Adhik maas 2023: अधिक मास न होता तो हिरण्यकश्यप रह जाता अमर, पढ़िये इस माह का महत्व और कथा

Adhik maas 2023: अधिक मास न होता तो हिरण्यकश्यप रह जाता अमर, पढ़िये इस माह का महत्व और कथा
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Mal Maas 2023: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अधिक मास को मलमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। क्या आपको पता है कि आखिर अधिक मास को पुरुषोत्तम माह क्यों कहा जाता है। अगर नहीं तो आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

Mal Maas 2023: जुलाई का महीना बहुत ही खास होता है, क्योंकि इस माह में कई ऐसे पर्व-त्योहार आते हैं, जिनका अपना-अपना विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जुलाई में अधिक मास शुरू हो रहा है। इसलिए ये साल 12 महीनों का नहीं बल्कि कुल 13 महीनों का होने वाला है। हिंदू धर्म में अधिक मास बहुत ही महत्वपूर्ण और पूजा-पाठ के लिए शुभ माना गया जाता है। पंचांग के अनुसार, 18 जुलाई दिन मंगलवार के दिन अधिक मास या मलमास की शुरुआत हो रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस माह को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस माह के स्वामी श्री हरि भगवान विष्णु हैं। कहा जाता है कि इस माह में किए गए धार्मिक कार्य और पूजा पाठ का विशेष फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही जातक को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। तो आइये विस्तार से जानते हैं अधिक मास के बारे में...

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जानें क्या होता है अधिक मास

ऐसे तो हर साल 12 महीने का होता है, लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार, हर 3 साल में एक ज्यादा महीना होता है। इस माह को अधिक माह या पुरुषोत्तम मास कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, अधिक माह में पूजा-पाठ, व्रत और साधना का काफी विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य और चंद्रमा वर्ष की गणना पर चलता है, तो अधिक मास होता है। यानी अधिक मास साल का अतिरिक्त भाग है, जो 32 माह 16 दिन 8 घंटे के अंतर से बनता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सूर्य और चंद्रमा वर्ष के बीच के अंतर को पाटने या संतुलित करने के लिए अधिक मास लगता है।

अधिक मास की क्या है पौराणिक कथा

सनातन धर्म में अधिक मास से जुड़ी कई तरह के पौराणिक कथा बताई गई हैं, उन्हीं पौराणिक कथाओं में से एक है नरसिंह द्वारा हिरण्यकश्यप के वध की कथा। एक बार हिरण्यकश्यप वन में ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या कर रहा था। उसके तप से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा प्रकट हुए। तब हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा, लेकिन अमरता का वरदान देना ब्रह्मा जी के लिए निषिद्ध था। तब ब्रह्मा जी ने उसे कोई और वरदान मांगने को कहा। उनके इस वचन को सुनकर हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से एक ऐसा वरदान मांगा, जिससे संसार का कोई भी नर-नारी, पशु-पक्षी, असुर और न ही कोई देवता मार सके। इसके साथ ही साल के 12 महीनों में मेरी मृत्यु न हो।

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यहीं नहीं उसने कहा कि मेरी मृत्यु न रात में ना ही दिन में, न अस्त्र से न ही किसी शस्त्र से, न घर के अंदर ना ही घर के बाहर कोई मुझे मार न सके। ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप की इस बात को सुनकर उन्हें वरदान दे दिया। ब्रह्मा जी से वरदान पाते ही वह स्वयं को अमर मानने लगा और सारी सृष्टि पर अत्याचार करने लगा। उसके बढ़ते अत्याचार को खत्म करने के लिए स्वयं भगवान विष्णु ने अधिक मास में नरसिंह अवतार में प्रकट हुए और शाम के समय देहरी के बीच उसका सीना चीरकर मृत्यु के घाट उतार दिया। तब से अधिक मास का विशेष महत्व माना गया है।

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Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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