Hariyali Teej 2019 : हरियाली तीज का पौराणिक महत्व, परंपरा, उत्सव और शिव-पार्वती विवाह के बारे में जानिए

Hariyali Teej 2019 हरियाली तीज का पौराणिक महत्व, परंपरा और उत्सव के बारे में जानना बेहद आवश्यक हैं। हरियाली तीज के त्यौहार (Hariyali Teej Festival) भगवान शिव और माता पार्वती के पुर्नमिलन के रूप में मनाया जाता है। हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने माता पार्वती (Mata Parvati) ने भगवान शिव (Bhagwan Shiv) को पति के रूप में स्वीकार किया था। इस दिन सुहागन स्त्रियां अपने पति के स्वास्थय और उनकी लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इतना ही नहीं इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भगवान शिव के जैसा सुयोग्य पति पाने के लिए यह व्रत करती हैं। हरियाली तीज के दिन झूला झूलने को विशेष महत्व दिया जाता है तो आइए जानते हैं हरियाली तीज का पौराणिक महत्व, परंपरा और उत्सव के बारे में
हरियाली तीज 2019 तिथि (Hariyali Teej 2019 Tithi)
3 अगस्त 2019
हरियाली तीज 2019 शुभ मुहूर्त (Hariyali Teej 2019 Subh Muhurat)
हरियाली तीज प्रारंभ- रात 1 बजकर 36 मिनट (3 August 2019)
हरियाली तीज समाप्त- रात 10 बजकर 5 मिनट (3 August 2019)
हरियाली तीज का पौराणिक महत्व (Hariyali Teej Ka Poranik Mahatva)
हरियाली तीज के पौराणिक महत्व के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुर्नमिलन हुआ था। इस दिन विवाहित औरतें अपने पति की लंबी उम्र और स्वास्थय के लिए व्रत रखती हैं। महिलाएं इस दिन एक दुल्हन की तरह सजकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। हरियाली तीज का व्रत भी करवा चौथ की तरह निर्जला ही होता है। इस व्रत को भी सुहागन स्त्रियां बिना कुछ खाए पीए करती हैं। इसके साथ जो कन्याएं अविवाहित हैं। वह भी हरियाली तीज का व्रत रखती हैं ताकि उन्हें भी भगवान शिव जैसा पति प्राप्त हो सके।
माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया था। भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी। शास्त्रों के जानकार मानते हैं कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए 108 जन्म लिए थे। जिसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी स्वीकार किया था। हरियाली तीज के दिन ही माता पार्वती और भगवान शिव का मिलन हुआ था। इसलिए माता पार्वती को तीज माता के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि श्रावण मास शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन यह घटना घटित हुई थी।
हरियाली तीज की परंपरा (Hariyali Teej Ki Parampara)
हरियाली तीज की परंपरा के अनुसार इस लड़की के घर वाले अपनी बेटी के ससुराल में सिंधारा और उपहार भेजते हैं। यह उपहार घर पर ही बनाए जाते हैं। जैसे मिठाई , मेंहदी और चुड़ीया और घेवर और सुहाग का सभी समान लड़की की ससुराल में भेजा जाता है। आजकल बाजारों में बना हुआ सिंधारा भी आता है। जो आजकल लोग काफी खरीदते हैं। इस सिंधारें में वह सभी चीजे मौजूद होती हैं। जो लड़की वालों के घर में भेजी जाती है। इसके आलावा आप अपनी मर्जी से भी सिंधारा बनवा सकते हैं। हरियाली तीज को सिंधारा तीज भी कहा जाता है।
हरियाली तीज उत्सव (Hariyali Teej Utsav)
हरियाली तीज के दिन सभी औरतें हरे रंग के कपड़े पहनती हैं। इसी के साथ हाथों में हरी चुड़ियां और मेंहंदी भी लगाती हैं। हरियाली तीज के दिन चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। जिसमें दूध, फूल और दही जैसी चीजें सम्मिलित होती हैं। हरियाली तीज में औरतें पारंपरिक गीत और भजन और गाते हैं। इस उत्सव में नाचने और गाने का समावेश भी किया जाता है। राजस्थान में तीज माता की सवारी सड़कों पर निकाली जाती है। जिसमें महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं और नाचती गाती हैं।
हरियाणा में हरियाली तीज के दिन अवकाश होता है। ये अवकाश सरकारी होती है और इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पंजाब में औरतें इस दिन एक साथ इकट्ठा होती हैं और पारंपरिक नृत्य जिसे गिद्दा भी कहा जाता है वह करती हैं और दूसरों के परिवार से भी मिलने जाती हैं। हरियाली तीज के दिन झूला झूलने की भी परंपरा है। चंडीगढ़ में छात्र इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत करते हैं। जिसके लिए प्रशासन विशेष तौर खुले मैदान में तीज उत्सव की व्यस्था भी करता है।
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