Dhanteras 2019 Date And Time: धनतेरस कब है 2019 में, जानें धनतेरस पूजा विधि और धनतेरस की कहानी

Dhanteras 2019 Date: धनतेरस 2019 में कब है (Dhanteras 2019 Date) , क्या है धनतेरस की पूजा विधि (Kya Hai Dhanteras Ki Puja Vidhi) और क्या है धनतेरस की कथा (Kya Hai Dhanteras Ki katha) अगर आप इसके बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे। धनतेरस का पर्व (Dhanteras Festival) साल 2019 में 25 अक्टूबर 2019 (25 october 2019 ) के दिन मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन (The Day of Dhanteras) ही भगवान धनवंतरी (Lord Dhanvantri) समुंद्र मंथन से 14वें रत्न के रूप में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे । इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन लोग सोना -चांदी भी खरीदते हैं। कई लोग तो धनतेरस के दिन (Dhanteras Ka Din) गाड़ी भी खरीदते हैं क्योंकि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है उसके शुभ परिणाम ही मिलते हैं। अगर आप भी धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras pujan Vidhi) और धनतेरस की कथा (Dhanteras Katha) के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras pujan Vidhi in Hindi) और धनतेरस की कथा (Dhanteras katha in Hindi) के बारे में..
धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras ki Puja Vidhi)
1.धनतेरस की पूजा शाम के समय में की जाती है। शाम के समय में धनतेरस की पूजा काफी शुभ फल देती है।
2. धनतेरस की शाम पूजा स्थल पर उतर दिशा मे कुबरे और भगवान धन्वंतरी की मूर्ति स्थापना करें।
3. इससे पहले भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन अवश्य करें ।
4. धनतेरस के दिन पीली वस्तुओं को विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए भगवान धन्वंतरी को पीले फूल और पीली मिठाई का भी भोग अवश्य लगांए।
5.भगवान धनवंतरी की विधिवत पूजा करने के बाद घर के बाहर तेल का दीपक अवश्य जलांए।
धनतेरस की कथा (Dhanteras Ki Katha)
धनतेरस की कथा एक समय की बात है भगवान नायारण ने मृत्युलोक जाने का सोचा तो माता लक्ष्मी जी ने भी भगवान विष्णु के साथ चलने को कहा तो श्री हरि नारायण ने एक शर्त रखी कि जो मैं कहूँगा अगर आप वैसा ही करेंगी तो आप मेरे साथ चल सकती हैं। विष्णु जी की बात को लक्ष्मी जी ने स्वीकारा और दोनों पृथ्वी पर आ गए।
विष्णु जी ने माँ लक्ष्मी जी से कहा कि जब तक मैं ना आऊं आप यहां बैठो और मैं जिस भी दिशा में जा रहा हूँ आप उस दिशा में मत देखना। माता लक्ष्मी जी ने हाँ तो कर दिया लेकिन मन में सवाल उठा कि आखिर दक्षिण दिशा में क्या है जो मुझे मना कर दिया
, लक्ष्मी जी को ये बात पसंद नहीं आई और थोड़ी देर में विष्णु जी के पीछे-पीछे चल दी तो कुछ दूर जाकर देखा तो खेत में सरसों उग रही थी माता ने सरसों का फूल तोड़ अपना श्रृंगार करने लगी और फिर गन्ने का खेत आया तो गन्ना खानें लगीं। तभी विष्णु जी की नजर पड़ी तो उन्होंने माता लक्ष्मी जी को शाप दिया कि तुमनें किसान की चोरी की है
तुम्हें सजा के रूप में 12 वर्ष तक किसान की सेवा करनी होगी। माता लक्ष्मी किसान के घर चली गई और भगवान विष्णु क्षीरसागर। किसान बहुत गरीब था तो माता लक्ष्मी जी ने किसान की पत्नी से उनके स्वरुप लक्ष्मी जी की पूजा करने को कहा। किसान का घर धन अन्न से भर गया।
12 वर्ष बाद जब विष्णु जी लक्ष्मी जी को लेने आये तो किसान से मना कर दिया, तब श्री हरि ने एक युति सोची और वारुणी पर्व पर लक्ष्मी जी को फिर लेने आये और कौड़ियाँ देते हुए कहा कि मैं तब तक यहां रहूँगा जब तक तुम गंगा स्नान करके नहीं आते। किसान ने चार कौड़ियां गंगा में डालीं तो चार हाथ गंगा में से निकले और उन कौड़ियों को ले लिया।
तब किसान को ज्ञान हुआ कि यह कोई देवी शक्ति है। फिर किसान ने माँ गंगा से पूछा कि ये ये चार भुजाएं किसकी हैं ? तो मां गंगाजी ने कहा कि मेरे ही हैं। तूने जो कौड़ियां दीं यह तुम्हें किसने दी..?' तब किसान ने बतया उनके घर काम कर रही स्त्री ने दी है।
फिर माँ गंगा ने बताया कि वह स्त्री साक्षात माता लक्ष्मी हैं और वे पुरुष भगवान विष्णु हैं। अगर तुमने उन्हें घर से जाने दिया तो तुम पुन: निर्धन हो जाआगे। इनको मेरा शाप लगा है और इनका समय पूरा हो गया है। किसान ने भी हां में सर हिलाया। माता लक्ष्मी जी को जब ये सब पता चला
तो लक्ष्मीजी ने किसान से कहा तुम अगर मुझे रोकना चाहते हो तो कल तेरस है जैसा मैं कहूँ वैसा ही करोगे तो यह तेरस तुम्हारे लिए धनतेरस बन जाएगी। किसान ने माता के कहे अनुसार घर को लीपा घी का दीपक जलाया पूजा की और एक तांबे के कलश में रुपया भरकर रख दिए। उसका घर धन-धान्य से भर गया। और फिर हर वर्ष इसी तरह तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा करने लगा।
सार : माता लक्ष्मी जी की प्रतिदिन पूजा करें और घर में गंदगी ना रखें, ताकि माता लक्ष्मी जी का निवास हो सके।
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