Akshaya Tritiya 2019 : अक्षय तृतीया 2019 का शुभ मुहूर्त, मान्यतांए, पूजन विधि और कथा

Akshaya Tritiya 2019 : अक्षय तृतीया 2019 का शुभ मुहूर्त, मान्यतांए, पूजन विधि और कथा
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Akshaya Tritiya 2019 : अक्षय तृतीया 2019 में कब है (Akshaya Tritiya 2019 Mein Kab Hai) अगर आप इस बारे में नहीं जानते तो आज हमको बताएंगे अक्षय तृतीया 2019 की तिथि (Akshaya Tritiya 2019 Date),अक्षय तृतीया 2019 शुभ मुहुर्त (Akshaya Tritiya 2019 Shubh Muhurat), अक्षय तृतीया का महत्व (Akshaya Tritiya Ka Mahatva) और अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त (akshaya tritiya gold purchase auspicious time)। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार वैशाख (Baisakh) का महीना खरीदारी करने करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। विशेषकर इस महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया जिसे अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के नाम से भी जाना जाता है। आइये जानते हैं अक्षय तृतीया 2019 से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी...

Akshaya Tritiya 2019 : अक्षय तृतीया 2019 में कब है (Akshaya Tritiya 2019 Mein Kab Hai) अगर आप इस बारे में नहीं जानते तो आज हमको बताएंगे अक्षय तृतीया 2019 की तिथि (Akshaya Tritiya 2019 Date),अक्षय तृतीया 2019 शुभ मुहुर्त (Akshaya Tritiya 2019 Shubh Muhurat), अक्षय तृतीया का महत्व (Akshaya Tritiya Ka Mahatva) और अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त (akshaya tritiya gold purchase auspicious time)। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार वैशाख (Baisakh) का महीना खरीदारी करने करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। विशेषकर इस महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया जिसे अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के नाम से भी जाना जाता है। देश में इस तिथि पर सोना और चांदी और अन्य और वस्तु आदि खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।वैसे भी वैसाख का महिना सगाई, शादी के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। आइये जानते हैं अक्षय तृतीया 2019 से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी...



अक्षय तृतीया 2019 तिथि और अक्षय तृतीया 2019 में सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त (Akshaya Tritiya 2019 Date and Akshaya Tritiya 2019 Gold Purchase Auspicious Time)

1 अक्षय तृतीया 2019 तिथि- 7 मई 2019

2 अक्षय तृतीया 2019 पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त- सुबह 5:40 मिनट से दिन के 12:17 तक



अक्षय तृतीया पूजन विधि (Akshaya Tritiya pujan vidhi)

1.ब्रह्म मुहूर्त में उठे । इसके बाद किसी पवित्र कुंड, सरोवर या नदी में स्नान करें।

2.इसके बाद श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और उस पर अक्षत चढ़ांए।

3.शांत चित्त से उनकी श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धुप-अगरबत्ती एवं चन्दन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए।

4.इसके बाद नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि का चढ़ावा करें।

5.इस दिन किसी निर्धन ब्राह्मण को भोजन करवाएं और उसका आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने मंगल की कामना करें।




अक्षय तृतीया की मान्यतांए (Akshaya Tritiya ki Manyate)

इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा व अर्चना का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु जी के परशुराम अवतार की पूजा की जाती है।इसलिए इस दिन को परशुराम जयंती के रुप में भी मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने धरती पर परशुराम के रुप में छठी बार अवतार लिया था।परशुराम के बारे में कहा जाता है कि वह सप्तऋषियों में से एक जमदगनी और रेणुका के पुत्र थे।इनका जन्म इसी दिन ब्राह्मण कुल में हुआ था इसलिए इसे पूरे भारतवर्ष में अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती के रुप में मनाया जाता है।

दूसरी मान्यता यह है कि मां गंगा इसी दिन स्वर्ग से धरती पर आई थीं।मां गंगा को भागीरथ ही धरती पर लाए थे। भागीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को धरती पर लाए थे।इसलिए इस दिन को हिंदू धर्म के पवित्र दिनों में से एक माना जाता है।माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे इस जन्म के सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

अक्षय तृतीया से जुड़ी एक और मान्यता है कि इस दिन को मां अन्नपूर्णा के जन्मदिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस दिन मां अन्नपूर्णा से भंडारे भरने का आर्शीवाद मांगा जाता है। मां से भक्त अपने घर में किसी भी प्रकार से खाने-पीने की कमीं न होने का आर्शीवाद मांगते हैं। मां अन्नपूर्णा के आर्शीवाद से खाने का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है और रसोई में किसी प्रकार की वस्तु खत्म नहीं होती।



अक्षय तृतीया की कथा (Akshaya Tritiya ki katha)

अक्षय तृतीया की कथा सुनना और पढ़ना दोनों ही बहुत लाभकारी है। एक समय की बात है धर्मदास नाम का व्यक्ति अपने परिवार के साथ एक गांव में रहता था। वह बहुत ही निर्धन था। वह हमेशा अपने परिवार के पालन -पोषण के लिए चिंतित रहता था। उसके परिवार में सदस्यों की संख्या भी बहुत अधिक थी। धर्मदास भगवान में बहुत आस्था रखता था।एक बार उसे किसी ने अक्षय तृतीया का व्रत रखने की सलाह दी।

जिसके बाद उसने अक्षय तृतीया का व्रत करने के लिए सोचा। वह अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठा और गंगा नदी में स्नान करने गया ।उसके बाद उसने विधि-विधान से भगवान विष्णु की आराधाना की उस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार पंखा, जौ ,सत्तू, चावल, नमक, गेहुं,गुड़ ,घी आदि वस्तुएं भगवान के चरणों में रखकर ब्राह्मण को अर्पित कर दी। इतना सब दान में जाता देख उसकी पत्नी और उसके परिवार वालों ने उसे रोका ।

उन्होंने कहा कि अगर आप इतना कुछ दान में दे देंगे तो परिवार का पालन पोषण कैसे होगा। फिर भी धर्मदास अपने कर्म से विचलित नहीं हुआ और उसने ब्राह्मण को सब कुछ दान दे दिया । जब भी अक्षय तृतीया आती वह इसी प्रकार दान-पुण्य करता था। उसके जीवन में अनेक विपरित परिस्थिति आई पर वह अपने कर्म को करने से पीछे नही हटा।

इस जन्म के पुण्य फलों की प्राप्ति के रुप में अगले जन्म में वह राजा कुशावती के रुप में पैदा हुआ। जो बहुत ही प्रतापी राजा थे। उनके राज्य में सभी प्रकार का सुख था किसी भी प्रकार की कोई भी कमी नहीं थी। उन्होंने अपने जीवन में किसी भी तरह का अन्याय नहीं किया उनके इस कर्म के रुप में अक्षय तृतीया का फल हमेशा मिलाता रहा।

जिस प्रकार भगवान ने धर्मदास के ऊपर अपनी कृपा बरसाई उसी प्रकार जो भी इस कथा को सुनता है। भगवान की विधि-विधान से पूजा करता है। दान करता है उसे इस व्रत के शुभ फल अवश्य प्राप्त होते हैं।

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