Vat Savitri Vrat 2021 : मासिक धर्म के दौरान ऐसे करें वट सावित्री व्रत और पूजन, जानें...

- वट सावित्री व्रत महिलाओं के जीवन का पवित्र व्रत है।
- वट सावित्री व्रत अखंड सौभाग्य और पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है।
- जानें, माहवारी में किस प्रकार करें वट वृक्ष की पूजा और कैसे सुनें व्रत कथा
Vat Savitri Vrat 2021 : कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जोकि ऐसा सोचती हैं कि वट सावित्री व्रत के शुभ अवसर पर अगर उनको मासिक धर्म (Period) आ जाए तो यह अच्छा नहीं है। जबकि महिलाओं को ऐसा नहीं सोचना चाहिए। क्योंकि यह एक प्रकृति का नियम है। वहीं हमारे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेवों का वास होता है। इसलिए इस वृक्ष की पूजा करने से तीनों देवों की कृपा प्राप्त होती है और महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है। वहीं ऐसे में जब महिलाओं का मासिक धर्म शुरू हो जाता है तो उन्हें ऐसा लगता है कि वट वृक्ष में वास करने वाले देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश साथ ही साथ माता सावित्री उनसे इस साल पूजा नहीं करवाना चाहती हैं क्या, इस वजह से ऐसा हुआ है हमें अथवा महिलाओं के मन में अनेक प्रकार की भ्रांतिया उत्पन्न होने लगती हैं। जबकि महिलाओं को ऐसा तो कभी सोचना ही नहीं चाहिए। क्योंकि पीरियड (माहवारी) आना आमबात है। यह एक सामान्य सी बात है। हर महिला को समय-समय पर पीरियड आता है और सृष्टि में मानव की उत्पत्ति का आधार भी यही है। तो आइए जानते हैं पीरियड के दिनों में वट सावित्री का व्रत कैसे संपन्न करें।
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अगर आप इस बार पहली बार वट सावित्री का व्रत कर रही हैं और आपको पीरियड आ गया है तो आप व्रत प्रारंभ ना करें।
वहीं अगर आप पहले से ही वट सावित्री का व्रत करती हैं और वट सावित्री व्रत के दिन ही अगर आपको पीरियड आ गया है तो उस दिन आप बाल धोकर स्नान कर लें और पूजा-पाठ की कोई भी सामग्री ना छूएं।
वहीं आप अपने बदले में किसी और महिला से पूजा करवा लें और वट सावित्री की कथा कहीं दूर बैठकर सुन लें। वहीं आप इस दिन अपने पति के पैरों को धो सकती हैं। जो जल पूजा करने के बाद बचता है उसे पति के पैर धोए जाते हैं। वहीं आप बाकी सारी विधि कर सकती हैं। वहीं आप अपने पति को रक्षासूत्र बांध सकती हैं और अपने पति को टीका भी लगा सकती हैं, लेकिन इस दौरान आप भगवान के पूजा-पाठ का कोई भी सामान भूलकर भी ना छूएं। तथा पूजा-पाठ से दूरी बना लें।
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अगर आपके पीरियड का पांचवा दिन है तो आप माता सावित्री की पूजा कर सकती हैं और गौरी माता की पूजा भी कर सकती हैं, लेकिन वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है और तीनों देवों को जब तक आप पूरी तरह से शुद्ध ना हो जाएं आपको उन्हें नहीं छूना चाहिए। इसलिए इस दौरान आप पूजा ना करें और पूजन सामग्री को छूने से तथा पूजा करने से बचें।
इस दिन आप अपनी पूजा किसी और महिला से कराकर आप संपूर्ण फल की प्राप्ति कर सकती हैं। वहीं आपको व्रत करना है और इस व्रत से संबंधित सारे नियमों का पालन भी करना है। केवल आपको पूजा का कोई भी सामान नहीं छूना है और पूजा नहीं करनी है और साथ ही साथ आपको व्रत कथा भी सुननी है।
अगले दिन आप ब्रह्मणों को दान देकर स्वयं भोजन करें, लेकिन स्वयं भोजन करने से पहले अपने पति को भोजन कराएं। उसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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