Holashtak 2021 : होलाष्टक पर पूजा-पाठ से मिलती है सफलता

Holashtak 2021 : होलाष्टक पर पूजा-पाठ से मिलती है सफलता
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  • होलाष्टक पर ग्रहों के कारण नहीं होते शुभ कार्य
  • होलाष्टक पर होता है ग्रहों का अशुभ प्रभाव
  • होलाष्टक पर होते है शुभ कार्य वर्जित

Holashtak 2021 : हिन्दू धर्म में होली से आठ दिन पहले सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। होली और अष्टक इन दो शब्दों से मिलकर बना है होलाष्टक (Holashtak)। होली से आठ दिन पहले के समय को होलाष्टक कहा जाता है। इस बार 21 मार्च से होलाष्टक लग जाएगा और 28 मार्च तक रहेगा। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के दौरान गृह प्रवेश, शादी, मुंडन आदि शुभ कामों की मनाही होती है। होलाष्टक के बाद 28 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 29 मार्च को देशभर में रंगों की होली खेलकर धूमधाम से त्योहार मनाया जाएगा। होलाष्टक के पहले दिन अर्थात फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु का उग्र रूप रहता है।

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस वजह से इन आठों दिन में मानव मस्तिष्क तमाम विकारों, शंकाओं और दुविधाओं आदि से घिरा रहता है, जिसकी वजह से शुरू किए गए कार्य के बनने के बजाय बिगड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। ग्रह-नक्षत्र के कमजोर होने के कारण इस दौरान जातक की निर्णय क्षमता कम हो जाती है। जिससे गलत फैसले से हानि की संभावना रहती है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन माह में होली के कुछ दिनों पहले सभी ग्रह और नक्षत्र अशुभ स्थिति में पहुंच जाते हैं जिस कारण से चारो तरफ काफी मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा फैल जाती है। जिस कारण से होलाष्टक आरंभ होने लेकर इसके सामाप्त होने तक कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।

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होलाष्टक पर ग्रहों की स्थिति

इस वर्ष होलाष्टक का आरंभ 21 मार्च से होने जा रहा है। इस दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। चंद्रमा मिथुन राशि में विराजमान रहेंगे। इस दिन आर्द्रा नक्षत्र रहेगा। अन्य ग्रहों की बात करें तो वृष राशि में राहु और मंगल, वृश्चिक राशि में केतु, मकर राशि में गुरू और शनि, कुंभ राशि में बुध और मीन राशि में सूर्य व शुक्र विराजमान रहेंगे।

हनुमानजी की पूजा का महत्व

होलाष्टक में पूजा-पाठ करने और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। होलाष्टक में कुछ विशेष उपाय करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करना चाहिए जिससे आर्थिक संकट समाप्त होकर कर्ज मुक्ति मिलती है। इस दौरान भगवान नृसिंह और हनुमानजी की पूजा का भी महत्व है।

अशुभ माना जाता है होलाष्टक

श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर के पंडित भगवान सहाय (मद ) शर्मा ने बताया कि इन आठ दिनों में कोई भी मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है। इस समय मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है। होलाष्टक के अशुभ होने के तीन कारण बताए गए हैं। इसके संबंध में दो पौराणिक कथाएं हैं। पहली भक्त प्रह्लाद और दूसरी कामदेव से जुड़ी हुई हैं।

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भक्त प्रहलाद की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिन तक कठिन यातनाएं थीं। आठवें दिन वरदान प्राप्त होलिका जो हिरण्यकश्यप की बहन थी वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर होली के अंदर बैठी और जल गई थी लेकिन भक्त प्रहलाद बच गए थे।

रति पति कामदेव की कथा

श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर के पंडित भगवान सहाय (मदन) शर्मा ने बताया कि देवताओं के कहने पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करने के लिए कई दिनों में कई तरह के प्रयास किए थे। तब भगवान शिव ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने उनके अपराध के लिए शिवजी से क्षमा मांगी, तब भोलेनाथ ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया।

ज्योतिषीय धारणा

विख्यात भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक का प्रभाव तीर्थ क्षेत्र में नहीं माना जाता है, लेकिन इन आठ दिनों में मौसम परिवर्तित हो रहा होता है, व्यक्ति रोग की चपेट में आ सकता है और ऐसे में मन की स्थिति भी अवसाद ग्रस्त रहती है। इसलिए शुभकार्य वर्जित माने गए हैं। होलाष्टक के आठ दिनों को व्रत, पूजन और हवन की दृष्टि से अच्छा समय माना गया है। अष्टमी को चंद्रमा, नवमी तिथि को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र और द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव के हो जाते हैं। इन ग्रहों के निर्बल होने से मनुष्य की निर्णय क्षमता क्षीण हो जाती है। इस कारण मनुष्य अपने स्वभाव के विपरीत फैसले कर लेता है। यही कारण है कि व्यक्ति के मन को रंगों और उत्साह की ओर मोड़ दिया जाता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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