Basant Panchami 2020 Date : बसंत पंचमी पर जानिए रती ने क्यों कामदेव को पुत्र की तरह पालने के बाद उनसे किया विवाह

Basant Panchami 2020 Date : बसंत पंचमी पर जानिए रती ने क्यों  कामदेव को पुत्र की तरह पालने के बाद उनसे किया विवाह
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Basant Panchami 2020 Date : बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन प्रेम के देवता कामदेव की पूजा ( Kamdev Ki Puja) मुख्य रूप से की जाती है। कामदेव की पत्नी देवी रती को माना जाता है, लेकिन देवी रती ने कामदेव को अपने पुत्र के समान पाला था और बाद में उनसे ही विवाह कर लिया था तो चलिए जानते हैं किस कारण से देवी रती को कामदेव को पुत्र बनाकर पालना पड़ा और बाद में क्यों उनसे विवाह करना पड़ा

Basant Panchami 2020 Date बसंत पंचमी पर मां सरस्वती (Goddess Saraswati) के साथ कामदेव की पूजा की जाती है। कामदेव को बसंत ऋतु का देवता भी माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कामदेव की रती ने उन्हें पुत्र के रूप में पाला था और बाद में उन्हीं के साथ विवाह कर लिया था। बसंत पंचमी साल 2020 में 29 जनवरी 2020 (29 January 2020) को मनाई जाएगी तो चलिए जानते हैं क्यों देवी रती ने कामदेव को पुत्र के रूप में पालकर उन्हीं से विवाह कर लिया था।


रती ने क्यों कामदेव को पुत्र बनाकर पालने के बाद उनसे विवाह किया (Rati Na Kyu Kamdev Ko Putra Banakar Baad Mai Vivah Kiya)

हिंदू धर्म के अनुसार कामदेव को प्रेम और आकर्षण का देवता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार कामदेव भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मीं के पुत्र हैं। वहीं कुछ शास्त्रों के अनुसार इन्हें ब्रह्मा जी का पुत्र भी बताया गया है। कामदेव का विवाह रती नाम की एक अप्सरा से हुआ था। रती को भी प्रेम और आकर्षण की देवी माना जाता है। कामदेव को सुंदर पंखों से युक्त एक सुंदर युवक की तरह से प्रदर्शित किया गया है। जिनके हाथ में धनुष और बाण हैं। यह तोते के रथ पर सवारी करते हैं।

इसके साथ ही कुछ शास्त्रों में इनकी सवारी हाथी को भी माना गया है। बसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा का भी विधान है। इनके कई नाम हैं जिनमें से मदन सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ध्यान मग्न थे। उसी समय उनके अंश से एक काम पुत्र जन्मा और कहने लगा की मेरे लिए क्या आज्ञा है। तब ब्रह्मा जी बोले मैने सृष्टि को उत्पन्न करने के लिए प्रजापतियों को उत्पन्न किया था। लेकिन वह सृष्टि की रचना में समर्थ नहीं हुए।

इसलिए मैं तुम्हें इस कार्य की आज्ञा देता हूं। यह सुनकर कामदेव वहां से विदा हो गए। यह देखकर ब्रह्मा जी क्रोधित हो गए और उन्होंने कामदेव को श्राप दे दिया की तूने मेरा वचन नहीं माना। इसलिए तुम जल्दी ही मर जाओगे। श्राप सुनकर कामदेव भयभीत हो गए और हाथ जोड़कर ब्रह्मा जी के समक्ष श्रमा मांगने लगे। ब्रह्म देव ने कामदेव की श्रमा प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा की मैं तुम्हें रहने के लिए तारा स्थान देता हूं।


इसके बाद ब्रह्मा जी ने कामदेव को पुष्प का धनुष और काम बाण देकर विदा कर दिया। ब्रह्म देव के मिले आर्शीवाद से कामदेव तीनों लोकों में भ्रमण करने लगे और भूत, पिशाच, गंधर्व और यक्ष सभी को काम ने अपने वशीभूत कर लिया। इसके बाद कामदेव मछली का ध्वज लगाकर अपनी पत्नी रती के साथ मिलकर सभी को अपने वशीभूत करने लगे। लेकिन जब वह भगवान शिव की तपस्या को तोड़ने के लिए गए तो भगवान शिव ने उन्हें अपने तीसरे नेत्र से भस्म कर दिया।

जिसके बाद रती विलाप करने लगी। इसके बाद भगवान शिव ने रती से कहा की कामदेव द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के पुत्र के रूप में धरती पर जन्म लेंगे। जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण और रूकमणी को प्रद्युमन नाम का पुत्र हुआ। जो कामदेव का ही अवतार था। भगवान श्री कृष्ण से दुश्मनी के चलते एक बार शंभासुर प्रद्युमन का अपहरण करके ले गया और उसे समुद्र में फेंक आया। उस बालक को एक मछली ने निगल लिया।

जिसके बाद उस मछली को मछवारों ने पकड़ लिया और वह मछली शंभासुर के ही रसोई घर में पहुंच गई। जिसके बाद रती ने एक स्त्री मयावती का रूप रखा और वह शंभासुर की रसोई में काम करने लगी और वहां आई मछली को उसने ही काटा और प्रद्युमन को उस मछली के पेट से बाहर निकाला। जिसके बाद उस बच्चे को मां के समान पाला। जब वह बच्चा बड़ा हुआ तो उसे पूर्व जन्म की याद दिलाई गई और सभी कलाएं भी सिखाई गई। जिसके बाद उस बच्चे का शंभासुर के साथ युद्ध हुआ और उस बालक ने शंभासुर का वध कर दिया।

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