एकादशी पर क्यों नहीं खाए जाते चावल, जानिए इसका धार्मिक कारण

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अत्याधिक प्रिय है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। लेकिन इस दिन कुछ कामों को करना वर्जित माना गया है। इन्हीं में से एक है एकादशी तिथि के दिन चावलो का सेवन आखिर क्यों नहीं खाए जाते हैं एकादशी तिथि के दिन चावल आइए जानते हैं इसका धार्मिक कारण।
एकादशी तिथि पर क्यों नहीं खाए जाते चावल (Ekadashi Tithi Per Kyu Nahi Khaye Jate Chawal)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो धान जमींन को बिना जोते ही उत्पन्न होते हैं। वह ही व्रत और उपवास में ग्रहण के योग्य माने जाते हैं। यदि ऐसे प्रदार्थ न उपलब्ध हो तो फलों का सेवन किया जा सकता है। एकादशी को चावल खाना शास्त्रों के अनुसार निषेध माना गया है। चावल की खेती शुरू से लेकर अंत तक पानी में ही की जाती है। चावल की बुआई से लेकर कटाई सब पानी में ही होती है। इसके साथ ही खाना बनाते समय जब चावल को पकाया जाता है तब भी पानी का ही उपयोग किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा एक जल ग्रह माना जाता है। यह पानी को अपनी ओर आकर्षित करता है। अष्टमी तिथि से ही चंद्रमा का जल से आकर्षण बढ़ने लगता है और एकादशी तिथि को चंद्रमा पूरी तरह से जल को अपनी और खींचने का प्रयास करता है। पूर्णिमा तिथि के दिन तो चंद्रमा की आकर्षण क्षमता बहुत अधिक होती है। इसी कारण से समुद्र में ज्वार भाटा आता है।
ऐसी मान्यता है कि जो जल चावल के रूप में हमारे शरीर में जाता है। उसे चंद्रमा अपनी और आकर्षित करता है। इसके फल स्वरूप एकादशी के दिन चावल खाने से अपच, बदहजमीं और पेट से जुड़ी अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि चावल खाने से आलस्य की अधिकता बढ़ जाती है। इसलिए एकादशी तिथि पर चावल नहीं खाने चाहिए और न हीं एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु को चावल अर्पित करने चाहिए।
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