Vivah Muhurat 2021 : चतुर्मास के बाद केवल 13 दिन बजेंगी शहनाई, जानें साल 2021 के शेष बचे विवाह मुहूर्त की तारीख

- चतुर्मास के बाद विवाह का पहला मुहूर्त 15 नवंबर को है।
- नवंबर में 7 और दिसंबर में केवल 6 शुभ मुहूर्त में हो सकेंगे विवाह।
Vivah Muhurat 2021 : भड़ली नवमी के दिन से अब शादी-विवाह, नवीन गृह प्रवेश और मंडन संस्कार जैसे मांगलिक कार्यो पर चार महीने के लिए ब्रेक लग गया है। 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी के बाद अब 13 नवंबर देवउठनी एकादशी तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे। इस दौरान सभी शुभ कार्यों पर पूरी तरह रोक रहेगी। क्योंकि इस दौरान सृष्टि के पालनहार भगवान श्रीहरि चार महीने के लिए योगनिन्द्रा में रहेंगे और इस अवधि में सृष्टि का संचालन भगवान भोलेनाथ करेंगे। ज्योतिष के मुताबिक देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी के बीच की अवधि को चतुर्मास कहा जाता है और इस दौरान कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं होता है। तथा साथ ही इस अवधि में नवीन घर में प्रवेश करना भी वर्जित माना जाता है और इस दौरान मुंडन संस्कार भी नहीं किए जाते है। वहीं अब चतुर्मास के बाद विवाह का पहला मुहूर्त 15 नवंबर को है।नवंबर में 7 और दिसंबर में 6 शुभ मुहूर्त में फेरे लिए जा सकेंगे।
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चतुर्मास में नहीं होते मांगलिक कार्य
भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है। श्रीहरि के विश्राम अवस्था में चले जाने के बाद मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि करना शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान मांगलिक कार्य करने से भगवान का आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है। शुभ कार्यों में देवी-देवताओं का आवाह्न किया जाता है। भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं, इसलिए वह मांगलिक कार्यों में उपस्थित नहीं हो पाते हैं। जिसके कारण इन महीनों में मांगलिक कार्यों पर रोक होती है।
4 महीने नहीं बजेगी शहनाई
चतुर्मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्मास आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होकर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तक रहता है। साल 2021 में चतुर्मास 20 जुलाई 2021 से शुरू होगा, इस दिन देवशयनी एकादशी भी है। 14 नवंबर 2021 को देवोत्थान एकादशी है। कहा जाता है कि इस दिन से भगवान विष्णु विश्राम काल पूरा करने के बाद क्षीर सागर से निकल कर सृष्टि का संचालन करते हैं। 15 नवंबर को माता तुलसी और सालिग्राम का विवाह हिंदू धर्म के हर घर-घर में संपन्न होगा। इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है, यानी इस दिन चार माह विश्राम करने के बाद देवगण जागेंगे। साथ ही शुभ मुहूर्तों की शुरूआत हो जाएगी। विवाह का पहला मुहूर्त 15 नवंबर को है। नवंबर में 7 और दिसंबर में 6 शुभ मुहूर्त में फेरे लिए जा सकेंगे।
शुभ मुहूर्त
नवंबर - 15, 16, 20, 21, 28, 29 और 30
दिसंबर - 1, 2, 6, 7, 11 और 13
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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