जानिए उल्लू की पूजा क्यों होती है

जानिए उल्लू की पूजा क्यों होती है
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ullu puja ki story: एक समय की बात है। एक धनीराम नाम का व्यक्ति था। वह मां लक्ष्मी का बहुत बड़ा भक्त था। एक दिन धनीराम ने प्रण लिया कि वह मां ल्क्ष्मी को धरती पर आने के लिए मजबूर करेगा।

ullu puja ki story: एक समय की बात है। एक धनीराम नाम का व्यक्ति था। वह मां लक्ष्मी का बहुत बड़ा भक्त था। एक दिन धनीराम ने प्रण लिया कि वह मां ल्क्ष्मी को धरती पर आने के लिए मजबूर करेगा। और ऐसी पूजा करेगा कि मां लक्ष्मी उसे स्वयं दर्शन देने आएंगी।

ऐसा मन में ठानकर उसने मां लक्ष्मी की विधिविधान से पूजा प्रारंभ कर दी। और उसने ऐसी पूजा की जिसने विष्णु लोक को हिलाकर रख दिया। और मां लक्ष्मी ने सोचा कि भगवान विष्णु विश्राम कर रहे हैं। उनकी निन्द्रा भंग हो गई तो अच्छा नहीं होगा। इससे अच्छा है कि धनीराम को दर्शन दे दिए जायें। क्योंकि भगवान विष्णु विश्राम कर रहे थे तो मां लक्ष्मी ने सोचा कि अपनी सवारी उल्लू पर ही पृथ्वी लोक पर चलते हैं। तो मां लक्ष्मी ने उल्लू को बुलाया और उस पर सवारी होकर मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक में धनीराम के घर पहुंच गई। मां लक्ष्मी को साक्षात् अपने घर में देखकर धनीराम बहुत खुश हुआ। क्योंकि उस दिन दीपावली का दिन था। तो दीपावली के दिन मां लक्ष्मी को अपने घर पाकर धनीराम गदगद हो गया।

मां लक्ष्मी ने धनीराम के घर खूब धनवर्षा की। और जब मां लक्ष्मी वापस विष्णु लोक को जाने लगी तो धनीराम ने कहा कि हे मां मैं आपको बिना कुछ खाए वापस नहीं जाने दूंगा। इस बात को सुनकर मां लक्ष्मी ने धनीराम का कहना मान लिया। तब उल्लू ने देखा कि धनीराम ने मां लक्ष्मी को तो खाने के चक्कर में डाल दिया है क्यों ना इतनी देर में मैं पृथ्वी लोक का एक चक्कर लगा आऊं।

उल्लू मां लक्ष्मी की आज्ञा लेकर पृथ्वी लोक की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़ा। पर उल्लू ने पृथ्वी पर जो देखा वह उसे देखकर दंग रह गया। उसने देखा कि पृथ्वी पर भगवान शिव की पूजा होती है और उनके साथ में भगवान शिव की सवारी नन्दी की भी पूजा होती है। कहीं शनिदेव की पूजा हो रही है तो साथ में उनकी सवारी की भी पूजा हो रही है। कही भैंसे की तो कही कौआ की पूजा हो रही है।

परन्तु उस दिन दीपावली का दिन था और सभी लोग लक्ष्मी जी की पूजा कर रहे थे। पर उल्लू की पूजा कोई भी व्यक्ति नहीं कर रहा था। क्योंकि मां लक्ष्मी की सवारी उल्लू था। इसलिए उल्लू भी चाहता था कि उसकी भी पूजा हो। लेकिन कहीं भी उल्लू की पूजा नहीं हो रही थी।

इस पर उल्लू मां लक्ष्मी को बिना कुछ बताए जंगल में जाकर छिप गया। मां लक्ष्मी जब धनीराम के घर से जाने लगी तो उन्होंने देखा कि उल्लू कही भी दिखाई नहीं दे रहा है। और जब मां ने अपने ध्यान के द्वारा देखा तो मां लक्ष्मी समझ गई कि उल्ल रूठकर जंगल में बैठा हुआ है। तो मां उसके पास गई और रूठने का कारण पूछा।

उल्लू ने मां लक्ष्मी को पूरी बात बताई। तो मां लक्ष्मी ने कहा कि तुमने क्या लेना है अपनी पूजा करवाकर।

परन्तु उल्लू ने कहा कि मैं जब तक नहीं मानूंगा जब तक पृथ्वी पर मेरी पूजा नहीं होगी। और आप मुझे मेरी पूजा का वरदान नहीं दोगी। मैं विष्णु लोक वापस नहीं जाऊंगा।

मां लक्ष्मी ने उल्लू से कहा कि देख दीपावली के दिन पृथ्वी लोक पर सभी लोग मेरी पूजा करते हैं। पर ठीक है अब धरती पर उल्लू की भी पूजा होगी। मां लक्ष्मी के मुख से ऐसा सुनकर उल्लू वापस विष्णु लोक को चला गया।

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