Vishwakarma Puja 2020 Kab Hai : विश्वकर्मा पूजा व्रत कथा, सिर्फ सुनने मात्र से ही मिलता धन, धान्य और ऐशों आराम का आशीर्वाद

Vishwakarma Puja 2020 Kab Hai : विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) के दिन व्यापारी लोग अपने उद्योगों, फैक्ट्रियों और दुकानों की पूजा करते हैं। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। लेकिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Lord Vishwakarma Puja) उनकी कथा के बिना अधूरी मानी जाती है तो आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा की व्रत कथा।
विश्वकर्मा पूजा व्रत कथा (Vishwakarma Puja Vrat Katha)
प्राचीन काल में जितनी भी राजधानियां थी। उन सभी का निर्माण विश्वकर्मा जी के द्वारा ही किया गया था।यहां तक की सतयुग का स्वर्ग लोक, त्रेतायुग की लंका, द्वापर की द्वारिका और कलियुग का हस्तिनापुर सभी विश्वकर्मा जी के द्वारा ही रचित थे।सुदामापुरी की रचना के बारे में भी यह कहा जाता है कि उसके निर्माता भी विश्वकर्मा जी ही थे। इससे यह पता चलता है कि धन धान्य की अभिलाषा करने वालों को भगवान विश्वकर्मा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
विश्वकर्मा जी को देवताओं के शिल्पी के रूप में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। भगवान विश्वकर्मा की एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में काशी में रहने वाला एक रथकार अपनी पत्नी के साथ रहता था।वह अपने कार्य में निपुण तो था लेकिन स्थान- स्थान पर घूमने पर भी वह भोजन से अधिक धन प्राप्त नहीं कर पाता था। उसके जीविकापर्जन का साधन निश्चित नहीं था। इतना ही नहीं उस रथकार की पत्नी भी पुत्र न होने के कारण चिंतित रहा करती थी।
पुत्र प्राप्ति के लिए दोनों साधु और संतों के पास जाते थे। लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी न हो सकी। तब एक पड़ोसी ब्राह्मण ने रथकार से कहा तुम दोनों भगवान विश्वकर्मा की शरण में जाओ। तुम्हारी सभी इच्छाएं अवश्य ही पूरी होंगी और अमावस्या तिथि को व्रत कर भगवान विश्वकर्मा का महत्व सुनों। इसके बाद अमावस्या को रथकार की पत्नी ने भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जिससे उसे धन धान्य और पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और वह सुखी जीवन व्यतीत करने लगे।
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