Dussehra 2019 : दशहरे पर जानिए रामायण के 10 अनजाने रहस्य

Dussehra 2019 दशहरे के दिन जगह- जगह पर रामायण का मंचन किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रामायण से जुड़े ऐसे भी अनजानें रहस्य हैं। जिनके बारे में आज तक कोई भी नही जानता। लेकिन आज हम आपको रामायण के उन रहस्यों से अवगत कराएंगे। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है तो आइए जानते हैं रामायण के 10 अनजाने रहस्यों के बारे में
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रामायण के 10 अनजानें रहस्य (Ramayan Ke 10 Rahasye)
1.भगवान राम के जन्म के कई साल पहले ही रामायण लिखी जा चुकी थी। जिसे बहुत ही कम लोग जानते हैं। इस महाकाव्य में 24 हजार श्लोक, 500 उपखंड और उत्तर सहित 7 कांड हैं।
2. भगवान श्री राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुर्नवसु नक्षत्र में कर्क लग्न में हुआ था। उस समय उनकी कुंडली में सूर्य, मंगल, शनि, गुरु और शुक्र ग्रह अपनी- अपनी उच्च राशि में विद्यामान थें। इसी के साथ उनकी कुंडली में गुरु के साथ चंद्र की युति भी थी। जिसे ग्रहों की सबसे उत्तम दशा माना जाता है। इस ग्रह दशा में जन्मा बालक आलौकिक होता है।
3. जिस समय भगवान श्री राम वनवास गए थे। उस समय उनकी आयु लगभग 47 वर्ष थी और देवी सीता की आयु मात्र अठारह वर्ष इस बात का उल्लेख स्वंय वाल्मिकी रामायण में पाया जाता है।
4.यह बात तो सब जानते हैं कि राजा दशरथ श्री राम को वनवास नहीं भेजना चाहते थें। लेकिन वह वचनवद्ध थे। जब उन्हें श्री राम को रोकने के लिए कोई मार्ग नही सुझा तो उन्होंने श्री राम को यह तक कह दिया था कि तुम मुझे बंदी बनाकर स्वंय राजा बन जाओ।
5.वाल्मिकी रामायण के अनुसार लंका पहुंचने के लिए जो पुल बनाया गया था। उसे बनाने में सिर्फ पांच दिन लगे थे। पहले दिन में वानरों ने 14 योजन , दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवें दिन 23 योजन पुल बनाया था। इस प्रकार से वानरों के द्वारा 100 योजन का पुल बनाया गया था। यह पुल 10 योजन चौड़ा था। एक योजन में लगभग 13 से 16 किलोमीटर की चौड़ाई होती है।
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6.यह बात तो सभी जानते हैं कि लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काटे जाने से क्रोधित होकर ही रावण ने माता सीता का हरण किया था। लेकिन स्वंय शूर्पणखा न ही रावण को उसका सर्वनाश होने का श्राप दिया था। क्योंकि रावण ने ही अपनी बहन शूर्पणखा के पति विद्युजिह्वा का वध कर दिया था। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण का श्राप दिया था कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा।
7.वाल्मिकी रामायण के अनुसार जिस समय हनुमान जी ने लंका में आग लगाई थी तो वह एक सिरे से दूसरे सिरे की तरफ जा रहे थे। तब उनकी नजर शनिदेव पर पड़ गई।वे एक कोठरी में बंधे हुए थे। हनुमान जी ने उन्हें बंधन से मुक्त किया था। बंधन से मुक्त होने पर शनिदेव ने हनुमान जी के बल और बुद्धि की परीक्षा ली और इसके बाद उन्हें इस बात का यकीन हो गया कि यह स्वंय भगवान श्री राम के दूत हनुमान जी हैं। तब उन्होंने हनुमान जी को यह वचन दिया कि इस पृथ्वीं पर जो भी आपका भक्त होगा। मैं उसे सभी कष्टों से दूर रखूंगा और उसे कभी कोई कष्ट नही होगा।
8. जब खर और दूषण मारे गए तब एक बार भगवान श्री राम चंद्र ने देवी सीता जी से कहा कि प्रिय अब मैं अपनी लीला शुरू करने वाला हूं। तब खर दूषण मारे गए। जब शूर्पणखा यह समाचार लेकर रावण के पास जाएगी तब वह आमने सामने की लड़ाई नही करेगा। बल्कि कोई चाल अवश्य चलेगा। अब मुझे इन दुष्टों को खत्म करना ही होगा। जब तक मैं इन सभी राक्षसों को न मिटा दूं।तब तक तुम अग्नि में सुरक्षित रहना। भगवान ने ऐसा कहते हुए अग्नि प्रज्वलित की और माता सीता ने भगवान श्री राम की आज्ञा से अग्नि में प्रवेश कर लिया। तब ब्रह्मा जी ने सीता जी के प्रतिबिंब को वहां बैठा दिया।
9. रावण ने जिन माता सीता का हरण किया। वह माता सीता का सिर्फ प्रतिबिंब था। जब भगवान राम ने रावण का वध किया तो वह पुष्टि करना चाहते थे कि कहीं रावण ने माता सीता के प्रतिबिंब को बदल तो नहीं दिया है। इसलिए उन्होंने माता सीता से पुन: अग्नि में प्रवेश करने के लिए कहा। जब माता सीता ने अग्नि के गहरे में प्रवेश किया तो उन्होंने अपने प्रतिबिंब को पाकर ध्यान मुद्रा से बाहर निकली और प्रभु श्री राम से मिली
10.विश्व में रामायण का पहली बार वाचन करने वाले कोई और नहीं बल्कि भगवान श्री राम के पुत्र लव और कुश थे। उन्होंने राम कथा स्वंय अपने पिता राम के आगे कही थी। पहली राम कथा पूरी करने के बाद लव और कुश ने यह भी कहा था कि हे पितु भाग्य हमारे जागे राम कथा कही राम के आगे।
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