Vat Savitri Vrat 2021 : जानिए, वट सावित्री का व्रत ये चार महिलाएं कभी ना करें, वरना हो जाएगा भारी अनर्थ

- वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए करती हैं।
- वट सावित्री व्रत करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
Vat Savitri Vrat 2021 : वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए करती हैं। इस व्रत को करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जिन महिलाओं को संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा है वे भी इस व्रत को करके संतान सुख को प्राप्त कर सकती हैं। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रखा जाता है। मान्यता है कि माता सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर इसी दिन ले आई थीं। इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को जो भी महिला सच्चे मन-वचन और पूर्ण श्रद्धा से करती है, उसे ना केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि उसके पति पर आए सभी दुख और संकटों का भी नाश हो जाता है, लेकिन वहीं इस व्रत को करने के लिए कुछ महिलाओं को मनाही है। इससे उन महिलाओं को लगता है भारी पाप और होती है भंयकर बर्बादी, दुख-दरिद्रता उन्हें घेर लेती है। तो आइए जानते है ऐसी ही चार महिलाओं के बारे में।
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जो महिलाएं अपने पति के साथ प्रेम पूर्वक नहीं रहती हैं। बात-बात पर लड़ाई -झगड़ा करती हैं। वाद-विवाद उनमें लंबे समय से चला आ रहा है, रोज सुबह-शाम में वे आपस में झगड़ा करती हैं और उनकी ये बात तलाक तक पहुंच चुकी हो तो ऐसे में उन महिलाओं को पवित्र वट सावित्री व्रत नहीं करना चाहिए।
लंबे समय से पति-पत्नी में दूरी हो तो इस व्रत को करने से पाप लगता है। इस व्रत के नियम आप पति के बिना पूरे नहीं कर सकती हैं। तो ऐसे में आप वट सावित्री का व्रत ना करें। ऐसे में आप वट सावित्री व्रत को पूर्णरूपेण पूरा नहीं कर पाएंगी और आपका व्रत खंडित हो जाएगा। इसलिए आप वट सावित्री का व्रत करना चाहती हैं तो आप अपने आपसी रिश्ते को पूरी तरह सुधार लें और फिर इस व्रत का पालन करें। तब यह व्रत पूर्ण होगा।
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वहीं दूसरी महिलाएं जो शादीशुदा तो हैं और उनका दांपत्य जीवन खुशियों से भरा नहीं है। वे अपने पति से प्रेम ही नहीं करती हैं, वे अपने मन में दूसरे पुरुषों के लिए प्रेम रखती हैं अथवा उनके पति किसी और औरत के बारे में विचार करें तो ऐसे जोड़े वट सावित्री का व्रत कभी ना करें। यह विचार आपके लिए अच्छा नहीं होता। ऐसी महिलाएं और ऐसे पुरुष पाप के भागीदार होते हैं। आप अपने पति से प्रेम करते हैं या आपके पति आपसे प्रेम करते हैं तो आप बहुत ही भाग्यशाली हैं। आप आपस में प्रेम पूर्वक ही रहें। क्योंकि शादी-विवाह के लिए जोड़े स्वर्ग से ही बनकर आते हैं। भगवान पति और पत्नी के जोड़े पहले से ही तय कर देते हैं। शादीशुदा रिश्ते को प्रेम भरा और पवित्र बनाए रखना चाहिए। इसलिए आप अपने जीवनसाथी के साथ ईमानदारी पूर्वक रहें। तभी आप वट सावित्री का व्रत पूरा कर सकती हैं।
वहीं गर्भवती महिलाओं के लिए व्रत रखना बहुत ही मुश्किल होता है। गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हमारे हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार, गर्भवती महिलाएं व्रत ना रखें। केवल वहीं महिलाएं व्रत कर सकती हैं जिनका स्वास्थ्य अच्छा है और जो महिलाएं व्रत करने के लिए सक्षम हैं तभी व्रत करें। अगर आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है और आप व्रत रखने में सक्षम नहीं हैं तो ये व्रत ना करें। इससे उन महिलाओं को इस व्रत का लाभ नहीं मिलता।
वहीं वे महिलाएं जो पति-पत्नी की तरह रहते तो हैं, लेकिन उन्होंने सनातन हिन्दू रीति रिवाज से पाणिग्रहण (विवाह) ही नहीं किया है। यानी कि वे लोग विवाह के बंधन में बंधे ही नहीं हैं। उन्होंने सात फेरे लिए ही नहीं हैं। ऐसे पति और पत्नी का वट सावित्री व्रत करना अशुभ माना जाता है। ऐसे रिश्ते वट सावित्री व्रत करने के लिए मान्य नहीं हैं। बल्कि ये रिश्ते अशुभ होते हैं। इन्हें वट सावित्री का व्रत कभी नहीं करना चाहिए।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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