Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2020 Date : जानिए क्या है विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का महत्व

Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2020 Date : जानिए क्या है विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का महत्व
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Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2020 Date : विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 5 सिंतबर 2020 (Vighnaraja Sankashti Chaturthi 5 September 2020) को मनाई जाएगी। श्राद्ध पक्ष में इस संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के पड़ने के कारण इसका महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है तो आइए जानते हैं विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का महत्व।

Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2020 Date : विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesha) का विशेष पूजन किया जाता है। लेकिन शास्त्रों में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (Vighnaraja Sankashti Chaturthi) का बहुत अधिक महत्व बताया गया है तो चलिए जानते हैं विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का महत्व।

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Vighnaraja Sankashti Ka Mahatva)

अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। श्राद्ध पक्ष में इस चतुर्थी के पड़ने के कारण इस संकष्टी चतुर्थी का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। सभी संकष्टी चतुर्थियों की तरह ही इस संकष्टी चतुर्थी पर भी भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने और व्रत रखने से मनुष्य के जीवन के सभी इच्छाएं पूर्ण होती है और उसके सभी विघ्नों का नाश भी होता है। जैसा की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के नाम से ही ज्ञात हो रहा है। विघ्नों का नाश करने वाली चतुर्थी। इस दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान गणेश की विधिवत पूजा अवश्य करनी चाहिए और साथ ही उन्हें दूर्वा अवश्य अर्पित करनी चाहिए।

संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन को अशुभ माना जाता है। इसलिए आप भी इस दिन भूलकर चंद्रदर्शन बिल्कुल भी न करें। माना जाता है कि जो भी इस दिन चद्रमा के दर्शन करता है। उस पर झूठे आरोप लगते हैं और उसकी समाज में बदनामी होती है। इसलिए पुराणों में भी संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन को वर्जित माना जाता है। इतना ही नहीं पुराणों में तो संकष्टी चतुर्थी का बहुत वर्णन किया गया है। जो भी व्यक्ति इस व्रत को रखता है उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और उसके जीवन के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं।

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