Diwali 2019 : दिवाली पर क्यों पूजी जाती हैं माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा

Diwali 2019 : दिवाली पर क्यों पूजी जाती हैं माता लक्ष्मी के साथ भगवान  गणेश की पूजा
X
Diwali 2019 दिवाली का पर्व इस साल 2019 में 27 अक्टूबर 2019 के दिन मनाया जाएगा, हिंदू धर्म में दिवाली को बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है, इस त्योहार को लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं, लेकिन इस दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की नहीं बल्कि भगवान गणेश की पूजा कि जाती है, धार्मिक मत के अनुसार क्या है इसका कारण तो आइए जानते हैं दिवाली पर क्यों पूजी जाती हैं माता लक्ष्मी और भगवान गणेश

Diwali 2019 दिवाली पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है। शास्त्रों में क्यों दिवाली के दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा विधान बताया गया है। दिवाली का त्योहार (Diwali Festival) हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक अति महत्वपूर्ण पर्व है जिसकी शुरुआत धनतेरस (Dhanteras ) से ही हो जाती है। इस दिन लोग अपने- अपने घरों की अच्छी तरह से सफाई करके उन्हें सजाते हैं ताकि मां लक्ष्मी का लक्ष्मी का वास हमेशा के लिए उनके घर पर हो जाए तो आइए जानते हैं दिवाली पर क्यों पूजी जाती हैं माता लक्ष्मी और भगवान गणेश


दिवाली पर क्यों पूजे जाते हैं मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश (Diwali Per Kyu Puje Jate Hai Maa Laxmi Ke Sath Bhagwan Ganesh)

मां लक्ष्मी भगवान विष्णु से इतना प्रेम करती हैं कि जब भी भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया है। वह उनकी प्रेमिका या पत्नी के रूप में धरती पर अवतरित हुई हैं। मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विष्णु जी की पूजा अति आवश्यक है। लेकिन दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु नहीं बल्कि गणेश जी पूजे जाते हैं। दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा के बारे में तो सभी जानते हैं। दिवाली पर माता लक्ष्मी को इसलिए पूजा जाता है कि ताकि उनके भक्तों के पास धन की कभी कोई कमीं न हो और वह हमेशा के लिए उनके घर में वस जाएं।

भगवान गणेश माता लक्ष्मी के पुत्र समान हैं। लेकिन फिर भी दिवाली पर माता लक्ष्मी के साथ के भगवान विष्णु की नहीं माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसका उत्तर हमें शास्त्रों में मिलता है। जिसके अनुसार भगवान गणेश को सभी देवी देवताओं से पहले पूजे जाने का विधान है। भगवान गणेश को यह वरदान भगवान शिव और माता पार्वती ने दिया था। इसके अलावा वह बुद्धि के देवता और विघ्न विनाशक हैं। यदि किसी व्यक्ति को माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन की प्राप्ति हो जाए लेकिन उसमें बुद्धि ही न हो तो वह धन उसके किसी भी काम का नहीं रहता इसलिए धन के साथ बुद्धि भी अति आवश्यक है। जो माता लक्ष्मी और भगवान गणेश के पूजन से ही संभव है।


भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की कथा (Bhagwan Ganesh or Mata Laxmi Ki Katha)

पौरणिक कथा के अनुसार एक बार एक साधु को धन संपदा के साथ जीने की इच्छा हुई। अपनी इस इच्छा की पूर्ति के लिए उसने कठोर तप किया। लक्ष्मी जी उस साधु की तपस्या से अति प्रसन्न हुई और उसे धन संपदा से परिपूर्ण कर दिया। यह सम्मान प्राप्त करने के बाद साधु में अहंकार आ गया। एक दिन उस साधु ने अपने राज्य के राजा के मुकुट को उसके सिर से नीचे गिरा दिया। यह कुकर्म देखकर राजा के सैनिकों ने उस साधु को पकड़ लिया। उस गिरे हुए मुकुट में से एक नाग निकलकर भागने लगा। सभी लोगों को साधु का यह कृत्य राजा को नाग से बचाने के लिए लगा।

इसके बाद वह सभी लोग साधु को और अधिक सम्मान देने लगे। राजा ने उस साधु को अपना मंत्री बनाकर राजमहल में रख लिया। साधु की जय जयकार होने लगी। एक दिन राजा अपने दरबार में बैठा हुआ था। तब ही साधु ने राजा का हाथ पकड़ा और उसे दरबार से बाहर ले गया। सभी दरबारी राजा के पीछे- पीछे भागने लगे। उसके थोड़ी देर बाद ही दरबार की छत गिर गई। राजा के सभी दरबारियों को यही लगा कि राजा ने चमत्कारिक ढंग से राजा की जान बचाई है। जिसके बाद सब ही लोग उसे ईश्वर की तरह मानने लगे।

इसके बाद साधू का अहम अपने चरम पर पहुंच गया। एक दिन अपने अंहकार के कारण उसने महल में से गणेश जी की मूर्ति को हटवा दिया। उस साधु ने बुद्धि के विहिन होने के कारण यह कह दिया की इस मूर्ति के कारण महल की रौनक खराब हो रही है। साधु के यह सब करने के बाद गणेश जी नाराज हो गए। इसके बाद भगवान गणेश ने उस साधु की बुद्धि फेर दी। अब वह जो भी काम करता वह गलत ही करता। साधु के कर्मों को देखकर राजा ने उसे कैद करा दिया। साधु जेल में फिर से लक्ष्मी जी की पूजा करने लगा। तब माता लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर बताया कि तुमने गणेश जी को नाराज किया है।

तुम्हें भगवान गणेश को मनाना होगा। इसलिए तुम अच्छी बुद्धि के लिए भगवान गणेश की पूजा करो। साधु ने माता लक्ष्मी के बताए अनुसार गणेश जी की तपस्या की और अपनी भूल के लिए क्षमा मांगी।एक दिन रात में गणेश जी ने राजा को सपने में दर्शन दिए और राजा को आदेश दिया कि वह साधु को छोड़ दे। अगले दिन साधु को वही सम्मान प्राप्त हो गया। अब वह यह बात जान गया कि धन के साथ बुद्धि भी बहुत आवश्यक है। इसलिए दीवाली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की आराधना की जाती है।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

Tags

Next Story