Dussehra 2019 : दशहरे पर जानिए क्या थे रावण के सात अधूरे सपने, जिनके पूरा होने पर नहीं रहती धरती ऐसी

Dussehra 2019 दशहरे का त्योहार (Dussehra Festival) असत्य पर सत्य की जीत की रूप में मनाया जाता है। रावण एक पराक्रमी योद्धा, महाज्ञानी और महापंडित था। रावण के कि कुछ ऐसी इच्छांए भी थी जो अगर पूरी हो जाती तो धरती ऐसी नहीं रहती जैसी आज हमें दिख रही है। रावण (Ravan) ने अपने जीवन में कई ऐसे काम किए थे जो असंभव थे। लेकिन फिर भी रावण ने उन कामों को अंजाम दिया। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रावण कितना पराक्रमी था तो आइए जानते हैं क्या थे रावण के सात अधूरे सपने।
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रावण का पहला अधूरा सपना (Ravan Ka Pahla Adhura Sapna)
रावण का पहला अधूरा सपना था। स्वर्ग तक सीढ़ियां बनाना। स्वर्ग तक सीढ़ियों का निर्माण कर रावण प्रकृति के नियम को तोड़ भगवान की सत्ता को चुनौती देना चाहता था। वह सोचता था कि स्वर्ग और मोक्ष की कामना के लिए ही लोग भगवान को पूजते हैं। इसलिए वह स्वर्ग तक सीढ़ियों का निर्माण करना चाहता था। जिससे लोग भगवान की पूजा छोड़कर उनकी पूजा कर सके और प्रत्येक व्यक्ति जो उसकी पूजा करे। अगर वह ऐसा कर देता तो सभी असुरों को स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती और सभी अधर्मी लोग स्वर्ग में स्थान पा लेते।
रावण का दुसरा अधूरा सपना (Ravan Ka Dusara Adhura Sapna )
रावण का दुसरा सपना था कि शराब में से जो दुर्गंध आती है। वह उसे मिटा सके। ऐसा रावण इसलिए करना चाहता था कि लोग शराब का सेवन कर सके और अधर्म को बढ़ा सके। शराब से दुर्गंध समाप्त होने के बाद हर कोई शराब का सेवन करता । अगर लोग शराब का सेवन अधिक करते तो असुरी शक्तियां भी बढ़ती। जिससे की रावण और भी ज्यादा शक्तिशाली बन जाता। रावण जानता था कि जब तक धरती पर अधर्म नही बढ़ेगा तब तक उसकी सत्ता पूर्णत: कायम नही हो पाएगी। इसलिए रावण शराब में दुर्गंध को दूर करना चाहता था।
रावण का तीसरा अधूरा सपना (Ravan Ka Tisra Adhura Sapna)
रावण का तीसरा अधूरा सपना था कि सोने में से खुशबू आनी चाहिए। रावण दुनिया के सभी तरह के सोने पर कब्जा करना चाहता था। इसलिए वह सोने में खुशबू डालना चाहता था। ताकि सोने को खोजने में किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। रावण चाहता था कि सभी लोगों के पास धन हो ताकि लोग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना छोड़ दें। अगर रावण ऐसा कर देता तो सभी लोगों के पास धन होता। जिससे कोई भी गरीब नही होता और उसको उसके पुण्य फलों की प्राप्ति नही होती। जिसकी वजह से लक्ष्मी पृथ्वीं पर से विलुप्त हो जाती।
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रावण का चौथा अधूरा सपना (Ravan Ka Chutha Adhura Sapna)
रावण का चौथा अधूरा सपना था कि मानव के रक्त को लाल से सफेद करना। रावण यह चाहता था कि मनुष्य के शरीर में जो रक्त बह रहा है। वह लाल से सफेद हो जाए। जिस समय रावण अपने विश्व विजय अभियान पर था। तब उसने करोड़ों लोगों का खून बहाया था। जिसकी वजह से सभी सरोवर और नदियां खून के रंग से लाल हो गई। इस वजह से पूरी पृथ्वीं का संतुलन बिगड़ने लगा। सभी देवता इसका दोष रावण को देने लगे। इसलिए रावण ने विचार किया कि अगर रक्त का रंग लाल की जगह पानी जैसा हो जाए तो किसी को पता ही नहीं चलेगा कि उसने किसी का वध किया है क्योंकि सफेद रंग पानी से मिलकर उसी के समान हो जाएगा।
रावण का पांचवां अधूरा सपना (Ravan Ka Panchva Adhura Sapna)
रावण का पांचवां अधूरा सपना था कि काले रंग को गोरा करना। रावण के पूरे शरीर का रंग काला था। इसी वजह से वह अपने शरीर के रंग के साथ ही मानव प्रजाति में उन सभी का रंग गोरा करना चाहता था। जिनके शरीर का रंग काला था। जिससे कोई भी महिला उनका अपमान न कर सके। क्योंकि काला रंग होने से महिलाएं अक्सर रावण और असुर जाति का अपमान करती थीं। इसी वजह से रावण चाहता था कि सभी लोगों का रंग एक समान गोरा हो जाए। जिससे लोगों के बीच में भेदभाव न रहे।
रावण का छठा अधूरा सपना (Ravan Ka Chatha Adhura Sapna)
रावण का छठा अधूरा सपना था कि भगवानों की पूजा न की जाए। रावण चाहता था कि इस पूरी दूनिया से भगवान की पूजा की परंपरा ही समाप्त हो जाए और हर कोई सिर्फ रावण को ही पूजे। इसके लिए रावण ने अनेकों प्रयास भी किए। लेकिन वह अपने इन सभी प्रयासों में असफल रहा । रावण ने इसी कोशिश में एक बार भगवान शिव को भी कैलाश सहित लंका ले जाना चाहा था। लेकिन भगवान शिव ने अपना एक पैर कैलाश पर्वत पर रख दिया। जिसकी वजह से रावण की ऊंगली दब गई थी और वह इस प्रयास में असफल रहा।
रावण का सांतवां अधूरा सपना (Ravan Ka Satva Adhura Sapna)
रावण का सांतवां अधूरा सपना था कि समुद्र के पानी को मीठा बनाना। रावण के सात सपनों में से उसका एक सपना यह भी था कि समुद्र के पानी को मीठा बना दिया जाए। वह विश्व के सातों समुद्र के पानी को मीठा बनाना चाहता था। लेकिन रावण का यह सपना भी अधूरा ही रह गया। अगर रावण समुद्र के पानी को मीठा बना देता तो समुद्र में रहने वाले जीव स्वत: ही मर जाते और पृथ्वीं पर उनका कोई निशान तक मौजूद नहीं रहता। इसलिए रावण का यह सपना भी अधूरा रह गया। जिसमें वह सभी समुद्र के पानी को मीठा बनाना चाहता था।
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