Ahoi Ashtami Puja : जानिए अहोई में स्याहु माला का महत्व, पुत्रों की लंबी आयु से जुड़ा है रहस्य

Ahoi Ashtami Puja : जानिए अहोई में स्याहु माला का महत्व, पुत्रों की लंबी आयु से जुड़ा है रहस्य
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अहोई में स्याहु माला महिलाएं गले में धारण करती हैं। यह चांदी के दानों से बनाई जाती है। स्याहु माला कलावे में चांदी के दाने और माता अहोई की मूरत वाले लॉकेट के साथ बनाई जाती है।

अहोई अष्टमी व्रत में महिलाएं स्याहु माला पहनती हैं। क्या आप अहोई में स्याहु माला का महत्व जानते हैं? नहीं न तो आज हम आपको बताएंगे। दरअसल पुत्रों की मंगल कामना और लंबी आयु के लिए अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है। इस साल अहोई अष्टमी 31 अक्टूबर 2018 को मनाया जाएगा। करवा चौथ के बाद महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत पुत्रों के लिए करती हैं।

माताएं अहोई देवी से पुत्रों की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस दिन माताएं संकल्प लेती हैं कि "हे अहोई माता, मैं अपने पुत्र की लम्बी आयु एवं सुखमय जीवन हेतु अहोई व्रत कर रही हूं।

अहोई व्रत के लिए महिलाएं पूरे विधि-विधान से अहोई व्रत करती हैं। पूजा सामग्री के साथ महिलाएं एक चांदी की माला भी धारण करती हैं। इस माला का अहोई व्रत में काफी अहम योदगान है। जानिए आखिर क्यों महिलाएं स्याहु की माला पहनती हैं और क्या है इसका महत्व...

अहोई में स्याहु माला का महत्व

अहोई पूजा में चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं। कलावे में चांदी के दाने और माता अहोई की मूरत वाले लॉकेट के साथ माला बनाई जाती है।

इस स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है। व्रती महिलाएं इसे गले में धारण करती हैं। व्रत शुरू करने से लगातार इस माला को दिवाली तक पहनना आनिवार्य होता है।

माला की पूजा करने का खास विधान है। पूजा पूरे विधि-विधान से ही करनी चाहिए। पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रखना चाहिए। पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुने और सुनाएं।

ऐसा माना जाता है कि स्याहु की माला में हर साल एक दाना बढ़ाया जाता है। इससे अनुसार ही पुत्र की आयु बढ़ती जाती है। वहीं स्याहु की माला की पूजा करना भी आवश्यक है।

अहोई का व्रत करवा चौथ के बाद किया जाता है। अहोई अष्टमी बच्चों की खुशहाली के लिए किया जाने वाला व्रत है। माँ रात्रि को तारे देखकर अपने पुत्र के दीर्घायु होने की कामना करती हैं।

उसके बाद महिलाएं व्रत खोलती हैं। नि:संतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति की कामना से अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं। अहोई का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। व्रत को करने से घर में खुशहाली आती है। दिवाली के दिन पुत्र करवा के जल से स्नान करते हैं।

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