श्रावण मास में भगवान शिव के साथ ऐसे करें माता मंगला गौरी की उपासना

श्रावण मास के शुरू होते ही सोमवार से साथ-साथ पूरे श्रावण मास भगवान शिव और उनके परिवार को आराधना शुरू हो जाती है। यह मास भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती अर्थात (मंगला गौरी) को भी बहुत प्रिय है।
वैसे तो यह पूरा मास ही भगवान शिव को समर्पित है लेकिन इस मास के प्रत्येक मंगलवार को माता पार्वती (मंगला गौरी) की विशेष पूजा की जाती है। माता गौरी सदा अपने भक्तों पर आए अमंगल का नाश करती हैं। धर्मशास्त्रों में अनुसार इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसलिए श्रावण मास में प्रत्येक मंगलवार को माता मंगला गौरी की पूजा अधिक उपयोगी मानी जाती है। इनकी पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को जल्दी ही मनवांछित वर की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि श्रावण मास में सोमवार और मंगलवार को आने वाले सभी व्रत-उपवास मनुष्य के सुख-सौभाग्य में वृद्धि करते हैं। अपने पति व संतान को सुखी जीवन की कामना के लिए स्त्रियां इस व्रत को करती है। सौभाग्य से जुडे़ होने की वजह से नवविवाहित दुल्हनें भी इस व्रत को करती है। इच्छित वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी कन्याएं भी मंगला गौरी का व्रत रखती हैं।
ज्योतिष के अनुसार जिन युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कमी महसूस होती है अथवा शादी के बाद पति से अलग होने या तलाक हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हो, तो उन महिलाओं के लिए मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से फलदायी है। अत: ऐसी महिलाओं को सोलह सोमवार के साथ-साथ मंगला गौरी का व्रत अवश्य रखना चाहिए।
इस वर्ष मंगला गौरी का पहला व्रत सात जुलाई मंगलवार, दूसरा 14 जुलाई, तीसरा 21 जुलाई तथा चौथा व्रत 28 जुलाई को होगा। ज्ञात हो कि एक बार यह व्रत प्रारंभ करने के पश्चात इस व्रत को लगातार पांच वर्षों तक किया जाता हैं। तत्पश्चात इस व्रत का विधि पूर्वक व्रति स्त्री को उद्यापन कर देना चाहिए।
ऐसे करें व्रत : इस व्रत के दौरान महिलाएं प्रत्येक मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठें। नित्य कर्मों के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प करना चाहिए। इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा के समझ माता मंगला गौरी की आराधना करें। और फिर 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।' इस मंत्र का जाप करें।
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