Ramayan: रामायण के 6 रहस्य, जिनसे अपरिचित हैं 90 प्रतिशत लोग

Ramayan: रामायण के 6 रहस्य,  जिनसे अपरिचित हैं 90 प्रतिशत लोग
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लोग रामायण (Ramayan) के बारें में जानते हैं लेकिन इसके बारे में कुछ ऐसे रहस्य हैं जिनकें बारे में लोग आज भी नहीं जानते हैं। आज हम आपको रामायण के ऐसे 6 अनजाने रहस्यों के बारें बताएं जिनके बारें में दुनिया अभी भी नहीं जानती है।

भगवान राम और मां सीता के जन्म और जीवन यात्रा का वर्णन जिस महाकाव्य में है उसे रामायण कहा जाता है। अधिकतर लोग रामायण के बारें में जानते हैं लेकिन इसके बारे में कुछ ऐसे रहस्य हैं जिनकें बारे में लोग आज भी नहीं जानते हैं। आज हम आपको रामायण के ऐसे 6 अनजाने रहस्यों के बारें बताएं जिनके बारें में दुनिया अभी भी नहीं जानती है।

रामायण के हर एक हजार श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है।

गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं। वाल्मिकी रामायण में 24 हजार श्लोक हैं। रामायण के हर एक हजार श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है। यह मंत्र इस पवित्र महाकाव्य का सार है। गायत्री मंत्र का सबसे पहले उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है।

राम और उनके भाईयों के अलावा राजा दशरथ के एक पुत्री भी थी।

राजा दशरथ के राम और उनके भाईयों के अलावा शांता नाम की एक पुत्री भी थी। वो आयु में चारों भाईयों के बड़ी थी और उनकी माता का नाम कौशल्या था। ऐसा माना जाता है कि एक बार अंक देश के राजा रोमपद और उनकी रानी वर्षणी आयोध्या आए थे। उनके कोई संतान हीं थी। बातचीत के दौरान यह बात जब दशरथ को मालूम पड़ी थी, तब उन्होनें अपनी बेटी शांता को उनको गोद देने का वादा कर दिया। इससे रोमपद और उनकी रानी वर्षणी बहुत खुश हुए थे और उन्होनें शांता का बड़े स्नेह से लालन पालन किया था। उन्होनें माता पिता होने के सभी कर्तव्य निभाए।

राम विष्णु के अवतार हैं लेकिन उनके भाई किस के अवतार हैं

लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना जाता है। भरत और शत्रुधन को भगवान विष्णु द्वारा हाथों में धारण किए गए सुदर्शन चक्र और शंख सैल का अवतार माना जाता है।

लक्ष्मण का नाम गुदाकेश

लक्ष्मण को गुदाकेश के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वनवास के 14 वर्षों के दौरान अपने भाई (राम) और भाभी (सीता) की रक्षा के लिए लक्ष्मण कभी सोते नहीं थे। इसके कारण उन्हें गुदाकेश के नाम से भी जाने जाने लगा।

रावण उत्कृष्ट वीणा वादक था।

रावण के ध्वज में प्रतीक के रूप में वीणा होने का कारण यहीं था, कि उसको वीणा वादक के रूप में भी जाना जाता था। हालांकि रावण इस कला को ज्यादा महत्व नहीं देता था। लेकिन उसे यंत्र बजाना पसंद था।

कुंभकरण को सोने का वरदान

इंद्र के ईर्ष्यालू होने के कारण कुंभकरण को सोने का वरदान प्राप्त हुआ था। रामायण में बताया गया है कि रावण का छोटा भाई जिसका शरीर बहुत ही विकराल था और वह बहुत ही खाने वाला भी था। उसको सोने का वरदान प्राप्त हुआ यानि वह लगातर 6 महीनों तक सोता था और सिर्फ एक दिन खाने के लिए उठता और फिर 6 महीने के लिए सो जाता था। दरसल एक बार कुंभकरण ने वरदान प्राप्त करने के लिए तप किया, लेकिन जब कुंभकरण ब्रह्म से वरदान मांग रहा था। उसी समय इंद्र ने देवी सरस्वती से अनुरोध किया कि वो कुंभकरण की जीवा पर बैठ जाए और इंद्राशन के बदले निद्राशन मांग ले। इस प्रकार इंद्र की ईर्षा की वजह से कुंभकरण को सोने का वरदान मिला था।

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