Ahoi Ashtami Udyapan Vidhi : अहोई अष्टमी व्रत उद्यापन विधि

Ahoi Ashtami 2019 अहोई अष्टमी का व्रत संतान की आयु और उसकी सुख समृद्धि के लिए रखा जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत बिना उद्यापन विधि के पूर्ण नहीं माना जाता है। करवा चौथ के बाद अहोई अष्टमी का व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत (Ahoi Ashtami Vrat) इस साल 2019 में 21 अक्टूबर 2019 (21 October 2019) के दिन रखा जाएगा। जिन स्त्रियों को संतान सुख की प्राप्ति नही होती वह भी इस व्रत को एक अच्छी और योग्य संतान के लिए रखती हैं तो आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत उद्यापन विधि के बारे में......
अहोई अष्टमी व्रत उद्यापन विधि (Ahoi Ashtami Vrat Udyapan Vidhi)
1.अहोई अष्टमी का व्रत करने के बाद उसका उद्यापन अवश्य करना चाहिए। क्योंकि बिना उद्यापन के कोई भी व्रत पूर्ण नही होता।
2. अहोई अष्टमी का उद्यापन करने के लिए अहोई अष्टमी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
3.इस दिन दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाना चाहिए या फिर अहोई माता के कैलेंडर स्थापित करना चाहिए।
4.इसके बाद एक कोटोरी में चावल, मूली और सिंघाड़े और पानी से भरा लोटा लेना चाहिए। इसके बाद अहोई माता को पुष्प, सिंघाड़े अर्पित करने चाहिए।
5. इसके बाद कथा सुनते समय कुछ चावलों को हाथ में लेकर अपने पल्लू से बांध लेना चाहिए। इसके बाद एक आठ थाली में चौदह पूरी और आठ को पुए या हलवा रखकर अहोई माता को भोग लगाएं।
6.इसके बाद एक और थाली लगाएं इसमें सात जगह पर चार- चार पूरियां और हलवा या फिर पुए रखें और इस पर एक पीले रंग की साड़ी भी रखें।
7.इसके बाद उस थाली पर कुछ पैसे रखकर अपनी सास को दे दें और उनके पैर छुकर उनका आर्शीवाद ले लें। अगर आपकी सास न हो तो आप यह थाली अपनी बड़ी ननंद को भी दे सकती हैं।
8. इसके अलावा आप यह थाली किसी मंदिर की पंडिताईन को भी दे सकती हैं।
9. इसके बाद पूरी और हलवें का प्रसाद लोगों में वितरित करें हो सके तो घर वालों के अलावा यह प्रसाद अन्य लोगों के बीच में बांटे। अगर आप यह प्रसाद कन्याओं में वितरित करते हैं तो आपको लिए यह काफी शुभ रहेगा।
10.इसके बाद एक थाली में भोजन लगाकर किसी ब्राह्मण को अवश्य दें या फिर गाय को खिला दें
अहोई अष्टमी का महत्व (Ahoi Ashtami Ka Mahatva)
अहोई अष्टमी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन पड़ता है। यह त्योहार माताओं के लिए विशेष होता है। क्योंकि इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और उनके मंगल के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत मुख्य रूप से पुत्रों के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं सारा दिन उपवास रखकर अहोई माता की कथा सुनकर तारों की छांव में अर्ध्य देती हैं। अहोई अष्टमी को अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि अहोई अष्टमी का व्रत करने से नि: संतान महिलाओं को भी अच्छी और योग्य संतान की प्राप्ति होती है।
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