Hanuman Jayanti 2020 Ki Kab Hai : जानिए क्या है हनुमान जी की अष्ट सिद्धि का रहस्य

Hanuman Jayanti 2020 Ki Kab Hai : हनुमान जंयती (Hanuman Jayanti) के दिन बजरंगी बली की आराधना की जाती है। इस साल 2020 में हनुमान जयंती साल 2020 में 8 अप्रैल 2020 (8 April 2020) को मनाया जाएगा। हनुमान जी को अष्ट सिद्धियों से परिपूर्ण है लेकिन क्या है हनुमान जी की यह सिद्धियां आइए जानते हैं...
हनुमान जी की अष्ट सिद्धियों का रहस्य (Hanuman Jayanti Ashta Siddhiyo Ka Rahasya)
भगवान राम के प्रिय भक्तो में हनुमान जी का नाम सबसे पहले आता है। हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र हैं। जिनका जन्म धरती पर भगवान श्री राम की सहायता करने के लिए हुआ था।हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता के रूप में जाना जाता है। हनुमान चालीसा की चौपाई अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता असवर दीन जानकी माता जिसे श्री राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है। इस चौपाई का अर्थ है बजरंग बली अपने भक्तो को आठ प्रकार की सिद्धियां तथा नौ प्रकार की निधियां प्रदान कर सकते हैं। उन्हें यह सिद्धियां और निधियां देने का वरदान माता जानकी ने दिया था।
यह अष्ट सिद्धियां चमत्कारिक हैं यही कारण है कि पवन पुत्र ने असंभव से लगने वाले काम आसानी से पूर्ण किए थे। हनुमान जी को जिन आठ सिद्धियों का दाता बताया गया है। वह इस प्रकार है। सबसे पहली सिद्धि है अणिमा इस सिद्धि के बल पर हनुमान जी कभी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं। इस सिद्धि का प्रयोग हनुमान जी ने तब किया था। जब वे समुद्र पार कर लंका पहुंचे थे। इस सिद्धि का उपयोग करके ही हनुमान जी पूरी लंका निरीक्षण किया था। अति सूक्ष्म होने के कारण हनुमान जी के बारे में किसी को पता ही नहीं चल सका था।
दूसरी सिद्धि है महिमा इस सिद्धि के बल पर हनुमान जी ने कई बार विशाल रूप धारण किया है। जब हनुमान जी समुद्र पार करके लंका जा रहे थे तब बीच रास्ते में सुरसा नाम की राक्षसी ने उनका रास्ता रोक लिया था। उस समय सुरसा को परास्त करने के लिए हनुमान जी स्वंय का रूप सौ योजन तक बड़ा कर लिया था। इसके अलावा माता सीता को श्री राम की वानर सेना पर विश्वास दिलाने के लिए महिमा सिद्धि का प्रयोग करते हुए स्वंय का रूप अत्यंत विशाल कर लिया था।
तीसरी सिद्धि है गरीमा इस सिद्धि की मदद से हनुमान जी स्वंय का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं। गरीमा सिद्धि का उपयोग हनुमान जी ने महाभारत काल में भीम के समक्ष किया था। एक समय में भीम को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया था। उस समय भीम के घमंड को तोड़ने के लिए हनुमान जी ने एक वृद्ध वानर का रूप धारण करके रास्ते में अपनी पूंछ फैलाकर बेठे हुए थे। भीम ने जब हनुमान जी की पूंछ उठाई तो वह उनकी पूंछ को उठा नहीं सका इस प्रकार भीम का घमंड का टूट गया।
चौथी सिद्धि है लघिमा इस सिद्धि से हनुमान जी स्वंय का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ जा सकते हैं। जब हनुमान जी अशोक वाटिका में पहुंचे तब वे अणिमा और लघिमा सिद्धि के बल पर सूक्ष्म रूप धारण करके अशोक वाटिका के पत्तो में छिप गए। इन पत्तों में बैठे- बैठे ही उन्होंने माता सीता को अपना परिचय दिया था। जिसके बाद माता सीता ने हनुमान जी को सामने प्रकट होने के लिए कहा था।
पांचवीं सिद्धि है प्राप्ति इस सिद्धि के बल पर हनुमान जी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं आने वाले समय को देख सकते हैं। रामायण में इस सिद्धि के उपयोग से हनुमान जी ने सीता माता की खोज करते समय कई पशु पक्षियो से चर्चा की थी। जिससे वह यह जान सके थे कि माता सीता इस समय में कहा पर है। जिसके बाद हनुमान जी ने माता सीता को अशोक वाटिका में खोज लिया था।
छठी सिद्धि है प्राकाम्य इसी सिद्धि की मदद से हनुमान जी पृथ्वी की गहराईयों में पाताल तक जा सकते हैं। आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में जीवित रह सकते हैं। इस सिद्धि से हनुमान जी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे। इसके साथ ही वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी देह को धारण कर सकते हैं। इस सिद्धि से वे किसी भी वस्तु को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं।
सातवीं सिद्धि है ईशित्व इस सिद्धि की मदद से हनुमान जी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं। ईशित्व के प्रभाव से हनुमान जी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था।इस सिद्धि के कारण ही उन्होंने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा था। साथ ही इस सिद्धि से हनुमान जी किसी मृत प्राणी को भी फिर से जीवित कर सकते हैं।
आठवीं और आखिरी सिद्धि है वशित्व इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमान जी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं। वशित्व के कारण हनुमान जी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर सकते हैं। हनुमान जी के वश में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से हनुमान जी अतुलित बल के धाम हैं।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS