Vastu Shastra: भगवान की प्रतिमा के पास कभी ना छोड़े उन्हें अर्पित किया गया भोग प्रसाद, वरना...

Vastu Shastra: सभी लोग भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान को तरह-तरह के भोग लगाते हैं, कोई 56 भोग लगाता है तो कोई भगवान को अपने पसंद की चीजें प्रसाद और नैवेद्य के रुप में अर्पित करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, भोग लगाने के बाद उसे भगवान के पास ही छोड़ देना आपके जीवन में कई मुसीबतें ला सकता है। ऐसा करना आपके सौभाग्य और सुख को आपसे दूर कर सकता है। तो आइए जानते हैं कि, भगवान को प्रसाद या नैवेद्य चढ़ाने के बारे में वास्तु शास्त्र का क्या मत है और नैवेद्य अर्पित करने के बाद क्या करें।
किसी भी पूजा में देवी-देवताओं को प्रसाद और नैवेद्य अर्पित किया जाता था। उसके बाद उस प्रसाद को बाद में क्या करना चाहिए, उसे फेंकना चाहिए या उसका सेवन करना चाहिए अथवा उसे भगवान के पास ऐसे ही पड़ा रहने देना चाहिए। वहीं यह भी जानना जरुरी है कि, भगवान को किस बर्तन में प्रसाद चढ़ाना चाहिए। क्योंकि इन सब चीजों का घर और घर के लोगों पर सीधा असर पड़ता है।
वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार, भगवान के नैवेद्य को धातु अर्थात सोने-चांदी या तांबे के पात्र में, पत्थर, यज्ञ, लकड़ी या मिट्टी के पात्र में अर्पित करना चाहिए। क्योंकि इन धातुओं को सबसे ज्यादा पवित्र माना गया है।
भगवान को अर्पित किया गया नैवेद्य तत्काल ही भगवान को प्राप्त हो जाता है, इसीलिए उसे तुरन्त ही उठा लेना चाहिए और प्रसाद के रूप में उसका सेवन कर लेना चाहिए। तथा संभव हो तो लोगों में यथासंभव बांटना भी चाहिए। देवताओं के पास पड़ा हुआ नैवेद्य नेगेटिव एनर्जी छोड़ता है, इसीलिए देवता को समर्पित करके प्रसाद को तुरन्त उठा लेना चाहिए।
ऐसा ना करने पर विश्व केसर, चंदेश्वर, चंडांशु और चांडाली नामक शक्तियों के आने की बात कही गई है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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