने की थी। यह तीर्थस्थल बहुत प्राचीन है। यहां हनुमान जी की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को बुरे स्वप्न आते हैं अथवा जो लोग ऊपरी बाधा, प्रेत बाधाओं से ग्रस्त हैं, ऐसे लोगों की समस्याओं का निवारण यहां पर चुटकियों में हो जाता है। इस मंदिर में मौजूद साधु भक्तों को भवूती और धागा आदि अभिमंत्रित करके देते हैं, जिसके प्रभाव से लोगों को ऊपरी बाधा, बुरे स्वप्न और प्रेत बाधा आदि से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है। तथा इस भवूती और अभिमंत्रित धागे की मदद से लोगों को सभी प्रकार के मानसिक तनावों और अन्य बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है।
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यहां पर आसपास ही दो सिद्ध बाबाओं के मंदिर स्थित हैं। जिनमें एक प्राचीन सिद्ध बाबा मंदिर है और दूसरा नवीन सिद्ध बाबा मंदिर के नाम से विख्यात है। आचार्य पंकज कौशिक के अनुसार यहां पर प्रत्येक अमावस्या और पूर्णिमा के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु लोग आते हैं और विशेष रुप से भंडारा और प्रसाद का वितरण करते हैं। तथा गंगा स्नान करके पुण्य लाभ कमाते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त एक बार सिद्ध बाबा के दर्शन कर लेता है उसका जीवन धन्य हो जाता है और उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
ये सिद्ध तीर्थ आहार महादेव शिव मंदिर के निकट ही स्थित है। वहीं आहार महादेव शिव मंदिर के विषय में लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भूतों ने एक ही रात में किया था। वहीं कुछ ऐसी भी मान्यताएं हैं कि इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग स्वयंभू हैं और अर्द्ध ज्योर्तिलिंग माने जाते हैं। इस मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से लाखों की तादाद में लोग आते हैं। वहीं सरकार की अनदेखी और असुविधाओं के चलते यह मंदिर इतना प्रसिद्ध नहीं हो पाया है, लेकिन फिर भी इस मंदिर की आस्था और विश्वास में कोई कमी नहीं है। यहां प्रतिवर्ष सावन और फाल्गुन मास में मेला लगता है और बुलंदशहर जनपद और उसके आसपास के जनपदों के लाखों लोग यहां महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करते हैं। वहीं यह क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से अपनी एक विशेष भूमिका रखता ही है, लेकिन दूर-दराज से भी लोग यहां पर प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या के दिन दर्शन के लिए आते हैं। वहीं ऐसी मान्यता है कि यहां इस मंदिर में पांडवों ने भी भगवान शिव की पूजा की थी। जिसके प्रताप से उन्हें अपने कौरव भाईयों के साथ युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी।
वहीं सिद्ध बाबा मंदिर से कुछ ही दूरी पर मांडव ऋषि का मंदिर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि मांडव ऋषि ने यहां तपस्या की थी। ऐसी मान्यता है कि जब मांडव ऋषि समाधि में लीन थे तो कुछ लोगों ने उनके शरीर को अंग भंग कर दिया था। ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि दुष्ट लोगों ने उनके आधे पेट और एक हाथ को काट दिया था। यहां पर मांडव ऋषि की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर गंगा नदी के किनार और मवई गांव से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यहां की विशेषता यह है कि यहां पर हजारों साल पुराना एक बरगद का वृक्ष है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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