Sunday Special: त्रिकुट पर्वत की इस पवित्र गुफा में आज भी मां वैष्णो देवी कर रहीं हैं भगवान श्रीराम के आने का इंतजार, जानें इसकी पूरी सच्चाई

Sunday Special: त्रिकुट पर्वत की इस पवित्र गुफा में आज भी मां वैष्णो देवी कर रहीं हैं भगवान श्रीराम के आने का इंतजार, जानें इसकी पूरी सच्चाई
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Sunday Special:जम्मू के त्रिकुट पर्वत पर मां की एक विशाल और भव्य गुफा है। इस गुफा में प्राकृतिक रुप से तीन पिंडी बनी हुई हैं। ये तीनों पिंडी देवी सरस्वती, लक्ष्मी और मां काली की हैं। भक्तों को इन्हीं पिंडियों की दर्शन होते हैं, लेकिन माता वैष्णों की यहां कोई पिंडी नहीं है। यहां माता वैष्णों देवी अदृष्य रुप में विद्यमान रहती हैं। फिर भी यह स्थान वैष्णों देवी तीर्थ कहलाता है।

Sunday Special:जम्मू के त्रिकुट पर्वत पर मां की एक विशाल और भव्य गुफा है। इस गुफा में प्राकृतिक रुप से तीन पिंडी बनी हुई हैं। ये तीनों पिंडी देवी सरस्वती, लक्ष्मी और मां काली की हैं। भक्तों को इन्हीं पिंडियों की दर्शन होते हैं, लेकिन माता वैष्णों की यहां कोई पिंडी नहीं है। यहां माता वैष्णों देवी अदृष्य रुप में विद्यमान रहती हैं। फिर भी यह स्थान वैष्णों देवी तीर्थ कहलाता है।

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इसका कारण यह है कि, माता यहां अदृष्य रुप में उस वचन को पूरा होने का इंतजार कर रही हैं, जोकि भगवान श्रीराम ने लंका से लौटते समय देवी त्रिकुटा को दिया था। इस संदर्भ में एक कथा है कि, धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु के अंश से एक कन्या का जन्म दक्षिण भारत में रामेश्वर तट पर पंडित रतनाकर के घर हुआ था। नौ वर्ष की आयु में जब इन्हें पता चला कि, भगवान विष्णु ने राम के रुप में अवतार लिया है, तब देवी त्रिकुटा ने राम को पति रुप में पाने के लिए तपस्या शुरु कर दी।


सीता हरण के बाद भगवान श्रीराम जब सीता को ढूंढते हुए जब रामेश्वर तट पर पहुंचे तब यहां प्रभु राम और देवी त्रिकुटा की पहली मुलाकात हुई। देवी त्रिकुटा ने श्रीराम को पति रुप में पाने की इच्छा प्रकट की। तब भगवान श्रीराम ने देवी त्रिकुटा से कहा कि, मैने इस अवतार में एक पत्नीव्रत रहने का वचन लिया है और मेरा विवाह सीता से हो चुका है। इसीलिए मैं आपसे विवाह नहीं कर सकता हूं।


देवी त्रिकुटा ने जब बहुत अनुनय-विनय किया तब श्रीराम ने कहा कि, लंका से लौटते समय मैं आपके पास आऊंगा, अगर तब आप मुझे पहचान लेंगी तो मैं आपसे विवाह कर लूंगा।


श्रीराम ने अपने वचन का पालन किया और वे लंका से लौटते समय वे देवी त्रिकुटा के पास आये, लेकिन भगवान श्रीराम की माया के कारण देवी त्रिकुटा उन्हें पहचान ना सकीं।


देवी त्रिकुटा के दुख को दूर करने के लिए श्रीराम ने अपने वचन का पालन किया और कहा कि, हे देवी हिमालय में स्थित त्रिकुट पर्वत पर एक दिव्य गुफा है, जहां उस गुफा में तीन महाशक्तियां महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली पिंडी रुप में विराजमान हैं, आप उसी गुफा में जाकर मेरी प्रतीक्षा कीजिए।


कलयुग में जब मेरा अवतार होगा, तब मैं आकर आपसे विवाह करुंगा और तब तक महावीर हनुमान आपकी सेवा में रहेंगे और धर्म की रक्षा में आपकी सहायता करेंगे। धर्म का पालन करने वाले भक्तों की आप मनोकामना पूरी कीजिएगा।


भगवान राम के आदेश के अनुसार, आज भी वैष्णो माता उनकी प्रतीक्षा यहां पर कर रहीं हैं और अपने दरबार में आने वाले भक्तों के दुख दूर करती हैं। तथा उनकी झोली सुख और ऐश्वर्य से भरती हैं।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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