हनुमान जी के 7 अनजाने रहस्य, कैसे ब्रह्मचारी होने के बावजूद बने पिता

हनुमान जी के 7 अनजाने रहस्य, कैसे ब्रह्मचारी होने के बावजूद बने पिता
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हनुमान जी के पास कई वरदानी शक्तियां थीं, लेकिन फिर भी वे बगैर वरदानी शक्तियों के भी शक्तिशाली थे। ब्रह्मदेव ने हनुमान जी को तीन वरदान दिए थे, जिनमें उन पर ब्रह्मास्त्र बेअसर होना भी शामिल था।

राम भक्त हनुमान को महाबली माना गया है, जो अजर अमर है। यह सब जानते है कि हनुमान जी भगवान शंकर का अवतार है। पवन पुत्र हनुमान जी के कुछ अनजान रहस्य जानकर आप भी यकीनन चौंक जाएंगे। आज हम आपको ऐसी बातें बताने जा रहे हैं। जो हर कोई नहीं जानता है। लेकिन अंजनी पुत्र हनुमान जी के कुछ ऐसे 7 रहस्य हैं के बारें शायद ही आप जानते है।

ब्रह्मचारी होने के बावजूद हनुमान जी हैं पिता

राम भक्त हनुमान को सभी ब्रह्मचारी के रूप में जानते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका एक बेटा भी था। जब हनुमान जी लंका की तरफ जा रहे थे तब ही उनका समना एक राक्षस से युद्ध हुआ उसी समय जब वे थके तब उनका पसीने के बूंद एक मगरमछ ने निगल ली। उसके बाद उनके पुत्र का जन्म हुआ, उसका नाम मकध्वज था।

हनुमान जी के 108 नाम

हनुमान जी के संस्कृत में 108 नाम है। हर नाम का मतबल उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है। इसलिए उनके 108 नाम बहुत ही प्रभावित है।

हनुमान जी का जन्म स्थान

हनुमान जी का जन्म कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के निकट बसे हुए गांव में हुआ था। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाता समय मार्ग में पंपा सरोवर आता है। यहां स्थित एक पर्वत में शबरी गुफा है, जिसके निकट शबरी के गुरू मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिध्द मतगवन था। हम्पी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। भगवान राम के जन्म से पहले हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पूर्णमा के दिन हुआ था।

कल्प के अंत तक शरीर में रहेंगे हनुमान

इंद्र से उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला। भगवान राम के वरदान अनुसार कल्प का अंत होने पर उन्हें उनके सायुज्य की प्राप्ति होगी। सीता माता के वरदान के अनुसार वे चिरजीवी रहेंगे। इसी वरदान के चलते द्वापर युग में हनुमान जी भीम और अर्जुन की परीक्षा लेते हैं। कलियुग में वे तुलसीदास जी को दर्शन देते हैं। ये वचन हनुमान जी ने ही तुलसीदास जी से कह थे चित्रकूट के घाट पै, भई संतन की भीर, तुलसी दास चंदन घिसै, तिलक देत रघुवीर श्रीमद् भागवत के अनुसार हनुमान जी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं।

माता जगदम्बा के सेवक है हनुमान जी

राम भक्त हनुमान जी माता जगदम्बा के सेवक भी हैं। हनुमान जी माता के आगे आगे चलते हैं और भैरव जी पीछे पीछे। माता के देशभर में जितने भी मंदिर है वहां उनते पास हनुमान जी और भैरव जी के मंदिर जरूर होते हैं। हनुमान जी की खड़ी मुद्रा में और भैरव की मंड मुद्रा में प्रतिमा होती है। कुछ लोग उनकी यह कहानी माता वैष्णोदेवी से जोड़कर देखते हैं।

सर्वशक्तिमान थे हनुमान जी

हनुमान जी के पास कई वरदानी शक्तियां थीं, लेकिन फिर भी वे बगैर वरदानी शक्तियों के भी शक्तिशाली थे। ब्रह्मदेव ने हनुमान जी को तीन वरदान दिए थे, जिनमें उन पर ब्रह्मास्त्र बेअसर होना भी शामिल था। जो अशोक वाटिका में काम आया। सभी देवताओं के पास अपनी अपनी शक्तियां हैं। जैसे विष्णु के पास लक्ष्मी, महेश के पास पार्वती और ब्रह्मा के पास सरस्वती। हनुमान जी के पास खुद की शक्ति है। इस ब्रह्ममांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति है तो वह हनुमान जी है। महावीर विक्रम बजरंगबली के समक्ष किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति ठहर नहीं सकती है।

हनुमान जी का नाम हनुमान

हनुमान जी का नाम अपनी ठोडी की वजह से हनुमान पड़ा था। संस्कृत में हनुमान का नाम बिगड़ी हुई ठोडी। बचपन में ही वे हनुमान के नाम से विख्यात हुए।

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