Vishwakarma Puja Date 2020 : जानिए भगवान विश्वकर्मा के वंश का संपूर्ण परिचय

Vishwakarma Puja Date 2020 : जानिए भगवान विश्वकर्मा के वंश का संपूर्ण परिचय
X
Vishwakarma Puja Date 2020 : कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा (Lord Vishwakarma Puja) की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कौन है भगवान विश्वकर्मा के माता पिता और कौन हैं उनके वंशज अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं भगवान विश्वकर्मा के वंश का संपूर्ण परिचय।

Vishwakarma Puja Date 2020 : भगवान विश्वकर्मा (Lord Vishwakarma) को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। लेकिन क्या आपको उनके वंशजों के बारे में पता है। भगवान विश्वकर्मा ( Bhagwan Vishwakarma) के माता पिता कौन थे उनके पुत्र कौन थे।यदि आप भी यह जानना चाहते हैं तो हम आपको भगवान विश्वकर्मा के वंशजों के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।

भगवान विश्वतकर्मा के वंश का परिचय ( Bhagwan Vishwakarma Ke vansh ka parichay)

सृष्टि की उत्पत्ति के समय अंगिरा ऋषि की पुत्री अर्थात बृहस्पति की बहन भुववन और वरस्त्री हुई और ब्रह्मा से उत्पन्न आठवे वसु प्रभास ऋषि हुए। अंगिरा पुत्री भुवन तथा वरस्त्री का विवाह प्रजापति प्रभास के साथ हुआ। प्रभास के पुत्र देव शिल्पी विश्वकर्मा हुए और विश्वकर्मा जी के चार पुत्र हुए जिनका नाम अजैकपाद, रूद्र,अहिर्बुधन्य और त्वष्टा हुए। प्रजापति विश्वकर्मा ने चौदह भुवन की रचना कर चार मनुओं की सृष्टी की।

विश्वकर्मा जी के मुख से ब्राह्मण की सृष्टि करने वाले स्वायम्भुव मनु हुए। बाहुओं से क्षत्रिय सृष्टि की रचना करने वाले स्वारोचिष मनु हुए। उरू से वैश्य सृष्टि को उत्पन्न करने वाले रैवत मनु हुए तथा आदि प्रजापति विश्वकर्मा के चरणों से शुद्र सृष्टि की रचना वाले तामस मनु हुए। उस प्रकार प्रजापति विश्वकर्मा से उत्पन्न चारों मनुओं से चारों वर्णों का सृजन हुआ। स्वायम्भुव मनु के छ: पुत्र हुए ऋक्, यजु,साम,अथर्व, देवव्यास, प्रियव्रत,ये सभी मुख्य ब्राह्मण हुए।

उसके बाद उपब्राह्मण पुत्र हुए शिल्पायन, गौरवायान, कायस्थायन और मागधायन। विश्वकर्मा ने शिव जी की कृपा से उत्पन्न अन्य पांच पुत्र प्राप्त किए मनु,मय,त्वष्टा, शिल्पी और देवज्ञ। मनु का कार्य शास्त्र आदि का निर्माण करना था। मय ने लकड़ी और पत्थरों का कार्य किया। त्वष्टा लोक हितकारी आवश्यक पदार्थों के निर्माता हुए। शिल्पी देवमंदिरों के निर्माता हुए एवं देवज्ञ स्वर्ण आदि अलंकारों के निर्माता हुए।

मनु का ऋग्वेद, त्वष्टा का सामवेद मय का यजुर्वेद, शिल्पी का अर्थवेद, देवज्ञ का सुषुम्णा नामक वेद हुआ। विश्वकर्मा वंशियों के 20 ऋषि गोत्र हुए जो भृगु, अंगिरा, भारद्वाज, उमन्यु, वशिष्ठ,कश्यप, मुद्गल, जातुकर्ण्य, शाण्डिल्य, कौण्डिल्य, गौतम,अघमर्षण, वत्स,ऋक्ष, वामदेव,लौंगाक्षि, गविष्टर,दीर्घतमा,विद, भृग्वांगिरस। जांगिड़ व पांचाल ब्राह्मण इसी विश्वकर्मा कुल की शाखाएं हैं। ये शिल्प विज्ञान में श्रेष्ठ हैं।

Tags

Next Story