Chhath Puja 2019 : जानिए किसने की छठ पूजा की शुरुआत

Chhath Puja 2019 छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाई जाती है। छठ पूजा का यह पर्व चार दिनों तक चलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसने की थी छठ पूजा की शुरुआत अगर नहीं तो हम आपको इसके बारे में बताएंगे। छठ पूजा के दिन छठी मैय्या (Chhathi Maiya) की पूजा की जाती है। छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत नहाय खाय से होती है, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन सूर्य डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन छठ पूजा का समापन होता है तो आइए जानते हैं किसने की छठ पूजा की शुरुआत
किसने की छठ पूजा की शुरुआत (Kisne Ki Chhath Puja Ki Suruat)
छठ पूजा में सूर्य की पूजा का संबंध भगवान राम से भी माना जाता है। क्योंकि दशहरा से लेकर छठ तक एक क्रम में मानाए जाने वाले त्योहार भगवान राम से जुड़े हुए हैं। दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसके बाद दिवाली के दिन भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास समाप्त करके अयोद्धया लौटे थे। दिवाली से छठे दिन भगावन राम ने अपने कुल देवता सूर्य की पूजा सरयू नदी में की थी। भगवान राम ने माता के सीता के साथ षष्ठी तिथि का व्रत रखा और सरयू नदी में स्नान करने के बाद सूर्यदेव को फल, मिष्ठान और अन्य चीजें अर्पित की थी। इसके बाद सप्तमी तिथि को भगवान राम ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया और राज पाठ शुरू किया।
इसके बाद आमजन भी सूर्य षष्ठी का पर्व मनाने लगें। छठ पूजा के बारे में यह मान्यता है कि यह पर्व बिहारवासियों का पर्व है। इसके पीछे का कारण अगंराज कर्ण को माना जाता है। कर्ण अंग देश के राजा माने जाते हैं। जो वर्तमान समय में भागलपुर के नाम से जाना जाता है। जो बिहार में स्थित है। अंगराज राज कर्ण सूर्य देव की पूजा किया करते थे और पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया करते थे और जरूरत मंदों को दान भी दिया करते थे। मान्यताओं के अनुसार कार्तिक षष्ठी और सप्तमी के दिन कर्ण भगवान सूर्य की विशेष आराधना किया करते थे। अपने राजा की भक्ति से प्रभावित होकर अंग देश के निवासी भी सूर्यदेव की पूजा करने लगे। धीरे- धीरे सूर्य पूजा का विधान बिहार और पूरे पूर्वांचल क्षेत्र में हो गया।
कौन है छठी मैय्या (Kon Hai Chhathi Maiya)
पुराणों के अनुसार प्रियव्रत पहले मनु माने जाते हैं। जिनकी कोई भी संतान नहीं थी। प्रियव्रत ने कश्यप ऋषि से संतान प्राप्ति का उपाय पूछा तब कश्यप ऋषि ने पुत्रयेष्ठी यज्ञ करने के लिए कहा। इससे उनकी पत्नी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया। लेकिन यह पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ। मरे हुए पुत्र का छाती से लगाकर प्रियव्रत और उनकी पत्नी विलाप करने लगे। तब ही एक आश्चर्य जनक घटना घटी। एक ज्योति रूप विमान पृथ्वीं की और आता हुआ दिखाई दिया और पास आने पर सबने देखा कि उस विमान में एक दिव्य नारी बैठी हुई है।
देवी ने प्रियव्रत से कहा कि मैं ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हूं। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले को मैं संतान प्रदान करती हूं और देवी ने मृत बालक के शरीर का स्पर्श किया और बालक जीवित हो गया। इसके बाद प्रियव्रत ने अनेक प्रकार से देवी की स्तुति की। देवी ने कहा आप ऐसी व्यवस्था करें कि पृथ्वीं पर सदा हमारी पूजा हो। राजा ने अपने राज्य में छठ व्रत की शुरुआत की। ब्रह्मवैभव पूराण में भी छठ व्रत का उल्लेख किया गया है।
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