पूर्णिमा कब है 2020 | Purnima 2020 Dates List

- शुक्ल पक्ष की पूर्ण तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है, एक साल में 12 पूर्णिमा होती हैं
शुक्ल मास की पूर्ण तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है, मेरी दादी नये साल का कैलेंडर आते ही पूछती है कि पूर्णिमा कब है 2020 में और मेरी दादी कैलंडर पर निशान लगा देती है कि उसे ध्यान रहे ओर उसदिन विधि विधान से पूजा, स्नान व् दान कर सके। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त होता है। पूर्णिमा के चंद्रमा की किरणों में इतनी उर्जा होती है कि वह मनुष्य के मन पर सीधा असर करता है, क्योंकि चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। कुंडली में अगर चंद्रमा खराब हो तो मनुष्य को मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा को मां कारक भी माना जाता है। चंद्रमा के खराब होने पर मां और उसकी संतान के संबंध खराब हो सकते हैं।
आइये जानते हैं साल 2020 में पूर्णिमा कब है, जानिए महीने के हिसाब से पूरी लिस्ट...
पूर्णिमा | पूर्णिमा तिथि 2020 |
पौष पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जनवरी 2020, दिन शुक्रवार , रात 2 बजकर 34 मिनट पूर्णिमा तिथि समाप्त : 11 जनवरी 2020, दिन शनिवार , रात 12 बजकर 50 मिनट
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माघ पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 फरवरी 2020, दिन शनिवार शाम 4 बजकर 1 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 9 फरवरी 2020, दिन रविवार , दोपहर 1 बजकर 2 मिनट
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फाल्गुन पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 09 मार्च 2020, दिन सोमवार, सुबह 3 बजकर 3 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 09 मार्च 2020, दिन सोमवार, रात 11 बजकर 17 मिनट
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चैत्र पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 7 अप्रैल 2020, दिन मंगलवार, रात 12 बजकर 1 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 08 अप्रैल 2020, दिन बुधवार सुबह 8 बजकर 4 मिनट
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वैशाख पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 7 अप्रैल 2020, दिन मंगलवार, रात 12 बजकर 1 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 08 अप्रैल 2020, दिन बुधवार सुबह 8 बजकर 4 मिनट
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बुध पूर्णिमा 2020 / बुद्ध पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 06 मई 2020, दिन बुधवार, शाम 7 बजकर 44 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 07 मई 2020, दिन गुरुवार, शाम 4 बजकर 14 मिनट
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ज्येष्ठ पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 05 जून 2020, दिन शुक्रवार, सुबह 3 बजकर 15 मिनट पूर्णिमा तिथि समाप्त: 06 जून 2020, दिन शनिवार, रात 12 बजकर 41 मिनट
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आषाढ़ पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 04 जुलाई 2020, दिन शनिवार, सुबह 11 बजकर 33 मिनट पूर्णिमा तिथि समाप्त: 05 जुलाई 2020, दिन रविवार, सुबह 10 बजकर 13 मिनट
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गुरू पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 04 जुलाई 2020, दिन शनिवार, सुबह 11 बजकर 33 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 05 जुलाई 2020, दिन रविवार, सुबह 10 बजकर 13 मिनट
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श्रावण पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 02 अगस्त 2020, दिन रविवार, रात 9 बजकर 28 मिनट पूर्णिमा तिथि समाप्त: 03 अगस्त 2020, दिन सोमवार, रात 9 बजकर 28 मिनट
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भाद्र पूर्णिमा 2020 / भाद्रपद पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 01 सितंबर 2020, दिन मंगलवार, सुबह 9 बजकर 38 मिनट पूर्णिमा तिथि समाप्त: 02 सितंबर 2020, दिन बुधवार, सुबह 10 बजकर 51 मिनट
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शरद पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2020, दिन शुक्रवार, शाम 5 बजकर 45 मिनट पूर्णिमा तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2020, दिन शनिवार, रात 8 बजकर 18 मिनट
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कार्तिक पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 30 नवंबर 2020, दिन रविवार, रात 12 बजकर 47 मिनट पूर्णिमा तिथि समाप्त: 30 नवंबर 2020, दिन सोमवार, रात 2 बजकर 59 मिनट
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2020 | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 29 दिसंबर 2020, दिन मंगलवार, सुबह 7 बजकर 54 मिनट पूर्णिमा तिथि समाप्त: 29 दिसंबर 2020, दिन बुधवार, सुबह 8 बजकर 57 मिनट
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पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
धार्मिक रूप से पूर्णिमा को अधिक महत्व दिया जाता है। पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं इस दिन कुछ उपाय करने से मनुष्य के जीवन के सभी दुख समाप्त होते हैं। ज्योतिष्य दृष्टि कोण से भी यह दिन काफी खास माना गया है। क्योंकि पूर्णिमा के दिन ही महान लोगों ने जन्म लिया था और इतना ही नहीं इस दिन चंद्रमा पक्ष बलि भी होता है। इसी के साथ यदि किसी की जन्मकुंडली में यदि चंद्रमा कमजोर है तो वह इस दिन उपाय करके चंद्रमा को मजबूत कर सकता है।
पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व
पूर्णिमा को वैज्ञानिक रूप से भी अधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पानी को अपनी और खींचता है। मनुष्य के अंदर भी 70 प्रतिशत पानी की ही मात्रा होती है। जिसके कारण पूर्णिमा के दिन मनुष्य के स्वाभाव कुछ हद तक परिवर्तित हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भी पूर्णिमा के दिन कोई न कोई विशेष त्योहार तो अवश्य ही होता है। पुराणों के अनुसार पूर्णिमा के दिन देवी देवताओ ने मानव रूप धारण किया था। इस दिन घर में सत्यानारयण जी की कथा करना शुभ माना जाता है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण दिखाई देता है। क्योंकि यह शुक्ल पक्ष का चंद्रमा होता है जो पक्ष बलि भी होता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप कट जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी पवित्र नदी के पास नहीं जा सकता तो वह अपने नहाने के पानी में गंगाजल डालकर नहा सकता है। इस प्रकार भी उसे स्नान का पूर्ण फल प्राप्त होगा। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पूर्णिमा पूजा और व्रत विधि
1. पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना बेदह शुभ माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा न कर पाए तो वह अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकता है।
2. पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन आप चाहें तो सत्यानारयण की कथा भी कर सकते हैं।
3. इस दिन स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण अवश्य करें और पूरे दिन का उपवास रखें।
4. इस दिन सूर्योदय से उपवास रखकर चंद्र दर्शन के बाद समाप्त किया जाचता है।
5. पूर्णिमा के दिन दान का भी विशेष महत्व है। इसलिए अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को दान अवश्य दें।
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