पुखराज धारण करने की विधि, मंत्र, आप भी जानें

पुखराज बृहस्पति यानि गुरु ग्रह का रत्न है। पुखराज हल्दी या सोने के रंग के समान होता है। यदि किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह का प्रभाव हो तो इस रत्न को धारण किया जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुखराज, बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है। पुखराज पीले रंग का बहुत मूल्यवान रत्न होता है और इस रत्न की कार्य क्षमता भी बहुत बेहतर होती है। तो आइए आप भी जानें पुखराज धारण करने की विधि और मंत्र के बारें में।
अगर आपके परिवार में विवाह योग्य युवतियों के विवाह में अड़चन आ रही है। और उनकी शादी में बार-बार विघ्न आते रहते है और शादी का रिश्ता तय होते-होते रह जाता है तो उन युवतियों को पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए। जिन पति-पत्नियों को पुत्र संतान की प्राप्ति की इच्छा है वे दोनों पति-पत्नी भी पुखराज को धारण करें। परन्तु किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी विद्वान आचार्य, ज्योतिषी से सलाह लेना बहुत आवश्यक है। क्योंकि हो सकता है आपकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह का प्रभाव उतना न हो जितना आप सोच रहे हो और ऐसे में रत्न धारण करने से कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
पुखराज को धारण करने वाले व्यक्ति को धनलाभ मिलने लगता है और वह अपने जीवन में प्रगति करने लगता है। यदि किसी व्यक्ति के जीवन में उसे लंबे समय से परेशानी, समस्या और दुखों का सामना करना पड़ रहा है, तो उस व्यक्ति को अपनी जन्मकुंडली का किसी आचार्य आदि विशेषज्ञ से निरीक्षण करवाने के बाद पुखराज धारण करना चाहिए। पुखराज धारण करने से व्यक्ति की सेहत अच्छी रहती है। और उसे वित्तीय लाभ मिलता है। और साथ ही मान-प्रतिष्ठा भी मिलती है।
पुखराज धारण करने की विधि
यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति गृह का प्रभाव ठीक है और आपको किसी विद्वान आचार्य अथवा ज्योतिषी ने पुखराज धारण करने की सलाह दी है तो आप पुखराज धारण कर सकते है।
आपको 5 से 7 कैरेट के पुखराज को सोने की अंगूठी में बनवाकर पहनना होगा। अंगूठी पहनने के लिए किसी भी शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार को, पुष्य नक्षत्र में, सूर्य उदय होने के पश्चात अंगूठी की प्राणप्रतिष्ठा कर लें। जिसके लिए सबसे पहले अंगूठी को दूध, फिर गंगाजल, उसके बाद शहद और फिर शक्कर के घोल में डाल दें। उसके बाद आप बृहस्पति देव के नाम की पांच अगरबत्ती अथवा धूप आदि जलाएं।
धूप,दीप आदि जलाने के बाद बृहस्पति देव से प्रार्थना करें कि हे! बृहस्पति देव, मैं आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह रत्न धारण कर रहा हूं कृपा मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें। अब अंगूठी को घोल से निकालकर 108 बार अगरबत्ती के ऊपर से घुमाते हुए ॐ ब्रह्म ब्र्हस्पतिये नमः का जाप करें। उसके बाद अंगूठी को भगवान विष्णु के चरणों में स्पर्श कराकर तर्जनी में धारण करें।
पुखराज धारण करने का मंत्र
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवस ऋतुप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS