शिवलिंग के ऊपर क्यों बांधी जाती है मटकी, क्या कहते हैं इसे, जानें बांधने के पीछे का कारण

Vaishakh Month 2023: हिंदू पंचांग में साल का दूसरा महीना वैशाख मास चल रहा है। यह महीना 5 मई तक रहने वाला है। शास्त्रों के अनुसार, इस माह में शिवलिंग के ऊपर एक पानी से भरी मटकी बांधने की परंपरा मानी जाती है। आपने देखा होगा की मटकी से बूंद-बूंद करके शिवलिंग पर पानी गिरता रहता है, लेकिन क्या आपको पता है ये मटका बांधने की परंपरा वैशाख मास में ही क्यों की जाती है। इस परंपरा का क्या महत्व है। अगर नहीं, तो कोई बात नहीं आज हम इस खबर के माध्यम से आपको बताएंगे की वैशाख मास में भगवान शिव के शिवलिंग के ऊपर मटका बांधने के पीछे का क्या कारण है। तो आइए जानते हैं इस परंपरा से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में...
मटकी को क्या कहते हैं
शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग के ऊपर जो पानी से भरी मटकी बांधी जाती है, उसे गलंतिका कहते हैं। यानी इसका अर्थ जल पिलाने वाला बर्तन होता है। ऐसा माना जाता है कि इस गलंतिका के नीचे की ओर एक छोटा सा छेद होता है, जिसमें से एक-एक करके पानी की बूंदे शिवलिंग पर लगातार गिरती रहती है। ऐसी मान्यता है कि इस मटकी का पानी कभी खत्म नहीं होना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है।
मटकी से जुड़ी कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले कालकूट नाम का एक भंयकर विष निकला, जिससे पूरे संसार में त्राहि-त्राहि मच गई। तब जाकर भगवान शिव ने उस कालकूट विष को अपने गले में धारण कर लिया। कहा जाता है कि वैशाख माह में जब अधिक गर्मी पड़ने लगती है, तो कालकूट विष के कारण भगवान शिवजी का तापमान बढ़ने लगता है। उसी तापमान को नियंत्रित रखने के लिए शिवलिंग पर मटकी बांधी जाती है। मटकी से बूंद-बूंद पानी टपकने से शिवजी को ठंडक मिलती है।
मटकी में पानी भरते समय रखें इन बातों का ध्यान
आपने देखा होगा वैशाख मास में लगभग हर शिव मंदिर में शिवलिंग के ऊपर गलंतिका बांधी जाती है, लेकिन गलंतिका में डाले जाने वाला जल पूरी तरह से शुद्ध होना चाहिए। अगर वह जल अपवित्र हुआ, तो भविष्य में आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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