Hanuman Jayanti Kab Ki Hai : जानिए कब हनुमान जी के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान कृष्ण को बनना पड़ा था श्री राम

Hanuman Jayanti Kab Ki Hai : हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) को बजरंग बली के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राम नाम जाप करने से हनुमान जी बड़ी ही प्रसन्नता होती है। हनुमान जी इतने बड़े रामभक्त थे कि एक बार उन्होने भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) को राम अवतार धारण करने पर मजबूर कर दिया था।
भगवान श्री कृष्ण का राम अवतार (Bhagwan Shri Krishna ka Ram Avtar)
महाभगवत पुराण के अनुसार यह घटना उस समय की जब है। जब भगवान श्री कृष्ण के भाई बलराम अपने साहस, पत्नी सत्यभामा अपनी खूबसूरती और श्री कृष्ण जी के वाहन अपनी शक्ति के नशे में चूर हो गए थे। जब भगवान श्री कृष्ण ने यह सब देखा तो उन्होंने उनके घमंड को तोड़ने के लिए एक लीला रची जिसका किसी को भी आभास नही था। एक दिन नारद मनिु इंद्र की देव सभा में आए उनके सम्मान में वहां उपस्थित सभी देवता खड़े हो गए सिर्फ गरूड़ को छोड़कर।
गरुड़ का यह व्यवहार इंद्र को अच्छा नहीं लगा उन्होंने जब इसका कारण गरुड़ से पूछा तो गरुड़ ने कहा कि मैं एक शक्तिशाली पक्षी हूं और मैं किसी भी ऐसे साधु के सम्मान में खड़ा नहीं हो सकता जो केवल इधर से उधर भटक कर दुनिया भर की बातें बनाता हो। यह सुनकर नारद मुनि को गहरा धक्का लगता है ।अगले दिन ही वह यह बात बताने के लिए भगवान श्री कृष्ण के महल पहुंच जाते हैं। जैसे ही भगवान श्री कृष्ण ने नारद मुनि को देखा तो वह तुरंत ही खड़े हो गए उनके चरणों को धोकर उन्हें आदर पूर्वक बैठाया।
इसके बाद उन्होंने नारद जी से देवलोक के बारे में पूछा तभी नारद जी ने उनके साथ घटित हुई पूरी घटना भगवान कृष्ण को बता दी। यह बात सुनकर भगवान कृष्ण ने नारद जी से क्षमा मांगी और कहा कि वह सत्यभामा को बुलाएं जब नारद जी सत्यभामा को बुलाने जाते हैं तो वह देखते हैं कि सत्यभामा अपनी श्रृंगार में खोई हुई हैबार-बार वह अपने आप को शीशे में नहा रही थी। अपने आभूषणों की चमक में उन्हें कुछ भी नजर नहीं आ रहा था तभी नारद मुनि ने उन्हें आवाज लगाई कि कृष्णा आपको बुला रहे हैं।
लेकिन सत्यभामा ने कोई जवाब नहीं दिया नारद जी को एक बार फिर से अपमान का घूंट पीना पड़ा नारद मुनि वापस भगवान श्री कृष्ण के पास जाते हैं और पूरी बात बताते हैं इस पर भगवान श्री कृष्ण एक बार फिर नारद मुनि से अनुरोध करते हैं कि वह जाएं और केले के वन में तपस्या करते हुए हनुमान को बुलाएं भगवान श्री कृष्ण की आज्ञा पाकर नारद जी वैसा ही करते हैं और केले के वन में जाते हैं वहां वह हनुमान जी को तपस्या करते हुए देखते हैं और हनुमान जी से कहते हैं कि हे हनुमान तुम्हें भगवान की श्री कृष्ण बुला रहे हैं।
जब नारद मुनि बार-बार हनुमान जी को बुलाने लगे तो हनुमान जी की तपस्या भंग हो गई और हनुमान जी ने गुस्से में कहा कि कौन कृष्ण मैं किसी किसी को नहीं जानता यह सुनकर नारद मुनि को ध्यान आया कि हनुमान तो केवल श्रीराम की बात ही सुनते हैं। इसके बाद नारद मुनि राम नाम की धुन गाने लगे राम नाम का नाम सुनकर हनुमान जी सम्मोहित हो गए और नाराज जी के पीछे पीछे चलने लगे चलते चलते जब वह द्वारिका पहुंचे तो नारद जी ने राम नाम की धुन बंद कर दी जब राम नाम की धुन बंद हुई तो हनुमान जी फिर से क्रोधित हो गए और उन्होंने द्वारिका नगरी के बगीचे को तहस-नहस करना शुरू कर दिया।
जब बलराम को यह पता चला कि बगीचे में कोई वानर घुस आया है तो उन्होंने उसे पकड़ने के लिए गरुड़ को भेजा जब गरुड़ हनुमान जी के सामने गया तो हनुमान जी ने उस पर प्रहार कर दिया और उसे पराजित कर दिया इसके बाद जब बलराम हनुमान जी को रोकने गए तो हनुमान जी ने उनके घमंड को भी तोड़ दिया। इस पर हनुमान जी का क्रोध और ज्यादा बढ़ने लगा तब बलराम ने भगवान श्री कृष्ण को बुलाया भगवान श्री कृष्ण ने बलराम को बताया कि यह कोई साधारण वानर नहीं है।बल्कि स्वयं हनुमान जी हैं और इनका क्रोध केवल श्रीराम ही शांत कर सकते हैं
इसके बाद उन्होंने सत्यभामा को बुलाया और कहा कि आप सीता बनकर आएं। इसके बाद सत्यभामा अंदर गई और फटे हुए कपड़े और आभूषण बाल खुले करके भगवान कृष्ण के पास आ गई ।जब श्री कृष्ण ने सत्यभामा को देखा तो कहा कि मैंने आपको सीता बनकर आने के लिए कहा था कि आप यह क्या बनकर आ गईं। यह सुनकर सत्यभामा का घमंड चूर चूर हो गया उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मणी को बुलाया और उन्हें सीता बनने के लिए कहा तब भाव विभोर होकर रुकमणी ने माता सीता का रूप धारण किया और इसके बाद रुक्मणी और भगवान श्री कृष्ण भगवान श्री राम और माता सीता बनकर हनुमान जी के सामने गए। तब जाकर हनुमान जी का क्रोध शांत हुआ।
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