Ganesh Visarjan 2019 : गणेश विसर्जन कब है 2019 में, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और आरती

Ganesh Visarjan 2019 : गणेश विसर्जन कब है 2019 में, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और आरती
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गणेश विसर्जन 2019 में 12 सितंबर को है, गणेश विसर्जन मुंबई समेत पूरे भारत में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की स्थापना की जाती है और 10 दिन बाद बप्पा का विसर्जन किया जाता है, पार्वती पुत्र श्री गणेश ने 10 दिनों तक महाभारत की कथा लिखी थी, जिस कारण उनके शरीर का ताप अत्याधिक बढ़ गया था, इसी ताप को दूर करने के लिए वेदव्यास जी ने शीतल जल का प्रयोग किया था, तो आइए जानते हैं गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, आरती और कैसे करें गणेश जी का विसर्जन...

Ganesh Visarjan 2019 (गणेश विसर्जन 2019) गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को पूरे जोर के साथ घरों में स्थापिक किया जाता है। भगवान गणेश की लगातार 10 दिनों तक पूजा अर्चना करने के बाद गणेश जी की प्रतिमा का भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुदर्शी के दिन विसर्जन कर दिया जाता है। इन 10 दिनों में भगवान श्री गणेश (Shri Ganesh) को उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगयाा जाता है। महाराष्ट्र में इस गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) के उत्सव को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त, गणेश विसर्जन का महत्व, गणेश विसर्जन पूजा विधि, गणेश विसर्जन की आरती और कैसे करें गणेश जी का विसर्जन...


गणेश विसर्जन २०१९ तिथि (Ganesh Visarjan 2019 Date)

भगवान श्री गणेश का विसर्जन 12 सिंतबर 2019 को किया जाएगा

गणेश विसर्जन 2019 शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan 2019 Subh Muhurat)

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- सुबह 5 बजकर 6 मिनट से (12 सितंबर 2019)

चतुर्दशी तिथि समाप्त- अगले दिन सुबह 5 बजकर 7 बजकर 35 मिनट तक (13 सितंबर 2019)

गणेश विसर्जन का महत्व (Ganesh Visarjan Ka Mahatva)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी से लेकर महाभारत तक की कथा वेद व्यास जी ने गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक सुनाई थी। जिसे भगवान श्री गणेश जी ने लगातार लिखा था।

दसवें दिन जब भगवान वेद व्यास जी ने अपनी आखें खोली तो उन्होंने पाया की गणेश जी का शरीर बहुत अधिक गर्म हो गया है। जिसके बाद वेद व्यास जी ने अपने पास के सरोवर के जल से गणेश जी के शरीर को ठंडा किया था।

इसी वजह से गणेश जी को चतुदर्शी के दिन शीतल जल में प्रवाह किया जाता है। इसी कथा अनुसार गणेश जी के शरीर का तापमान इससे अधिक न बढ़े। इसके लिए वेद व्यास जी ने सुगंधित मिट्टी से गणेश जी का लेप भी किया था।

जब यह लेप सूखा तो गणेश जी का शरीर अकड़ गया था। जिसके बाद मिट्टी भी झड़ने लगी थी। जिसके बाद उन्हें सरोवर के पानी में ले जाकर शीतल किया गया था। उस समय वेदव्यास जी ने 10 दिनों तक गणेश जी को उनकी पसंद का भोजन भी कराया था।

इसी कारण से भगवान श्री गणेश को स्थापित और विसर्जन भी किया जाता है। इन 10 दिनों में गणेश जी को उनकी पसंद का भोजन भी कराया जाता है।


गणेश विसर्जन पूजा विधि (Ganesh Visarjan Puja Vidhi)

1. गणेश जी विसर्जन चतुदर्शी के दिन किया जाता है। गणेश जी का विसर्जन करने से पहले उनका तिलक करें।

2. उसके बाद भगवान गणेश को फल, फूल और मोदर अवश्य चढ़ाएं और इसका प्रसाद लोगों में बाटें।

3. इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों का उच्चारण करें और उनकी आरती उतारें।

4. इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ फल, फूल, मोदक, चावल, सुपारी, धूप व दीप की एक पोटली बनाकर उनके साथ रखें।

5.इन सब चीजों के साथ भगवान गणेश के साथ एक सिक्का भी अवश्य रखें। इन सब चीजों के साथ गणेश जी की प्रतिमा को बहते जल में प्रवाहित कर दें।


गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,

माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

Shri Ganpati Aarti Marathi

(श्री गणपति आरती – सुख करता दुखहर्ता)

।। श्री गणेशाय नमः ।।

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची | नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची |

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची | कंठी झरके माल मुक्ताफळाची || १ ||

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती | दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ||

रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा | चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा |

हिरे जडित मुकुट शोभतो बरा | रुणझुणती नुपुरे चरणी घागरिया || 2 ||

लंबोदर पितांबर फनी वरवंदना | सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना |

दास रामाचा वाट पाहे सदना | संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवंदना |

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती | दर्शनमात्रे मनकामना पुरती || ३ ||

।। श्री गणेशाय नमः ।।


कैसे करें गणेश जी का विसर्जन (kaise Kare Ganesh Ji Ka Visarjan)

1.सबसे पहले गणेश जी को विदा करने से पहले मंत्रों उच्चारण करके उनकी आरती उतारें और उन्हे मोदक का भोग लगाएं।

2.गणेश विसर्जन से पहले लकड़ी का एक पटरा या चौकी लें। उसे गंगाजल या गोमूत्र से पवित्र करें। इसके बाद किसी महिला से उसे पटरे या चौकी पर आटें से स्वास्तिक बनाने के लिए कहें।

3. इसके बाद पटरे पर चावल, पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर गुलाब के फूलों की पंखुड़ियां फैलाएं।

4. इसके बाद उस पटरे या चौकी के चारों कोनों पर एक- एक सुपारी रखें।

5.इसके बाद जहां पर पटरे की स्थापना की है उस जगह पर इस पटरे को रख दें।

6.पटरा रखने के बाद उस पर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें और उस पर फल, फूल, वस्त्र और दक्षिणा और पांच मोदक अवश्य रखें।

7.भगवान श्री गणेश को यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद एक छोटी की लकड़ी लेकर उसमें चावल और गेहूं और पांच प्रकार की मेवा लेकर एक पोटली बनाकर रख दें। इस पोटली के साथ एक सिक्का भी अवश्य रखें। माना जाता है कि ऐसा करने से यात्रा के दौरान गणेश जी को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।

8.भगवान श्री गणेश का विसर्जन करने से पहले उनकी आरती अवश्य करें। इसके बाद भगवान गणेश से इन 10 दिनों में जाने अनजाने में हुई किसी भूल के लिए क्षमा याचना करें।

9. इसके बाद भगवान गणेश से मन ही मन अपनी इच्छा पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

10. अंत में गणेश जी की प्रतिमा और उनके सभी समान का किसी का सम्मान पूर्वक किसी बहते जल में विसर्जित कर दें।

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