Hanuman Jayanti 2019 : 26 अक्टूबर को हनुमान जयंती, शुभ मुहूर्त, हनुमान जयंती पूजा विधि, महत्व, हनुमान जी की कथा और आरती

Hanuman Jayanti 2019 (हनुमान जंयती 2019) हनुमान जी के जन्म को लेकर विद्धानों के अलग- अलग मत है कुछ विद्वानों के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था तो वहीं कुछ विद्वोनों के मत के अनुसार बजरंग बली का जन्म नरक चतुदर्शी पर हुआ था, शास्त्रों में इन दोनों ही तिथियों का वर्णन दिया गया है। नरक चतुदर्शी (Narak Chaturdashi) के दिन हनुमान जी की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है तो आइए जानते हैं हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त, हनुमान जयंती पूजा विधि, हनुमान जयंती महत्व, हनुमान जी की कथा और हनुमान जी की आरती...
हनुमान जयंती 2019 तिथि (Hanuman Jayanti 2019 Tithi)
हनुमान जयंती 2019 में 26 अक्टूबर 2019 को शनिवार के दिन है
हनुमान जयंती 2019 शुभ मुहूर्त (Hanuman Jayanti 2019 Subh Muhurat)
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक (26 अक्टूबर 2019)
विजय मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 56 मिनट से 2 बजकर 40 मिनट तक (26 अक्टूबर 2019)
हनुमान जयंती शुभ चौघड़िया मुहूर्त Hanuman Jayanti Shubh Choghadiya Muhurat
प्रात: मुहूर्त (लाभ) - सुबह 7 बजकर 37 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक
अपराह्नन मुहूर्त (शुभ)- दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से 1 बजकर 57 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त - रात 9 बजकर 32 मिनट से 10 बजकर 57 मिनट तक
हनुमान जयंती का महत्व (Hanuman Jayanti Ka Mahatva / Hanuman Jayanti Importance)
हनुमान जंयती का पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक तो चैत्र मास की पूर्णिमा का दिन और दूसरी कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुदर्शी के दिन। बजरंग बली के जन्म को लेकर विद्वानों के अलग- अलग मत है। कुछ विद्वानों के अनुसार चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ था तो वहीं कुछ विद्वानों का मत है कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुदर्शी के दिन हुआ था। इसी कारण से साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी का जन्म नरक चतुदर्शी पर आधी रात के समय पर हुआ था। इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है। इस दिन शरीर पर तिल के तेल का उबटन भी किया जाता है।
हनुमान जयंती पूजा विधि (Hanuman Jayanti Puja Vidhi)
1. हनुमान जी की पूजा में ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखें।ब्रह्मचर्य का पालन एक दिन पहले से ही करें।
2. हनुमान जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठें। एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर राम, सीता और हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें।
3.इसके बाद बजरंग बली को लाल फूल, सिंदूर,गुड़ चने का प्रसाद,बेसन के लड्डू,गैंदा, गुलाब, कनेर, सूरजमुखी, केसरयुक्त चंदन, धूप-अगरबती, शुद्ध घी या चमेली के तेल का दीपक जालकर उनकी विधिवत पूजा करें।
4. इसके बाद हनुमान चालीसा और बंजरग बाण का पाठ करें अंत में पहले राम जी की आरती उतारें उसके बाद हनुमान जी आरती उतारें.
5.अंत में हनुमान जी को गुड़ चने का प्रसाद और बेसन के लड्डूओं का भोग लगाएं और उनसे जाने- अनजाने में हुई किसी भी भूल के क्षमा याचना करें।
हनुमान जयंती कथा (Hanuman Jayanti Katha / Hanuman Jayanti Story)
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा दशरथ और उनकी तीनों पत्नियों ने अग्नि देव का यज्ञ किया था। तब अग्नि देव ने उनसे प्रसन्न होकर राजा दशरथ को खीर दी थी। राजा दशरथ ने वह खीर अपनी तीनों पत्नियों में बराबर बांट दी। लेकिन एक चील उस खीर को झपट कर अपने मुंह में ले गई और उड़ गई। जब वह चील अंजना के आश्रम के ऊपर से उड़ रही थी तब अंजना का मुंह ऊपर की और था। अंजना का मुंह खुला होने के कारण कुछ खीर उनके मुंह में आ गिरी और वह उस खीर को खा गई। जिसकी वजह से वह गर्भवती हो गई और उनके गर्भ से शिवजी के 11वें रूद्र अवतार हनुमान जी ने जन्म लिया था।
इसलिए हनुमान जंयती को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बजरंग बली के भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार उन्हें सिंदूर का चोला, लाल वस्त्र, ध्वजा, चंदन, फूलों में कनेर आदि के पीलोए फूल, धूप, अगरबती, गाय के शुद्ध घी का दीपक, आटे को घी में सेंककर गुड मिलाये हुए, लड्डू जिन्हें कसार के लड्ड आदि का भोग लगाते हैं। हनुमान जयंती के दिन नारियल और पेडों को भोग भी हनुमान जी को लगाया जाता है। इसके अलावा बजरंग बली को दाख-चूरमे ,केले आदि फल भी अर्पित किए जाते हैं।इसके बाद हनुमान जी की आरती उतारी जाती है और उनका भजन कीर्तन किया जाता है।
नरक चतुदर्शी के दिन सुन्दर काण्ड, हनुमान चालीसा का पाठ करना भी काफी शुभ रहता है।सालासर, मेंहदीपुर, चांदपोल जैसी जगहों पर इस दिन मेला भी लगता है।
हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti)
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥
लंक विध्वंस किए रघुराई। तुलसीदास स्वामी आरती गाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की॥
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