Chhath Puja Kab Hai 2019 : छठ पूजा कब है, महत्व, छठ पूजा विधि, छठ व्रत कथा, नहाय-खाय, खरना, सूर्य अर्घ्य समय और पारण तिथि

Chhath Puja Kab Hai 2019 : छठ पूजा कब है, महत्व, छठ पूजा विधि, छठ व्रत कथा, नहाय-खाय, खरना, सूर्य अर्घ्य समय और पारण तिथि
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Chhath Puja Kab Hai 2019 छठ पूजा 2019 में 31 अक्टूबर को है, छठ महापर्व चार दिनों तक चलता है, छठी मैया की पूजा बिहार, झारखंड समेत भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में छठ पूजा का महत्व बहुत अधिक बताया गया है, छठ पूजा शुभ मुहूर्त (Chhath Puja Subh Muhurat), छठ पूजा महत्व (Chhath Puja Mahatva), छठ पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi), छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha) नहाय-खाय (Nahay Khay), खरना (Kharna), सूर्य अर्घ्य (Surya Arghya) समय और पारण तिथि (Paran Date Time) को जानने से आप भगवान सूर्य की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

Chhath Puja Kab Hai 2019 छठ पूजा शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा से आप बहुत लाभ प्राप्त कर सकते हैं। छठ पूजा के पर्व (Chhath Puja Festival) पर विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा की जाती है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। इसमें शाम को डूबते सूर्य और उगते सूर्य को जल दिया जाता है। पुराणों के अनुसार छठ पूजा महाभारत काल से शुरु हुई थी। इस पूजा को सबसे पहले कर्ण ने शुरु किया था। भगवान सूर्य नारायण (Surya Narayan) की कृपा से ही कर्ण एक महान योद्धा बना था। छठ पूजा पर स्नान (Chhath Puja Snaan) और दान को भी विशेष महत्व दिया जाता है। तो आइए जानते हैं छठ पूजा शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा के बारे में...


छठ पूजा 2019 तिथि (Chhath Puja 2019 Date Time)

2 नवंबर 2019

छठ पूजा 2019 शुभ मुहूर्त (Chhath Puja 2019 Subh Muhurat)

छठ पूजा के दिन सूर्योदय – सुबह 6 बजकर 33 मिनट

छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – शाम 5 बजकर 35 मिनट

षष्ठी तिथि आरंभ – रात 12 बजकर 51 मिनट से (2 नवंबर 2019)

षष्ठी तिथि समाप्त – दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक (3 नवंबर 2019)

Chhath Puja 2019 Dates

31 अक्टूबर 2019 को नहाय-खाय

1 नवंबर 2019 को लोहंडा और खरना

2 नवंबर 2019 और संध्या सूर्य अर्घ्य

3 नवंबर 2019 को पारण तिथि


छठ पूजा का महत्व (Chhath Puja Ka Mahatva)

भगवान सूर्य की आराधना साल में दो बार की जाती है। पहले उनकी पूजा चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि और दूसरी र्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भगवान सूर्यनारायण की पूजा की जाती है। लेकिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ को मुख्य पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है। छठ पूजा चार दिनों तक की जाती है। जिसे छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा आदि नामों से जाना जाता है।

छठ पूजा में स्नान और दान को विशेष महत्व दिया जाता है। पुराणों के अनुसार लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम ने जिस समय राम राज्य की स्थापना की थी उस दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि थी। जिसमें माता सीता और भगवान राम ने व्रत रखा था और भगवान सूर्यनारायण की आराधना की थी। इसके बाद सप्तमी को पुन: एक बार अनुष्ठान कर भगवान सूर्य से आर्शीवाद लिया था

छठ पूजा के बारे में एक और कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की थी। कर्ण भगवान सूर्य के बहुत बड़े भक्त थे। वह रोज कई घंटों तक पानी में खड़े रहकर भगवान सूर्य को अर्ध्य देते थे। सूर्य देव की कृपा से वह एक महान योद्धा बने थे। इसी कारण सूर्य को आज भी अर्ध्य दिया था।


छठ व्रत विधि (Chhath Vrat Vidhi in Hindi)

1. खाए नहाय: छठ पूजा का व्रत चार दिन तक किया जाता है। पहले दिन नहाने और खाने की विधि होती है। इस दिन घर की साफ- सफाई करके शुद्ध किया जाता है और शाकाहारी भोजन बनाकर ग्रहण किया जाता है।

2. खरना: दूसरे दिन छठ पूजा में खरना विधि होती है।जिसमें पूरे दिन उपवास रखा जाता है। शाम के समय गन्ने का रस या फिर गुड़ में चावल बनाकर खीर का प्रसाद बनाकर खाना चाहिए।

3.शाम का अर्घ्य: तीसरे दिन भी व्रत रखकर शाम के समय में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके लिए सभी पूजा सामग्री को लकड़ी की डलिया में रखकर घाट पर ले जाते हैं। शाम के समय में घर आकर सभी समान को उसी प्रकार रख दिया जाता है। इस दिन रात में छठी माता के गीत और व्रत की कथा भी सुनी जाती है।

4.सुबह का अर्घ्य: चौथे और अंतिम दिन सूर्योदय से पहले ही घाट पर पहुंचा जाता है और उगते सूर्य की पहली किरण को जल दिया जाता है। इसके बाद छठी माता को स्मरण और प्रणाम करने के बाद उनसे संतान की रक्षा का वर मांगा जाता है। इसके बाद घर लौटकर प्रसाद का वितरण करें।


छठ पूजा की कथा (Chhath Puja Ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार एक राज्य में प्रियव्रत नाम का राजा राज करता था। उसकी पत्नी का नाम मालिनी था। संतान न होने के कारण दोनों बहुत दुखी रहते थे। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया।जिसके फल से रानी ने गर्भ धारण कर लिया

पूरे नौ महीने बाद उसे जब उसकी संतान उत्पन्न होने वाली थी तो वह उसने मरे हुए पुत्र को जन्म दिया। इस बात का पता जब राजा को चला तो वह बहुत ज्यादा दुखी हुआ और उसने आत्म हत्या का मन बना लिया। जैसे ही राजा आत्म हत्या के लिए चला। उसी समय एक सुंदर देवी वहां प्रकट हो गई।

देवी ने राजा को कहा कि मैं षष्टी देवी हूं। मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं. यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी. देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया।

राजा और रानी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि -विधान से पूजा और व्रत रखा। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। उसी समय से छठ का पर्व मनाया जाता है।


क्यों की जाती है छठ पूजा (Kyu Ki Jati Hai Chhat Puja)

सूर्य देव की उपासना के लिए ही छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति को मान सम्मान की प्राप्ति होती है और वह जीवन में उच्चाईयां प्राप्त करता है। उसके घर में धन और धान्य की कभी भी कोई कमीं नही होती। इस व्रत को करने से सूर्यदेव की तरह ही श्रेष्ठ संतान जन्म लेती है।


Happy Chhath Puja

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