हनुमान जी के भोग में क्यों अर्पित होता है तुलसी पत्र, जानें पौराणिक कथा

सनातन धर्म में हप्ते का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवार का दिन महादेव जी का है, तो मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार मंगलवार के दिन जो जातक विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करता है, उस पर बजरंग बली हमेशा प्रसन्न रहते हैं और सारी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूजा-पाठ में प्रसाद चढ़ाने का विशेष विधान बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सभी देवी-देवताओं को अलग-अलग तरह के भोग पसंद होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिरकार हनुमान जी के प्रसाद में विशेष रूप से तुलसी पत्ता क्यों चढ़ाई जाती है। अगर नहीं तो कोई बात नहीं, आज इस खबर में बताएंगे कि हनुमान जी के प्रसाद में तुलसी पत्र क्यों चढ़ाना जरूरी है।
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जानें पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार की बात है जब हनुमान जी माता सीता से मिलने के लिए वाल्मीकि जी के आश्रम में जाते हैं। वहां पहुंचने के बाद हनुमान जी को बहुत ही ज्यादा भूख लगने लगती है, तब माता सीता हनुमान जी को अपने हाथों से भोजन बनाकर खिलाती हैं। ऐसी मान्यता है कि माता सीता हनुमान जी को कई तरह के व्यंजन और पकवान बनाकर खिलाना शुरू करती हैं। खाना खिलाते-खिलाते सारे आश्रम का अन्न समाप्त होने लगा। तब माता सीता सोच में पड़ गई। मन ही मन में सोचने लगी कि आखिरकार हनुमान जी की भूख शांत कैसे होगी। आखिरकार हनुमान जी को ऐसा क्या बनाकर खिलाएं की उनकी पेट पूरी तरह से भर जाए। अंत में उनके मन में भगवान राम जी की सुझाई हुए एक युक्ति याद आ जाती है।
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ऐसी मान्यता है कि एक बार भगवान राम ने माता सीता से कहा था कि जब भी हनुमान जी के पेट भरना हो तो उन्हें एक तुलसी का पत्ता दे देना चाहिए, जिससे हनुमान जी की भूख बिल्कुल शांत हो जाएगी। माता सीता ने भगवान राम की बात को याद करते हुए ऐसा ही किया। हनुमान जी को खाने में तुलसी पत्र दे दिया। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी ने जैसे ही तुलसी पत्र जैसे ही खाया उनकी भूख मिट गई। उसी समय से कहा जाता है कि जब भी हनुमान जी को भोग लगाएं तो तुलसी का पत्ता जरूर अर्पित करना चाहिए।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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