Hanuman Jayanti 2020 Mein Kab Hai : जानिए क्यों हुआ था हनुमान जी और बाली में युद्ध

Hanuman Jayanti 2020 Mein Kab Hai : जानिए क्यों हुआ था हनुमान जी और बाली में युद्ध
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Hanuman Jayanti 2020 Mein Kab Hai : हनुमान जयंती के दिन सुबह से ही मंदिरों में बजरंग बली (Bajrang Bali) के दर्शनों के लिए तांता लग जाता है, उन्होंने श्री राम (Shri Ram) भक्त हनुमान को अपार शक्तियों का देवता माना जाता है और उन्होंने कई बलशाली योद्धाओ के अहंकार को भी तोड़ा है, लेकिन एक बार हनुमान जी को बाली से भी युद्ध करना पड़ा था, लेकिन हनुमान जी को आखिर ऐसा क्यों करना पड़ा था आइए जानते हैं...

Hanuman Jayanti 2020 Mein Kab Hai : हनुमान जी को भगवान राम सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (Chaitra Purnima) के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। हनुमान जी (Lord Hanuman) को अतुलित शक्तियों का देवता माना जाता है। लेकिन एक बार हनुमान जी को न चाहते हुए भी बाली से युद्ध करना पड़ा था तो चलिए जानते हैं कि किस कारण से हनुमान जी को बाली से युद्ध करना पड़ा था।

हनुमान जी और बाली का युद्ध (Hanuman Ji or Bali Ka Yudh)

रामायण की पुस्तक किष्किंधा कांड के 67 अध्यायों में से अध्याय 5 से लेकर 26 तक ही बाली का वर्णन किया गया है फिर भी रामायण में बाली की मुख्य भूमिका रही है। विशेषकर उसके वध को लेकर बाली सुग्रीव का बड़ा भाई था और किष्किंधा का राजा था तथा उसे बाली को इंद्र का पुत्र भी माना जाता है।बाली को ब्रह्मा जी के द्वारा यह वरादान प्राप्त था कि वह जिससे भी लड़ेगा उसका आधा बल उसमें समा जाएगा।

इसी कारण से बाली से लड़ने वाला कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो उसकी आधी शक्ति बाली में समा जाती थी और लड़ने वाला कमजोर होकर मारा जाता था। बाली ने अपनी इस अद्भुत शक्ति के कारण हजार हाथियों का बल रखने वाले दुंदुभि नामक असुर का वध कर दिया था। दुंदुभि के बाद बाली ने उसके भाई मायावी का भी एक गुफा में वध कर दिया था। इसी घटना के बाद बाली और सुग्रीव के बीच में शत्रुता पैदा हो गई थी।

इसी शक्ति के कारण वनराज बाली से युद्ध करने में देव, मानव, दानव कोई भी समर्थ नही था। बाली के बल के बारे में पृथ्वीं पर हर कोई जानता था। रामायण में यह भी बताया गया है कि एक बार बाली ने असुर राज रावण को भी युद्ध हुआ था। जिसमें बाली ने अपने बल की वजह से रावण को छह माह तक अपनी कांख में दबाए रखा था अंत में रावण ने हार मानकर बाली को अपना मित्र बना लिया था। इसी युद्ध के बाद बाली का घमंड आसमान छुने लगा था।

बाली अपनी ताकत के नशे में चूर लोगो को यहां वहां चुनौतियां देता फिरता था। एक बार बाली वन में चिला रहा था कि हे कोई इस वन में ऐसा जो मुझे हरा सके। उसी वन में हनुमान जी तपस्या कर रहे थे और अपने आराध्य भगवान राम का जप कर रहे थे। बाली के चिल्लाने के कारण उनकी तपस्या भंग हो गई। उन्होंने बाली से कहा कि वानर राज आप अति बलशाली हैं।आपको कोई भी नहीं हरा सकता लेकिन आप इस तरह से चिल्ला क्यों रहे हैं।

यह बात सुनकर बाली को क्रोध आ गया। उसने हनुमान जी यहां तक की भगवान राम को भी चुनौती दे डाली। बाली ने कहा कि हनुमान तुम तो क्या तुम्हारे राम भी मुझे नहीं हरा सकते। हे दम तो बुलाओ अपने राम को राम जी का उपहास सुनकर हनुमान जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने बाली की चुनौती को स्वीकार कर लिया। दोनों के बीच में तय हुआ कि अगले दिन सूर्योदय होने के साथ ही दोनों के बीच में दंगल होगा। अगले दिन हनुमान जी तैयार होकर दंगल के लिए निकले ही थे कि ब्रह्मा जी प्रकट हुए।


उन्होंने हनुमान जी को समझाने की कोशिश की कि वह बाली की चुनौती को स्वीकार न करे। इस पर हनुमान जी ने कहा कि प्रभु बाली जब मुझे ललकार रहा था तब तक तो ठीक था लेकिन उसने भगवान राम को भी चुनौती दे दी है। इसलिए मैं उसे सबक सीखा कर रहूंगा। ब्रह्मा जी ने फिर से समझाने की कोशिश की हनुमान जी बोले कि अगर अब मैं पीछे हट गया तो दुनिया क्या कहेगी। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि ठीक है आप दंगल के लिए जाओ लेकिन अपनी शक्ति का दसवां हिस्सा ही लेकर जाओ शेष अपने आराध्य के चरणों में अर्पित कर दो।

दंगल से लौटकर आप यह शक्ति हासिल कर लेना। हनुमान जी मान गए और अपनी शक्ति का कुल दसवां हिस्सा लेकर चल दिए। दंगल के मैदान में कदम रखते ही वरदान के मुताबिक हनुमान जी की शक्ति का आधा हिस्सा बाली के शरीर में चला गया। इससे बाली के शरीर में जबरदस्त हलचल शुरू हो गई। उसे लगा की ताकत का कोई समुद्र शरीर में हिलोरे ले रहा हो। चंद पलों बाली को लगा कि उसके शरीर की नसें फट जाएगी और रक्त बाहर निकलने लगेगा।

उसी समय वहां पर ब्रह्मा जी प्रकट हो गए और उन्होंने बाली से कहा कि तुम स्वंय को संसार में सबसे अधिक शक्तिशाली समझते हो। लेकिन तुम्हारा शरीर हनुमान जी की शक्ति का दसवां हिस्सा भी नहीं संभाल पा रहा है। यदि तुम स्वंय को जिंदा रखना चाहते हो तो हनुमान जी से कोसो दूर चले जाओ। बाली ने ऐसा ही किया और बाद में उसे आभास हुआ कि हनुमान जी उससे कहीं अधिक ताकतवर हैं।

उसने हनुमान जी को दंडवत प्रणाम किया और बोला अथाह बल होते हुए भी हनुामान जी शांत रहते है और राम भजन गाते रहते हैं।एक मैं हूं जो उनके एक बाल के बराबर भी नहीं हूं और उनको ललकार रहा था। मुझे क्षमा किजिए प्रभु हनुमान जी ने बाली को क्षमा कर दिया।

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