Dhanteras 2019 Date And Time : धनतेरस कब है 2019 में और क्या है धनतेरस व्रत कथा

Dhanteras 2019 Date And Time In India : धनतेरस 2019 में 25 अक्टूबर 2019 के दिन मनाई जाएगी। धनतेरस का पर्व (Dhanteras Festival) नरक चतुदर्शी (Narak Chaturdashi 2019) से एक दिन पहले आता है। इस दिन भगवान धनवंतरी (Dhanvantri) की पूजा की जाती है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के 14वें रत्न के रूप में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धनवंतरी के अमृत कलश हाथ में लेकर निकलने की वजह से ही धनतेरस पर बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है। कुछ लोग धनतेरस के दिन व्रत (Dhanteras Fast) भी करते हैं । लेकिन क्या आपको पता है कि कोई भी व्रत बिना कथा के पूर्ण नहीं होता और अगर आप धनतेरस की कहानी (Dhanteras Story) के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं धनतेरस की कथा (Dhanteras Vrat Katha) के बारे में...
धनतेरस व्रत कथा (Dhanteras Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार यमराज ने अपने दुतों को बुलाकर पुछा क्या तुम्हें भी कभी प्राणियों के प्राण हरते समय उन पर दया आती है। यमराज का ये सवाल सुनकर सभी दूतों को आश्यर्य हुआ कि आज यमराज किस तरह की बात कर रहे हैं। यमराज की बात सुनकर एक दूत बोला ! हां महाराज एक बार ऐसी घटना घटित हुई थी ।
जिससे हमारा हृदय कांप उठा था। हेम नाम के एक राजा ने एक पुत्र को जन्म दिया । जब ज्योतिषियों ने उसकी कुंडली देखी तो राजा को बताया कि जब भी यह बालक विवाह करेगा उसके चार दिन बाद ही यह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा। जिसके बाद राजा ने उस बालक को यमुना घाट की एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखा।
एक बाह महाराजा हंस की बेटी यमुना के तट पर अपनी सखियों के साथ घूम रही थी । उस पर ब्रह्मचारी राजा का बेटा मोहित हो उठा और उससे गंधर्व विवाह कर लिया। विवाह के चौथे दिन ही उस राजकुमार की मृत्यु हो गई । जिस पर उसकी पत्नी बिलख-बिलखकर रोने लगी।
उस राजकुमारी को इस हाल में देखकर हमारा हृदय भी कांप उठा। उस राजकुमार के प्राणों को हरते समय हमारा मन भी रो रहा था। तभी एक दूत ने यमराज से पूछा कि महाराज क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?
यमराज दूत को उपाय बताते हुए कहते हैं कि हां उपाय तो है। अगर कोई व्यक्ति अकाल मृत्यु से छुटकारा पाना चाहता है तो उस व्यक्ति को धनतेरस के दिन विधिपूर्वक पूजन और दीपदान करना चाहिए। जिस घर में भी यह पूजन होता है, वहां अकाल मृत्यु का कोई भय नहीं रहता । कहते हैं कि धनतेरस के दिन यमराज के पूजन के बाद दीप दान की परंपरा है।
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