ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली मंत्र जिसे सुनने मात्र से दूर होती हैं सभी मुश्किलें, आप भी जानें

सनातन धर्म में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व माना जाता है। धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि अगर सही तरीके से मंत्रों का उच्चारण किया जाए, तो यह जीवन की दशा भी बदल देते हैं। लेकिन कई बार बहुत से लोग मंत्रों को सही तरीके से उच्चारित नहीं कर पाते हैं। और जब उन लोगों को मंत्रों का फल प्राप्त नहीं होता तो उनका विश्वास डगमगाने लगता है। इसलिए आज शास्त्रों के आधार पर एक ऐसा शक्तिशाली मंत्र बता रहे हैं। जिसके सुनने और उच्चारण करने मात्र से आपकी सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। तो आइए आप भी जानिए ऐसे चमत्कारी मंत्र के बारे में।
धर्मशास्त्रों में भगवान ब्रहमा जी सृष्टि का सृजनकर्ता बताया गया है। और भगवान महादेव को संहारक तथा भगवान विष्णु को पालनहार बताया जाता है। हिन्दू धर्म में विष्णु सहस्त्रनाम को सबसे पवित्र स्त्रोत में से एक माना गया है। इसमें भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन किया गया है। मान्यता है कि इसके पढ़ने और सुनने से लोगों की इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
महाभारत के अनुशासन पर्व में भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन मिलता है। जब भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर लेटे हुए होते हैं, तो उस समय महाराज युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि हे पितामह संसार में कौन ऐसा है जो सर्वव्यापी है, सर्वशक्तिमान है? तब पितामह भीष्म ने भगवान विष्णु के एक हजार नाम बताए थे। भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि हर युद्ध में भगवान विष्णु के इन नामों को पढ़ने या सुनने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। और यदि प्रतिदिन इन एक हजार नामों का जाप किया जाए तो सभी मुश्किलें हल हो सकती हैं। इस स्त्रोत के संस्कृत में होने के कारण आम लोगों को पढ़ने में कठिनाई आती है। इसलिए एक सरल से मंत्र का उच्चारण करके आप वैसा ही फल प्राप्त कर सकते हैं। जो फल आपको विष्णु सहस्त्रनाम के उच्चारण करने से मिलता है।
मंत्र
"नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे. सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:"
जीवन में आने वाली बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन सुबह इस मंत्र का जाप करना चाहिए। विष्णु सहस्त्रनाम के जाप में बहुत सारे चमत्कार समाये हैं। इस मंत्र को सुनने मात्र से सात जन्मों के पाप कट जाते हैं। जीवन की सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस मंत्र का उच्चारण करते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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