Dhanteras 2019 Date : धनतेरस कब है 2019 में, जानें धनतेरस की कहानी, धनतेरस पूजा विधि, धनतेरस मंत्र और धनतेरस आरती

Dhanteras 2019 Date : धनतेरस कब है 2019 में, जानें धनतेरस की कहानी, धनतेरस पूजा विधि, धनतेरस मंत्र और धनतेरस आरती
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Dhanteras 2019 Date : धनतरेस के दिन (Dhanteras ka Din) भगवान धनवंतरी की पूजा (Dhanvantri Puja) का विधान है। भगवान धनंवतरी (Lord Dhanvantri) समुद्र मंथन के समय प्रकट हुए थे। धनतेरस के त्योहार (Dhanteras Festival) पर सोना-चांदी खरीदने को ज्यादा महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि इस दिन कोई भी नई चीज घर में लाने से उसका शुभ फल प्राप्त होता है। इसलिए लोग धनतेरस के दिन गाड़ी , बर्तन आदि खरीदते हैं । अगर आप धनतेरस की इन सभी बातों के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे

Dhanteras 2019 Date: धनतेरस 2019 में कब है (Dhanteras 2019 Mai Kab Hai) , क्या है धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras Pujan Vidhi) ,क्या है धनतेरस की कहानी (Dhanteras Ki Kahani) , क्या है धनतेरस के मंत्र (Dhanteras ka Mantra) और क्या है धनतेरस की आरती (Dhanteras Ki Aarti) अगर आप इसके बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे । धनतरेस के दिन (Dhanteras ka Din) भगवान धनवंतरी की पूजा (Dhanvantri Puja) का विधान है। भगवान धनंवतरी (Lord Dhanvantri) समुद्र मंथन के समय प्रकट हुए थे। धनतेरस के त्योहार (Dhanteras Festival) पर सोना-चांदी खरीदने को ज्यादा महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि इस दिन कोई भी नई चीज घर में लाने से उसका शुभ फल प्राप्त होता है। इसलिए लोग धनतेरस के दिन गाड़ी , बर्तन आदि खरीदते हैं । अगर आप धनतेरस की इन सभी बातों के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं धनतेरस की तिथि (Dhanteras 2019 Tithi ,धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras puja vidhi),,धनतेरस की कहानी (Dhanteras Story),धनतेरस के मंत्र (Dhanteras mantra) और धनतेरस की आरती (Dhanteras Aarti) के बारे में.....


धनतेरस 2019 की तिथि (Dhanteras Tithi)

25 अक्टूबर 2019

धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)

1.धनतेरस पूजन संध्यकाल में ही किया जाता है। संध्याकाल में धनतेरस पर पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

2. धनतेरस को शाम के समय पूजा स्थल पर उत्तर दिशा की तरफ कुबेर और भगवान धन्वंतरी की मूर्ति स्थापना करें। क्योंकि उत्तर दिशा में ही देवताओं का वास माना जाता है।

3. भगवान धनवंतरी की पूजा से पहले भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन करें ।

4. भगवान धन्वंतरी को पीला वस्तुंए अत्याधिक प्रिय है इसलिए भगवान धन्वंतरी को पीले फूल और पीली मिठाई का भी भोग अवश्य लगांए।

5.धनतेरस की पूजा में रोली, चावल, फल, चंदन और धूप-दीप का इस्तेमाल करना फलदायक होता है। सभी पूजा विधि संपन्न होने के बाद घर के द्वार पर तेल का दीपक अवश्य जलांए।


धनतेरस की कहानी ( Dhanteras ki Kahani)

पौराणिक कथा के अनुसार देवता और असुरों में तीनों लोकों को लेकर युद्ध जैसी गंभीर स्थिति बन गई । इस प्रलयकारी युद्ध को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने देवताओं को सुमुद्र मंथन का सुझाव दिया । देवता और असुर दोनों ने इस सुझाव को मान लिया और समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए ।

जब समुद्र मंथन किया गया तो उसमें से कई चीजें निकली जिनमें से चौदह रत्न कालकूट (हलाहल), ऐरावत, कामधेनु, उच्चैःश्रवा, कौस्तुभमणि, कल्पवृक्ष, रम्भा नामक अप्सरा, लक्ष्मी, वारुणी मदिरा, चन्द्रमा, शारंग धनुष शंख, गंधर्व और अमृत निकला। इसके बाद 14वां रत्न भगवान धनवंतरी लेकर बाहर आए ।

भगवान धनवंतरी के हाथ में एक अमृत कलश था।इस वजह से कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है और धनतेरस पर बर्तन खरीदना काफी शुभ माना जाता है।

धनतेरस के मंत्र (Dhanteras Ka Mantra)

ॐ धन्वंतराये नमः॥

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

धन्वंतरि स्तो‍त्र

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।

सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥

कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।


धनतेरस की आरती (Dhanteras Ki Aarti)

1- जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा ।।

जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥

2- तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए ।

देवासुर के संकट आकर दूर किए ।।

जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥

3- आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया ।

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया ।।

जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥

4- भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी ।

आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी ।।

जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥

5- तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे ।

असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे ।।

जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥

6- हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा ।

वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा ।।

जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥

7- धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे ।

रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे ।।

जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥

॥ इति आरती श्री धन्वन्तरि सम्पूर्णम ॥

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