Hanuman Jayanthi 2019 : आखिर क्यों साल में दो बार मनाई जाती है हनुमान जंयती, जानें हनुमान जयंती का महत्व, पूजा विधि और कथा

Hanuman Jayanthi 2019 : हनुमान जी (Hanuman Ji) को कलयुग में एक ऐसा देवता माना जाता है। जो अपने भक्तों की पुकार को अनसुना नहीं करते । इसलिए रामभक्ति हनुमान जी के जन्मदिवस को हनुमान जंयती के रूप में मनाया जाता है। भारत में हनुमान जंयती (Hanuman Jayanti) को लेकर विद्वानों के अलग- अलग मत है। उत्तर भारत (North India) में हनुमान जंयती को चैत्र मास की शुक्ल पूर्णिमा को मनाई जाती है। लेकिन दक्षिण भारत (South India) में हनुमान जंयती का यह पर्व ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि को मनाई जाती है। यानी आज के दिन 29 मई 2019 को बुधवार के दिन दक्षिण भारत में हनुमान जंयती का यह पर्व मनाया जाएगा। इस दिन श्री राम (Shri Ram) भक्त हनुमान जी की पूजा -अर्चना की जाती है। भक्त बजरंग बली (Bajrang Bali) का व्रत करते हैं। मंदिरों में भी इस दिन भजन -कीर्तन किये जाते हैं। हनुमान जी को बल के साथ-साथ बुद्धि का देवता भी माना जाता है। इस दिन लोग हनुमान जी को सिंदूर , बूंदी और चोला आदि चढ़ाते हैं। हिंदू धर्म (Hindu Dharam) में इस पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। अगर आप भी हनुमान जंयती का महत्व ,पूजा विधि और कथा के बारे में जानना चाहते हैं तो आज हम आपको हनुमान जंयती से जुड़ी इन सब बातों के बारे में बताएंगे । तो चलिए जानते हैं हनुमान जंयती से जुडी सभी बातों के बारे में.....
हनुमान जयंती का महत्व (Hanuman Jayanti Ka Mahatva)
हिंदू धर्म में हनुमान जी को एक प्रभावशाली देव के रूप में पूजा जाता हैं। बजरंग बली के ऐसे कई नाम हैं जिनके माध्यम से भगवान हनुमान अपने भक्तों के बीच जाने जाते हैं जैसे बजरंगबली, पवनसुत, पवनकुमार, महावीर, बालीबिमा, मरुत्सुता, अंजनीसुत, संकट मोचन, अंजनेय, मारुति, रुद्र और इत्यादि। महावीर हनुमान को महाकाल शिव का 11वां रुद्रावतार माना गया है।
उन्होंने अपना जीवन केवल अपने भगवान राम और माता सीता के लिए समर्पित किया है। हनुमान जयंती के दिन भक्त सुबह-सुबह हनुमान मंदिरों में जाते हैं। हनुमान मूर्ति के माथे पर लाल तिलक सिंदूर लगाते हैं और हनुमान चालीसा पढ़ते हैं। फिर लड्डू का प्रसाद चढ़ाते हैं और मंत्र तथा आरती गीत गाकर आरती करते हैं।जिसके बाद वह उपवाल खोलते हैं और भगवान से अपने मंगल की कामना करते हैं।
हनुमान जयंती व्रत पूजा विधि (Hanuman jayanti puja vidhi)
इस व्रत रखने वालों के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। व्रत के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना जरुरी है हो सके तो जमीन पर ही सोए।प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रभू श्री राम, माता सीता व श्री हनुमान का स्मरण करें। नित्य क्रिया से निवृत होकर स्नान कर हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित कर विधि- विधान से पूजा करें।
पूजा में हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। पूजा की सभी विधि सम्पन्न करने के बाद हनुमान जी की आरती उतारें। इस दिन स्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का अखंड पाठ भी करवाया जाता है। पूजा करने के बाद प्रसाद के रुप में गुड़, भीगे या भुने चने एवं बेसन के लड्डू हनुमान जी को चढ़ाये जाते हैं।
पूजा सामग्री में सिंदूर, केसर युक्त चंदन, धूप, अगरबती, दीपक के लिए शुद्ध घी या चमेली के तेल का उपयोग कर सकते हैं।पूजन में पुष्प के रूप में गैंदा, गुलाब, कनेर, सूरजमुखी आदि के लाल या पीले पुष्प अर्पित करें। इस दिन हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाने से मनोकामना की शीघ्र पूर्ति होती है।
हनुमान जी की जन्म कथा (Hanuman Jayanti Janam Katha)
हनुमान जी को भगवान शिव की ही 11वां रूद्र अवतार माना जाता हैं| इनके जन्म का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है जिसके अनुसार अमरत्व की प्राप्ति के लिये जब देवताओं व असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र से निकले अमृत को असुरों ने छीन लिया और आपस में ही लड़ने लगे। तब भगवान विष्णु मोहिनी के भेष अवतरित हुए।
मोहनी रूप देख देवता व असुर तो क्या स्वयं भगवान शिवजी कामातुर हो गए। इस समय भगवान शिव ने जो वीर्य त्याग किया उसे पवनदेव ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। जिसके फलस्वरूप माता अंजना के गर्भ से केसरी नंदन मारुती संकट मोचन रामभक्त श्री हनुमान का जन्म हुआ।
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