Yogini Ekadashi 2020: योगनी एकादशी कब है, जानिए पारण समय, कथा और महत्व

Yogini Ekadashi 2020: योगनी एकादशी कब है, जानिए पारण समय, कथा और महत्व
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Yogini Ekadashi 2020: योगनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पून्य मिलता है। आज हम आपको बताएंगे कि कब है योगनी एकादशी, क्या रहेगी योगनी एकादशी की तिथि, क्या है योगनी एकादशी की पूजा विधि, क्या है योगनी एकादशी का पारण समय, क्या है योगनी एकादशी व्रत कथा और योगनी एकादशी का महत्व क्या है।

Yogini Akadashsi 2020: योगिनी एकादशी के दिन भगवान श्री नारायण की पूजा अर्चना की जाती है। इस व्रत को करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और पीपल के पेड़ को काटने जैसे पाप से मुक्ति मिल जाती है। इस व्रत से दिए हुए श्राप का निवारण भी हो जाता है। यह एकादशी देह की समस्त व्याधियों को दूर कर सुंदर रूप और यश देने वाली है। योगनी एकादशी का व्रत करने से जीवन में समृद्धि और आनन्द की प्राप्ति होती है। यह व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि योगनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पून्य मिलता है। आज हम आपको बताएंगे कि कब है योगनी एकादशी, क्या रहेगी योगनी एकादशी की तिथि, क्या है योगनी एकादशी की पूजा विधि, क्या है योगनी एकादशी का पारण समय, क्या है योगनी एकादशी व्रत कथा और योगनी एकादशी का महत्व क्या है।

योगनी एकादशी 2020 कब है

योगनी एकादशी व्रत 17 जून 2020 बुधवार को है।

योगनी एकादशी तिथि

एकादशी तिथि का प्रारंभ - 16 जनू 2020 मंगलवार सुबह 5 बजकर 40 मिनट से हैं।

एकादशी तिथि की समाप्ति - 17 जून 2020 बुधवार सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर है।

योगनी एकादशी पारण समय

एकादशी पारण का समय 18 जून 2020 को गुरुवार को सुबह 5.23 बजे से 8.11 बजे तक रहेगा। कुल अवधि 2 घंटे 48 मिनट रहेगी।

योगनी एकादशी पूजा विधि

योगनी एकादशी के उपवास की शुरुआत दशमी तिथि की रात से हो जाती है। व्रती को 10 दशमी तिथि की रात्रि से ही तामसी भोजन के त्यागकर सादा भोजन ग्रहण करना चाहिए और ब्रह्मचर का पालन अवश्य करना चाहिए। हो सके तो जमीन पर सोए। प्रातकाल उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लें और फिर कुंभ स्थापना कर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा करें। भगवान नारायण की मूर्ति को स्नान आदि करवा कर भोग लगाएं। पुष्प, धूप और दीप आदि से आरती करें। पूजा स्वयं या किसी विद्वान ब्राह्मण से करवा सकते हैं। दिन में योगनी एकादशी की कथा भी जरूर सुने। इस दिन दान कर्म करना भी बहुत कल्याणकारी माना जाता है। पीपल के पेड़ की पूजा भी करें। रात्रि में जागरण अवश्य करें ।

योगनी एकादशी व्रत कथा

अलकापूरी नाम की नगरी में कुबेर नाम का राजा राज करता था। वह शिव जी का परम भक्त था और वह पूजा में फूलों का प्रयोग करता था और उसकी पूजा के लिए फूल हेम माली लाता था। हेम माली की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प लाने के बाद पूजाकाल में न लगकर अपनी स्त्री के साथ भ्रमण करने लगा, जब राजा कुबेर को उसकी राह देखते देखते दोपहर हो गई तो उन्होंने क्रोध पूर्वक अपने सेवकों को आज्ञा दी, तुम जाकर हेम माली का पता लगाओं की वो अभी तक फूल लेकर क्यों नहीं आया। जब सेवकों ने उसका पता लगा लिया, तो वे कुबेर के पास जाकर कहने लगे कि हे राजन वो तो अपनी पत्नि के साथ भ्रमण कर रहा है। सेवकों की बता सुनकर राजा ने हेम माली को बुलाने की आज्ञा दी। हेम माली राजा के समुख जाकर डर से उपस्थित हुआ। उसने समय पर फूल न लाकर मेरे परम पूज्यनिय भगवान शिव का अपमान किया है। मै तुम्हें श्राप देता हूं कि तु पत्नि का वियोग भोगेगा और मृत्यु लोक में जाकर कोड़ी हो जाएगा। कुबेर के श्राप से वह उसी क्षण स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर आ गिरा। और कोड़ी हो गया और स्त्री भी उससे उसी समय बिछड़ गई। मृत्युलोक में आकर उसने बहुत दुख भोगे। परंतु शिव जी की भक्ति के प्राभाव से उसकी बुद्धि मलिन नहीं हुई और पिछले जन्मों का स्मरण करते हुए वह हिमालय की तरफ चल दिया। वहां पर चलते चलते एक ऋषि मिले। वह ऋषि के आश्रम में पहुंचा। वह ऋषि बहुत तपशाली थे, उस समय वे दूसरे ब्रह्मा के समान प्रतीत हो रहे थे। हेम माली वहां गया है प्रणाकर के उनके चरणों में गिर पड़ा, उसे देख कर ऋषि बोले तुमने क्या बुरा कार्य किया है जो तुम्हारी आज ये दशा है। इस पर हेम माली ने अपनी सारी व्यथा ऋषि को सुना दी। ऋषि ने सुनकर कहा कि तुमने मेरे समुख सत्य कहा है, इसलिए मैं तुम्हारे उद्धार में तुम्हारी सहायता करूंगा। तुम आषाढ़ मास की योगनी नाम एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करो। तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। इस पर हेम माली बहुत प्रसन्न हुआ और मुनि के वचनों के अनुसार योगनी एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से वह अपनी पुराने रूप में वापस आ गया और अपनी स्त्री के साथ पसंद पूर्वक रहने लगा। योगनी एकादशी व्रत का फल 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है। इससे समस्त पाप दूर हो जाते हैं। करने के बजाय एक दिन हेम माली

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