Vat Savitri Vrat 2021: कब है वट सावित्री व्रत 2021 तिथि, शुभ मुहूर्त और जानिए वट पूजा विधि

Vat Savitri Vrat 2021: वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। महिलाएं वट सावित्री का व्रत अखंड सौभाग्य, युग कल्याण की कामना और संतान प्राप्ति के लिए करती हैं।
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ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से पति की उम्र लंबी होती है और इस व्रत को करने से पति सभी तरह की परेशानियों से दूर रहते हैं। और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा का विधान है। इसके साथ ही महिलाएं सत्यवान, सावित्री और यमराज की पूजा भी करती हैं। व्रती महिलाओं को इस दिन सत्यवान और सावित्री की कथा का विशेष तौर पर पढ़ना और सुनना चाहिए।
वट सावित्री व्रत 2021 कैलेंडर (Vat Savitri Vrat 2021 calendar)
वट सावित्री व्रत | 10 जून 2021, दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। |
अमावस्या तिथि प्रारंभ | 09 जून 2021, दोपहर 01:57 |
अमावस्या तिथि समाप्त | 10 जून 2021 दोपहर 04:20 |
व्रत पारण | 11 जून 2021, दिन शुक्रवार |
वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री (Vat Savitri Vrat Worship material )
सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, धूप, मिट्टी का दीपक, घी, फूल, फल, 24 पूरियां, 24 बरगद फल (आटे या गुड़ के) बांस का पंखा, लाल धागा, कपड़ा, सिंदूर, जल से भरा हुआ पात्र और रोली।
वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi)
- वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके नए अथवा स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सोलह श्रृंगार करें।
- सोहल श्रृंगार करने के बाद निर्जला व्रत का संकल्प लें और घर के मंदिर में पूजन करें।
- व्रती महिलाएं 24 बरगद फल (आटे या गुड़ के) और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष पूजन के लिए जाएं।
- वट वृक्ष की पूजा के दौरान व्रती महिलाएं 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष को अर्पित करें।
- पूरियां और बरगद के फल अर्पित करने के बाद वट वृक्ष पर एक लोट जल चढ़ाएं।
- जल चढ़ाने के बाद वट वक्ष को हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं।
- हल्दी और रोली से पूजन करने के बाद आप वट वृक्ष को फल और मिठाई अर्पित करें।
- फल और मिठाई अर्पित करने के बाद व्रती महिलाएं वट वृक्ष का धूप-दीप से पूजन करें।
- धूप -दीप से पूजन करने के उपरांत आप वट वृक्ष पर कच्चे सूत को लपटते हुए 12 बार परिक्रमा करें।
- और प्रत्येक परिक्रमा के बाद आप एक भीगा हुआ चना वट वृक्ष पर चढ़ाएं।
- वट की परिक्रमा पूरी होने के बाद सत्यवान और सावित्री की कथा पढ़ें अथवा सुनें।
- कथा पढ़ने या सुनने के बाद आप 12 कच्चे धागे वाली एक माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी माला स्वयं धारण करें।
- सूत की माला धारण करने के बाद आप 6 बार माला को वृक्ष से बदलें और अंत में एक माला वृक्ष को चढ़ाएं और एक अपने गले में पहन लें।
- वट वृक्ष का पूजन समाप्त होने के बाद आप अपने घर आकर पति को बांस का पंख झलें और उन्हें पानी पिलाएं।
- पति को पानी पिलाने के बाद आप 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत संपन्न करें।
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