Dhanteras 2019 : धन के देवता कुबेर और माता लक्ष्मीं में क्या है अंतर जानिए

Dhanteras 2019 : धन के देवता कुबेर और माता लक्ष्मीं में क्या है अंतर जानिए
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Dhanteras 2019 धनतेरस पर धन के देवता कुबेर (Lord Kuber) और धन की देवी लक्ष्मी की आराधना (Laxmi Puja) की जाती है, लेकिन लक्ष्मी जी (Laxmi Ji) और कुबेर दोनों अलग- अलग प्रकार के धन के देव माने जाते हैं, आइये जानते हैं कुबेर और माता लक्ष्मीं में क्या अंतर है...

Dhanteras 2019 धनतेरस से ही दिवाली का पर्व शुरू हो जाता है और धनतेरस (Dhanteras) से दिवाली (Diwali ) तक भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर अगल- अलग धन के देवता माने गए हैं। धनतेरस 25 अक्टूबर 2019 के दिन मनाई जाएगी। जिसमें कुबेर और माता लक्ष्मी को पूजा जाएगा। जिससे धन का स्थायित्व घर में बना रह सके तो आइए जानते हैं धन के देवता कुबेर और माता लक्ष्मीं में क्या है अंतर

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भगवान कुबेर का धन (Bhagwan Kuber Gaya Dhan)

कुबेर के संबंध में प्रचलित है कि उनके तीन पैर और आठ हाथ हैं। वह अपनी कुरुपता के लिए अति प्रसिद्ध हैं। उनकी जो भी मूर्तियां पाई जाती हैं। वह भी अधिकृष्ट और बेडोल है। धन के देवता कुबेर सदपद ब्राह्मण में राक्षस कहा गया है। इसके अलावा कुबेर को यक्ष भी कहा जाता है। यक्ष धन का रक्षक ही होता है। कुबेर का जो दिगपाल रूप है वह भी रक्षक और प्रहरी रूप को ही स्पष्ट करता है। कौटिल्य में भी खजानों में रक्षक के रूप में कुबेर की मूर्तियां रखने के बारे में लिखा है। इसलिए कुबेर को गढ़े हुए धन का रक्षक भी माना जाता है। जो दिगपाल और प्रहरी के रूप में गढ़े हुए धन और खजाने की रक्षा करते हैं। इसके अलावा इन्हें आभूषणों का देवता भी माना जाता है।

भगवान कुबेर दिगपाल और प्रहरी के रूप में गढ़े हुए धन और खजाने की रक्षा करते हैं। इसके अलावा इन्हें आभूषणों का देवता भी माना जाता है। कुबेर के धन के साथ लोक मंगल का भाव प्रत्यक्ष नहीं है। यानी यह धन कुछ ही लोगों को प्राप्त होता है। हर किसी को यह धन प्राप्त नहीं हो सकता। इसलिए कुबेर को धन खजाने के रूप में स्थिर होता है। भगवान कुबेर की पूजा स्थायी धन के लिए की जाती है। क्योंकि भगवान कुबेर खजाने के रूप में स्थायी धन की प्राप्ति कराते हैं और माता लक्ष्मीं के द्वारा दिया गया धन गतिमान होता है।


माता लक्ष्मी का धन (Mata Laxmi ka Dhan)

माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है और धनतेरस से लेकर दिवाली तक मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। माता लक्ष्मी के साथ धन के मंगल का भाव भी जुड़ा हुआ है। क्योंकि माता लक्ष्मी के द्वारा दिया गया धन लोक कल्याण के लिए होता है और यदि कोई व्यक्ति धन के लालच में किसी दूसरे व्यक्ति को परेशान करता है तो माता लक्ष्मी उससे रुष्ट हो जाती हैं। माता लक्ष्मी का स्वरूप अत्यंत ही सुंदर है और इन्हें स्वच्छता पसंद है। माता लक्ष्मी के द्वारा दिया गया धन कभी भी स्थायी नहीं होता क्योंकि माता लक्ष्मी चंचला है। इसलिए यह चंचला नाम से भी प्रसिद्ध हैं।

माता लक्ष्मी वहीं पर स्थिर रहती हैं जहां पर भगवान श्री हरि विष्णु का नाम लिया जाता हो। जो भी व्यक्ति सतकर्म और मेहनत करता है। माता लक्ष्मी उस पर अत्यंत ही प्रसन्न रहती हैं और उसी पर अपनी कृपा बरसाती है। चोरी खजाने, सट्टे आदि के लालच में जो व्यक्ति रहता है। उसके पास माता लक्ष्मी कभी भी नहीं आती। इसलिए पुराणों के अनुसार भी लोगों को सतकर्म करने के लिए कहा जाता है। जिससे मां लक्ष्मी का स्थायित्व हो सके। इसलिए दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जिससे माता लक्ष्मी का घर में वास हो सके।

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