Dussehra 2019 : दशहरे पर जानिए रावण की नाभि में कैसे आए उसके प्राण

Dussehra 2019 : दशहरे पर जानिए रावण की नाभि में कैसे आए उसके प्राण
X
Dussehra 2019 दशहरे का त्योहार भगवान श्री राम की जीत के रूप मे मनाया जाता है, रावण ने यमराज से युद्ध किया था, जिससे कि वह अमर हो जाए , लेकिन यमराज ने उसकी नाभि में एक अमृत कलश को छिपा दिया था, जिस कारण से वह अमर नही हो पाया था।

Dussehra 2019 दशहरे का त्योहार भगवान राम की जीत खुशी में मनाया जाता है। दशहरे के दिन ही भगवान श्री राम ने अहंकारी रावण का वध किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण के प्राण कहा पर थे। अगर विभिषण भगवान श्री राम को रावण के प्राणों के बारे में नही बताता तो भगवान श्री राम रावण को कभी भी नहीं मार सकते थे। दशहरा (Dussehra) इस साल 2019 में 8 अक्टूबर 2019 (8 October 2019) के दिन मनाया जाएगा। दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है तो आइए जानते हैं रावण की नाभि में कैसे आए उसके प्राण


रावण की नाभि में कैसे आए उसके प्राण (Ravan Ki Nabhi Mai Kaise Aaye Uske Pran)

रावण के प्राण केवल उसकी नाभि में ही छिपे हुए थे। यह बात केवल उसका परिवार ही जानता था। मान्याताओं के अनुसार राण अपने भाई कुंभकर्ण और विभिषण के साथ गोकुंड नामक आश्रम में तपस्या के लिए गया था। उसने यह प्रण ले रखा था कि वह कठोर तप करके ब्रह्म देव को प्रसन्न करेगा और वरदान प्राप्त करेगा। रावण ने लगतार दस हजार वर्षों तक ब्रह्मा जी की तपस्या की थी। एक हजार वर्ष पूर्ण होने पर वह अपना एक सिर हवन कुंड में चढ़ा देता था। इस प्रकार नौ हजार वर्ष पूर्ण होने के बाद वह अपने नौ सिरों को हवन कुंड में चढ़ा चुका था।

जब दस हजार वर्ष पूर्ण होने वाले थे तो रावण अपना दसवां सिर भी हवन कुंड में चढ़ाने लगा। लेकिन उसी समय ब्रह्म देव प्रकट हो गए और रावण से कहते हैं कि हैं कि रावण मांगो तुम मुझसे क्या मांगना चाहते हों। हम तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हैं। रावण ने ब्रह्म देव से कहा कि हे ब्रह्म देव अगर आप मेरी तपस्या से इतने ही प्रसन्न हैं तो मुझे अमृत्व का वरदान दें। लेकिन ब्रह्मा जी ने रावण से कहा कि ऐसा संभव नही है। जो भी इस पृथ्वीं पर आया है। उसे तो जाना ही पड़ेगा। तब रावण ने यह वर मांगा की मनुष्य जाति को छोड़कर और कोई भी उसका वध न कर सके।


ब्रह्मा जी ने रावण को वरदान देते हुए उसके कटे हुए नौ सिर भी वापस कर दिए। इसके बाद रावण सभी से जीतता गया और एक बार वह यमपुरी पहुंच गया और यमराज के साथ युद्ध करने लगा। रावण और यमराज के बीच में भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध के समय जैसे ही यमराज ने अपने अस्त्र से रावण को मारना चाहा। लेकिन तभी ब्रह्म देव वहां पर प्रकट हो गए और यमराज को रोक दिया।इसके बाद उन्होंने यमराज से कहा कि यह मेरे वरादन के कारण तुमसे नहीं मर सकता है और अगर तुम इस पर अपना अस्त्र चला दोगे तो यह अमृत को प्राप्त कर लेगा।

यह वरदान ऐसे ही बना रहे। इसलिए ब्रह्मा जी के कहने पर यमराज ने रावण से युद्ध बंद कर दिया। इसके बाद रावण ने यमराज से अमृत्व का वरदान मांगा। लेकिन यमराज ने रावण को अमृत्व का वरदान देने से मना कर दिया। लेकिन यमराज ने रावण के प्राणों को उसकी नाभि में एक अमृत कुंड स्थापित करके छिपा दिया। जिससे रावण की मृत्यु तब ही संभव होती जब कुंड से सुख जाता। इसी कारण से रावण को कोई भी नही मार पाया जब विभिषण ने भगवान श्री राम को इस अमृत कुंड के बारे में बताया तब ही श्री राम रावण का वध कर पाए थे।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

Tags

Next Story