जानिए कुंडली में ग्रहण योग, सूर्य-चंद्र ग्रहण के दोष एवं उपाय

ग्रहण दोष दो प्रकार के होते है सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण। ग्रहण योग उस स्थिति में बनता है जबकि कुंडली के द्वादश भावों में से किसी भाव में सूर्य अथवा चन्द्रमा के साथ राहु व केतु में से कोई एक साथ बैठा हो या फिर सूर्य या चन्द्रमा के घर में राहु केतु में से कोई मौजूद हो। अगर इनमें से किसी प्रकार की स्थिति कुंडली में बन रही है तो इसे ग्रहण योग कहेंगे। तो आइए आप भी जानें श्रीराम कथा वाचक पंडित उमाशंकर भारद्वाज के अनुसार कुंडली में ग्रहण योग, सूर्य-चंद्र ग्रहण के दोष एवं उपाय के बारे में जरुरी बातें।
ग्रहण योग जिस भाव में लगता है उस भाव से संबंधित विषय में यह अशुभ प्रभाव डालता है। जैसे- सूर्य को ग्रहण लग जाने पर अंधकार फैल जाता है और चन्द्रमा को ग्रहण लगने पर चांदनी खो जाती है उसी प्रकार जीवन में बनता हुआ काम अचानक रूक जाता हो तो ज्योतिष शास्त्र की नजर में यह अशुभ ग्रहण योग का प्रभाव है।
सूर्य ग्रहण दोष
सूर्यग्रहण से व्यक्ति कभी भी जीवन में स्टेबल नहीं हो पाता है, हड्डियां कमजोर हो जाती है, पिता से सुख भी नहीं मिलता।
सूर्य ग्रहण के उपाय
1. छह नारियल अपने सिर पर से वार कर जल में प्रवाहित करें।
2. आदित्यहृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें।
3. सूर्य को जल चढ़ाएं अर्थात अर्घ्य दें।
4. एकादशी और रविवार का व्रत रखें।
5. गेहूं, गुड़ व तांबे का दान दें।
चंद्र ग्रहण दोष
चन्द्र ग्रहण से मानसिक पीड़ा और माता को हानि पहुंचती है। स्वास्थ संबंधी कई गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।
चंद्र ग्रहण के उपाय
1. सोमवार और प्रदोष का व्रत रखें।
2. दाढ़ी और चोटी न रखें।
3. सोमवार को केसर की खीर खाएं और कन्याओं को खिलाएं।
4. सोमवार के दिन श्वेत वस्त्रों का दान करना चाहिए।
5. शिवजी की पूजा करें और चावल का दान करें।
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