उल्लू के अंगों का ऐसे करें प्रयोग, होंगे लाभ ही लाभ

उल्लू के अंगों का ऐसे करें प्रयोग, होंगे लाभ ही लाभ
X
उल्लू को हमेशा से एक रहस्यमयी पक्षी माना जाता रहा है। ऐसा बताया जाता है कि उल्लू रात में जागता और दिन में सोता है। उल्लू माता लक्ष्मी का वाहन है। तांत्रिक लोग उल्लू का प्रयोग तंत्र साधनाओं में करते रहते हैं। उल्लू के पंख आम तौर पर जंगलों में गिरे हुए प्राप्त होते हैं। आम तौर पर धारणा है कि उल्लू का घर में पालना नहीं चाहिए।

उल्लू को हमेशा से एक रहस्यमयी पक्षी माना जाता रहा है। ऐसा बताया जाता है कि उल्लू रात में जागता और दिन में सोता है। उल्लू माता लक्ष्मी का वाहन है। तांत्रिक लोग उल्लू का प्रयोग तंत्र साधनाओं में करते रहते हैं। उल्लू के पंख आम तौर पर जंगलों में गिरे हुए प्राप्त होते हैं। आम तौर पर धारणा है कि उल्लू का घर में पालना नहीं चाहिए।

उल्लू रात्रि में दिखाई देने वाला पक्षी है और इसका प्रमुख भोजन चूहा होता है। मान्यता यह है कि उल्लू को किसी भी संकट का पूर्वानुमान हो जाता है, इसलिए इसे 'अपशकुन' का प्रतीक भी माना गया है। तंत्र क्रियाओं में तो उल्लू की विशिष्ट भूमिका देखी जाती रही है, इसीलिए तांत्रिक तंत्र शक्तियों के लिए अक्सर उल्लू का उपयोग करते रहे हैं। प्राचीन काल में मौसम का हाल जानने के लिए भी उल्लुओं का उपयोग किया जाता था। उल्लू से संबंधित कुछ तंत्र साधनाएं हम आपको बताने जा रहे हैं।

ऐसे करें प्रेत दोषों का नाश

उल्लू के दांये पंख का धूप–दीप आदि से पूजन करें। फिर ॐ नमो कालरात्रि। मंत्र का 1008 बार जाप करें। और फिर इसी मंत्र का जाप करते हुए पंख को किसी ताबीज में बन्द करके पीड़ित व्यक्ति के गले में पहना दें तो पीड़ित व्यक्ति से पास से भूत–प्रेत आदि समस्त दोष दूर हो जाते हैं।

ऐसे करें ग्रहों का दुष्प्रभाव दूर

उपरोक्त विधि से तैयार किए गए ताबीज को पीड़ित व्यक्ति की दाहिनी भुजा में बांध देने से दुष्ट ग्रहों का दुष्प्रभाव भी दूर हो जाता है।

ऐस बढ़ाए कारोबार

उल्लू की पूंछ के पंखों को किसी भी महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी, दशमी या अमावस्या को लेकर आए। फिर उनका धूप–दीप आदि से विधि पूवर्क मनोभाव से पूजन करें और उन्हें किसी ताबीज में बन्द करके अपने दांये हाथ में बांधे तो कारोबार में बहुत उन्नति होती है।

ऐसे करें पत्नी को वश में

अगर किसी की पत्नी उसके वश में न रहती हो तो वह पुरुष किसी भी महीने की सप्तमी, नवमी या पूर्णिमा को प्रात: काल ही उल्लू के सिर के पंखों को लेकर आए। फिर उनका धूप–दीप आदि से विधि पूवर्क मनोभाव से पूजन करके उनको सोने के ताबीज में बन्द करके अपने दाहिने हाथ पर बांध ले। इससे धीरे–धीरे पत्नी से प्रेम–भाव बढ़ने लगता है और झगड़े समाप्त हो जाते हैं।

ऐसे बढ़ाए बुद्धि

कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले ही उल्लू के पेट के पंखों को ले आएं। फिर उनका धूप–दीप आदि से पूजन करके उनको सोने के ताबीज में बन्द करके हाथ में बांध दें (पुरुष हो तो उसके दाहिने हाथ में बांधे और नारी हो तो उसके बांए हाथ में बांधे)। ऐसा करने से धीरे–धीरे बुद्धि विकसित होने लगती है।

मिरगी दूर करने के लिए तंत्र क्रिया

उल्लू के ग्यारह पंख और एक सफेद रंग का सूती कपड़ा लाकर रख लें। फिर इन पंखों को एक–एक करके जलाएं और उनके धुंएं को उस सफेद कपड़े पर एकत्रित करते रहें। फिर उस कपड़े को लपेटकर उसकी बत्ती बनाकर रख लें। फिर शनिवार के दिन प्रात:काल इस बत्ती को पीड़ित व्यक्ति के हाथ में बांध दें (परुष हो तो उसके दाहिने हाथ में बांधे और महिला हो तो उसके बांए हाथ में बांधे)। इससे मिरगी की बीमारी धीरे–धीरे ठीक होने लगती है।

मान्यता-कोई उल्लू किसी के घर पर बैठना प्रारम्भ कर दे तो वह शीघ्र ही उजड़ जाता है। यदि किसी घर की छत पर बैठकर बोलता है तो उस घर के स्वामी या परिवार के सदस्य की निश्चित रूप से मृत्यु होती है। यदि किसी के दरवाजे पर उल्लू तीन दिन तक लगातार रोता है तो उसके घर में डकैती पड़ती है।

Tags

Next Story